छिड़काव के लिये चिह्नित जिले के 06 में से 03 प्रखंडों में छिड़काव संपन्न।
जिले के कालाजार प्रभावित इलाकों में दवा का छिड़काव जारी है। ज़िले से कालाजार जैसी बीमारी को पूर्ण रूप से मिटाने के लिए कीटनाशक सिन्थेटिक पैराथाइराइड के छिड़काव का अभियान अब पूर्ण होने को है । जिला वेक्टर बॉर्न पदाधिकारी डॉ मंजर आलम ने बताया बीते अगस्त माह से जारी छिड़काव अभियान के क्रम जिले के सात प्रखंडों में से 03 प्रखंडों बहादुरगंज , पोठिया एवं ठाकुरगंज में छिड़काव अभियान पूर्ण हो चुका है। वहीं कोचाधामन, तेधागाछ एवं दिघल्बेंक प्रखंड में आगामी 04 दिनों में अभियान पूर्ण हो जायेगा । गौरतलब है कि वर्ष 2020 से लेकर जून 2023 तक प्रतिवेदित मरीजों की संख्या के आधार पर छिड़काव के लिये राजस्व गांव का चयन किया गया है। छिड़काव अभियान के क्रम में कालाजार के संभावित मरीजों को चिह्नित करने के साथ-साथ कालाजार से बचाव को लेकर आम लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
जिले में कालाजार के मामलों में आयी है कमी :- जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ अजय कुमार सिंह ने बताया कि जिले में कालाजार लगभग खत्म होने की स्थिति में है। कालाजार बालू मक्खी की वजह से होता है। जिले में बालू मक्खी का प्रकोप बेहद सीमित हो चुका है। बावजूद इसके एहतियातन दवा का छिड़काव जारी है। छिड़काव अभियान के क्रम में कालाजार प्रभावित चिह्नित इलाकों में बालू मक्खी पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर सिंथेटिक पैराथायराइड दवा का छिड़काव किया जा रहा है। संभावित मरीजों को चिह्नित करने का कार्य भी साथ-साथ संचालित किया जा रहा है। जिले से कालाजार जैसी बीमारी को खत्म करने के उद्देश्य से छिड़काव को लेकर जिले के 06 प्रखंडों का चयन किया गया था । उन्होंने बताया कि सिंथेटिक पैराथाइराइड छिड़काव के लिए 14 टीम को लगाया गया था । जिसमें एक टीम में 6 सदस्यों को शामिल कर 6 प्रखंडों के 28 आक्रांत राजस्व गांवों में 2,58 ,290 जनसंख्या वाले 51,496 घरों के 124,503 कमरे में सिंथेटिक पैराथाइराइड कीटनाशक दवा का छिड़काव किये जाने का लक्ष्य था । उन्होंने बताया कि 15 दिन से अधिक समय तक बुखार रहना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। भूख की कमी, पेट का आकार बड़ा होना, शरीर का काला पड़ना रोग संबंधी लक्षणों में शुमार है। जिले के सभी पीएचसी में कालाजार की जांच व उपचार का पर्याप्त इंतजाम उपलब्ध है। सरकारी अस्पताल में इलाज कराने पर मरीजों को श्रम क्षतिपूर्ति राशि के रूप में सरकार द्वारा 7100 सौ रुपये व पीकेडीएल मरीजों को पूर्ण उपचार के बाद सरकार द्वारा 4000 रुपये श्रम क्षतिपूर्ति राशि के रूप में उपलब्ध कराने का प्रावधान है।
बालू मक्खी को जड़ से समाप्त करने को लेकर कराया जाता है छिड़काव :- सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया जिले में कालाजार के मामले लगातार कम हो रहे हैं। वर्ष 2022 में जिले में 17 वीएल व पीकेडीएल के 05 मरीज मिले थे। वहीं वर्ष 2023 में अब तक वीएल के 05 व पीकेडीएल के 01 मरीज मिले हैं। उन्होंने बताया कि बालू मक्खी के काटने से कालाजार बीमारी फैलती है। एसपी पाउडर के छिड़काव से ही बालू मक्खी के प्रभाव को पूर्ण रूप से खत्म किया जा सकता है। जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार छिड़काव किया जाता है। ताकि बालू मक्खी को जड़ से समाप्त किया जा सके। कालाजार के लक्षण मिलने के साथ ही नजदीकी सरकारी अस्पतालों में जांच करानी चाहिए। उसके बाद ही विशेषज्ञ चिकित्सकों की सलाह के अनुसार इलाज कराएं। सरकारी अस्पतालों में जांच एवं इलाज की मुफ्त व समुचित व्यवस्था उपलब्ध है। साथ ही इस बीमारी से बचने के लिए जमीन पर नहीं सोएं। मच्छरदानी का प्रयोग नियमित रूप से करना चाहिए।
