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कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर तीन दिवसीय रास महोत्सव का आज होगा शुभारंभ, राधा कृष्ण की प्रतिमा रास पर स्थापित कर 48 घंटे तक चलेगा अष्टयाम।

सारस न्यूज, किशनगंज।

कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर प्रखंड के दो स्थानों पर आयोजित होने वाली तीन दिवसीय रास महोत्सव की तैयारी पूरी कर ली गई है। रविवार की संध्या रास महोत्सव आयोजन में राधा कृष्ण की प्रतिमा रास पर स्थापित कर पूजा अर्चना के बाद 48 घंटे तक अष्टयाम का आयोजन किया जाएगा। इसके लिए मूर्तिकार द्वारा प्रतिमा को अंतिम रूप दे दिया गया है और मंदिर परिसर को भव्य रूप से सजाया जा रहा है।

चुरली पंचायत के झाला गांव में आयोजित होने वाले रास महोत्सव में बीते 41 वर्षों से भगवान की प्रतिमा बनाने वाले मूर्तिकार सूरत लाल मालाकार ने बताया कि रास पर 6 जोड़ी राधा कृष्ण की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। इसके अलावे चानेश्वरी माता की 5, गोर निताई की एक – एक, बूढ़ी माता की एक एवं हनुमान जी की एक प्रतिमा बनाई गई है। रविवार की संध्या से पूजा अर्चना आरम्भ होगी। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर शुरु होने वाले इस रास महोत्सव में श्रद्धालु गंगा स्नान कर भगवान कार्तिक की पूजा और आराधना करते हैं।

जानकारी के मुताबिक प्रखंड ठाकुरगंज के दो स्थानों कुकुरबाघी पंचायत के गलगलियागछ और चुरली पंचायत के झाला गांव में मुख्य रूप से रास महोत्सव का आयोजन होता है। उक्त पूजन स्थलों में श्रद्धालुओं द्वारा पूजा पंडाल बनाए जा रहे हैं। जहां अष्टयाम, हरे राम संकीर्तन और रास लीलाओं का आयोजन किया जाएगा। इसके साथ आयोजन स्थल को भी भव्य रूप से सजाने की तैयारी की जा रही है।
झाला गांव में आयोजित रास महोत्सव कार्यक्रम के संयोजक नन्द कुमार झा व श्याम सुंदर झा ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर आयोजित होने वाले रास महोत्सव का विशेष महत्व है। राधा कृष्ण की आठ जोड़ी प्रतिमा एक लकड़ी के बने चाक पर तैयार की जाती है और चाक के साथ ही प्रतिमा रास पर बैठाई जाती है। इस दिन पुरुष और महिलाएं विभिन्न नदियों में स्नान कर कार्तिक पूर्णिमा पर्व मनाती हैं। सत्यनारायण भगवान के पूजन से यह महोत्सव आरंभ होता है। फिर 48 घंटे का अष्टयाम संकीर्तन के आयोजन के साथ मेले का आयोजन किया जाता है। इस रास महोत्सव में स्थानीय क्षेत्र के कलाकारों द्वारा रास लीला की प्रस्तुति दी जाती है। इसे देखने नेपाल, बंगाल व आसपास इलाके की भारी भीड़ जुटती है। उन्होंने बताया कि झाला गांव में रास महोत्सव का 100 वर्ष से भी पुराना इतिहास है। बंगाल, नेपाल के अलावे स्थानीय राजवंशी समाज की महिलाएं व पुरुष यहां पूजा अर्चना के लिए आते हैं। इस वर्ष भी यह पर्व धूमधाम से मनाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए मंदिर परिसर को भव्य तरीके से सजाया जा रहा है।

वहीं कुकुरबाघी में आयोजित होने वाली रास महोत्सव कमिटी के आयोजक व पूर्व मुखिया रवीन्द्र चंद्र सिंह बताते हैं कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी गलगलियागछ गांव में रासलीला का आयोजन किया जाएगा। रविवार को वैदिक मंत्र- उच्चारण के साथ इस महोत्सव का शुभारंभ किया जाएगा। नेपाल, पश्चिम बंगाल और आसपास क्षेत्रों के लोग यहां पूजा आराधना करने के लिए आते हैं। लोगों की मान्यता है कि पूजा व मन्नत मांगने पर भगवान कार्तिक सभी की मन्नतें पूरा करते हैं।

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