सारस न्यूज, किशनगंज।
सोमवार को ठाकुरगंज प्रखंड के कालाजार रोग से प्रभावित राजस्व ग्रामों में कालाजार की रोकथाम के लिए सिंथेटिक पाराथाइराइड (एस.पी) घोल का छिड़काव शुरू किया गया। राष्ट्रीय व्यक्ति जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित छिड़काव कर्मियों के छः छिड़काव दलों द्वारा गत वर्ष 2021 व 2022 में इंडेमिक घोषित चार राजस्व ग्राम बेसरबाटी, जिरनगच्छ, चुरली एवं पथरिया में दवा का छिड़काव किया जा रहा है।
इस संबंध में वेक्टर बोर्न डिजीज सुपरवाइजर आशुतोष प्रसाद कात्यायन ने बताया कि कालाजार एक जानलेवा बीमारी है जो कि बालू मक्खी के काटने से होती है। कालाजार फैलाने वाली बालू मक्खी को समाप्त करने का बस एक ही तरीका है सिंथेटिक पारा थायराइड का पूरे घर में सही तरह से छिड़काव करना हैं। उन्होंने बताया कि ठाकुरगंज प्रखंड के चिह्नित उक्त चार राजस्व ग्रामों में कुल 33 कार्य दिवस में 06 सीनियर फील्ड वर्कर और 36 फील्ड वर्कर द्वारा छिड़काव काम पूरा किया जाएगा। इस दौरान कुल 11898 घरों के कुल 59,490 आबादी को इस छिड़काव में कवर करने का लक्ष्य रखा गया है।
इस मौके पर प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक वसंत कुमार ने बताया कि कालाजार उन्मूलन के लिए रोग के वाहक मादा बालू मक्खी का अंत बहुत जरूरी होता है और इसके लिए स्प्रे काफी कारगर उपाय माना जाता है। कालाजार रोग से प्रभावित होने के कारण प्रखंड के चयनित चार राजस्व ग्रामों में 13 जून से प्रथम चक्र छिड़काव कार्य शुरु किया गया है जो 15 जुलाई तक संपन्न किया जाना है। फिर अगस्त माह से अक्टूबर माह के बीच दूसरा व फाइनल चक्र का छिड़काव किया जाएगा। इसकी निगरानी के लिए सुपरवाजर की नियुक्ति भी की गई है।
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अमरेंद्र कुमार ने बताया कि कालाजार विषाणु जनित रोग है जिसका संक्रमण मादा बालू मक्खी के जरिए धीरे-धीरे फैलता है। यह एक बार शरीर में प्रवेश करने पर इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है। कालाजार की जांच दस मिनट में ऑन द स्पॉट हो जाती है। अगर कालाजार पॉजिटिव हुआ तो सिंगल डोज से मरीज को आराम मिल जाता है। एमबिसोमे नामक इंजेक्शन से सिंगल डोज में रोग का इलाज होता है। डब्ल्यूएचओ के सहयोग से यह दवा निःशुल्क प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उपलब्ध है। वहीं इस मौके पर बीसीएम कौशल कुमार, सीनियर फील्ड वर्कर सत्य नारायण विश्वास, कुंदन सिंह, रविंद्र साह, प्रदीप विश्वास, दीपक कुमार, विकास यादव, सुंदर लाल यादव, बासकी नाथ झा आदि सहित फील्ड वर्कर मौजूद थे।