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असम-मेघालय सीमा पर बीते दिन हिंसा भड़कने से कई लोगों की हुई मौत, असम-मेघालय ही नहीं इन 8 राज्यों में भी है सीमा विवाद, जानें आखिर क्या है मसला।

सारस न्यूज टीम, गलगलिया, ठाकुरगंज।

असम-मेघालय सीमा पर एक बार फिर से हिंसा की आग भड़की है। असम के वेस्ट कार्बी आंगलोग जिले में असम-मेघालय सीमा पर कथित तौर पर अवैध लकड़ी ले जा रहे एक ट्रक को मंगलवार तड़के असम के वनकर्मियों द्वारा रोकने के बाद भड़की हिंसा में छह लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। मृतकों में वन्यकर्मी भी शामिल हैं। दरअसल, सीमा से सटे जंगल से कुछ लोग ट्रक में अवैध रूप से लकड़ी भरकर ले जा रहे थे। तभी वन विभाग की टीम ने उन्हें मुकरोह के पास रोका तो मेघालय की ओर से भीड़ ने हमला कर दिया और इसके बाद हिंसा भड़क उठी और देखते ही देखते 06 लोग काल की गाल में समा गए।

दरअसल यह पहली बार नहीं है। जब असम-मेघालय सीमा पर हिंसा हुई हो। दोनों राज्यों के बीच सीमा को लेकर विवाद काफी पुराना है और यह पिछले 50 सालों से चला आ रहा है। असम-मेघालय सीमा पर इसी विवाद को लेकर अक्सर हिंसा की खबरें आती रहती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं असम मेघालय के अलावा भी कई और राज्य है जिनके बीच सीमा विवाद चल रहा है।

आइए जानते हैं कि कौन से राज्य हैं ये और इनमें मसला क्या है।

इन राज्यों में चल रहा सीमा विवाद।

जानकारी के अनुसार असम-मेघालय, असम-मिजोरम, हरियाणा-हिमाचल प्रदेश, लद्दाख-हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र-कर्नाटक, असम-अरुणाचल प्रदेश और असम-नागालैंड के बीच सीमा विवाद है। यहां सीमाओं के सीमांकन और दावों के बीच विवाद छिड़ा है।

यही है वो 07 अन्तराजिय सीमा विवाद।

1.महाराष्ट्र-कर्नाटक- बेलगाम जिला भारत में सबसे बड़े अंतर-राज्यीय सीमा विवादों में से एक है। इस जिले में एक बड़ी मराठी और कन्नड़ भाषी आबादी है और लंबे समय से यह क्षेत्र विवाद का केंद्र रहा है। यह क्षेत्र 1956 में कर्नाटक के अधीन आया जब राज्यों का पुनर्गठन किया गया और इससे पहले तक यह क्षेत्र बॉम्बे प्रेसीडेंसी के अधीन था।

2. हरियाणा-हिमाचल प्रदेश- दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद को लेकर परवाणू क्षेत्र सुर्खियों में रहा है। यह हरियाणा के पंचकुला जिले के साथ लगता है और इसी के चलते राज्य ने हिमाचल प्रदेश में भूमि के कुछ हिस्सों पर अपना दावा ठोका है।

3.असम-मिजोरम- असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद 1875 और 1933 की ब्रिटिश काल की दो अधिसूचनाओं की विरासत है। ब्रिटिश काल के दौरान जब मिजोरम को असम का एक जिला लुशाई हिल्स कहा जाता था तब 1875 की अधिसूचना ने लुशाई पहाड़ियों को कछार के मैदानों से और लुशाई पहाड़ियों और मणिपुर के बीच अन्य सीमांकित सीमा से अलग कर दिया। जबकि मिजोरम विद्रोह के वर्षों के बाद 1987 में ही एक राज्य बन गया था। लेकिन अभी भी राज्य 1875 में तय की गई सीमा को अपना मानता है।दूसरी ओर, असम 1933 की अधिसूचना के आधार पर 1986 में उसकी सीमा से आजाद हुए क्षेत्र को वापस चाहता है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का कहना है कि वे ब्रिटिश काल के आदेश को स्वीकार नहीं करेंगे। वहीं मिजोरम का कहना है कि 1986 का समझौता स्वीकार्य नहीं है क्योंकि उस समय मिजो नागरिक समाज से कोई परामर्श नहीं लिया गया था।

4.लद्दाख-हिमाचल प्रदेश- हिमाचल और लद्दाख लेह और मनाली के बीच के मार्ग पर एक क्षेत्र सरचू पर अपना-अपना दावा करते हैं। यह विवाद का एक प्रमुख भाग माना जाता है जहां यात्री दो शहरों के बीच यात्रा करते समय रुकते हैं। सरचू हिमाचल के लाहुल और स्पीति जिले और लद्दाख के लेह जिले के बीच में है।

05.असम-अरुणाचल प्रदेश- अरुणाचल और असम में वन क्षेत्रों को लेकर विवाद है। अरुणाचल का कहना है कि उत्तर पूर्वी राज्यों के पुनर्गठन ने एकतरफा रूप से मैदानी इलाकों में कई वन क्षेत्रों को स्थानांतरित कर दिया जो पारंपरिक रूप से असम के पहाड़ी आदिवासी प्रमुखों और समुदायों से संबंधित थे। बता दें कि 1987 में अरुणाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा मिलने के बाद एक त्रिपक्षीय समिति नियुक्त की गई जिसने सिफारिश की कि कुछ क्षेत्रों को असम से अरुणाचल में स्थानांतरित किया जाए। हालांकि असम ने इसका विरोध किया और यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट के समक्ष है।

06.असम-मेघालय- असम और मेघालय के बीच समस्या तब शुरू हुई जब मेघालय ने 1971 के असम पुनर्गठन अधिनियम को चुनौती दी। इस अधिनियम के तहत मिकिर हिल्स के ब्लॉक और वर्तमान कार्बी आंगलोंग जिले को असम को दे दिया गया था। मेघालय का तर्क है कि ये दोनों ब्लॉक पूर्ववर्ती यूनाइटेड खासी और जैंतिया हिल्स जिले का हिस्सा थे। जब इसे 1835 में अधिसूचित किया गया था। बता दें कि दोनों राज्यों में 12 बिंदुओं पर विवाद है। जिसमें से कुछ पर अब समझौता हो गया है।

07.असम-नगालैंड- उत्तर पूर्व में सबसे लंबे समय तक चलने वाला सीमा विवाद असम और नागालैंड के बीच है। जो 1963 में नागालैंड के राज्य बनने के तुरंत बाद शुरू हुआ था। 1962 के नागालैंड राज्य अधिनियम ने 1925 की अधिसूचना के अनुसार राज्य की सीमाओं को परिभाषित किया था जब नागा हिल्स और त्युएनसांग क्षेत्र (एनएचटीए) को एक नई प्रशासनिक इकाई में एकीकृत किया गया। नागालैंड, हालांकि, सीमा रेखांकन को स्वीकार नहीं करता है और उसने मांग की है कि नए राज्य में उत्तरी कछार और नागांव जिलों में सभी नागा बहुल क्षेत्र भी होने चाहिए। चूंकि नागालैंड ने अपनी अधिसूचित सीमाओं को स्वीकार नहीं किया। असम और नागालैंड के बीच तनाव पैदा होता है और बार-बार यहां हिंसा होती है।

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