राहुल कुमार, सारस न्यूज, किशनगंज।
छिड़काव के लिये चिह्नित जिले के 06 में से 03 प्रखंडों में छिड़काव संपन्न।
जिले के कालाजार प्रभावित इलाकों में दवा का छिड़काव जारी है। ज़िले से कालाजार जैसी बीमारी को पूर्ण रूप से मिटाने के लिए कीटनाशक सिन्थेटिक पैराथाइराइड के छिड़काव का अभियान अब पूर्ण होने को है । जिला वेक्टर बॉर्न पदाधिकारी डॉ मंजर आलम ने बताया बीते अगस्त माह से जारी छिड़काव अभियान के क्रम जिले के सात प्रखंडों में से 03 प्रखंडों बहादुरगंज , पोठिया एवं ठाकुरगंज में छिड़काव अभियान पूर्ण हो चुका है। वहीं कोचाधामन, तेधागाछ एवं दिघल्बेंक प्रखंड में आगामी 04 दिनों में अभियान पूर्ण हो जायेगा । गौरतलब है कि वर्ष 2020 से लेकर जून 2023 तक प्रतिवेदित मरीजों की संख्या के आधार पर छिड़काव के लिये राजस्व गांव का चयन किया गया है। छिड़काव अभियान के क्रम में कालाजार के संभावित मरीजों को चिह्नित करने के साथ-साथ कालाजार से बचाव को लेकर आम लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
जिले में कालाजार के मामलों में आयी है कमी :- जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ अजय कुमार सिंह ने बताया कि जिले में कालाजार लगभग खत्म होने की स्थिति में है। कालाजार बालू मक्खी की वजह से होता है। जिले में बालू मक्खी का प्रकोप बेहद सीमित हो चुका है। बावजूद इसके एहतियातन दवा का छिड़काव जारी है। छिड़काव अभियान के क्रम में कालाजार प्रभावित चिह्नित इलाकों में बालू मक्खी पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर सिंथेटिक पैराथायराइड दवा का छिड़काव किया जा रहा है। संभावित मरीजों को चिह्नित करने का कार्य भी साथ-साथ संचालित किया जा रहा है। जिले से कालाजार जैसी बीमारी को खत्म करने के उद्देश्य से छिड़काव को लेकर जिले के 06 प्रखंडों का चयन किया गया था । उन्होंने बताया कि सिंथेटिक पैराथाइराइड छिड़काव के लिए 14 टीम को लगाया गया था । जिसमें एक टीम में 6 सदस्यों को शामिल कर 6 प्रखंडों के 28 आक्रांत राजस्व गांवों में 2,58 ,290 जनसंख्या वाले 51,496 घरों के 124,503 कमरे में सिंथेटिक पैराथाइराइड कीटनाशक दवा का छिड़काव किये जाने का लक्ष्य था । उन्होंने बताया कि 15 दिन से अधिक समय तक बुखार रहना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। भूख की कमी, पेट का आकार बड़ा होना, शरीर का काला पड़ना रोग संबंधी लक्षणों में शुमार है। जिले के सभी पीएचसी में कालाजार की जांच व उपचार का पर्याप्त इंतजाम उपलब्ध है। सरकारी अस्पताल में इलाज कराने पर मरीजों को श्रम क्षतिपूर्ति राशि के रूप में सरकार द्वारा 7100 सौ रुपये व पीकेडीएल मरीजों को पूर्ण उपचार के बाद सरकार द्वारा 4000 रुपये श्रम क्षतिपूर्ति राशि के रूप में उपलब्ध कराने का प्रावधान है।
बालू मक्खी को जड़ से समाप्त करने को लेकर कराया जाता है छिड़काव :- सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया जिले में कालाजार के मामले लगातार कम हो रहे हैं। वर्ष 2022 में जिले में 17 वीएल व पीकेडीएल के 05 मरीज मिले थे। वहीं वर्ष 2023 में अब तक वीएल के 05 व पीकेडीएल के 01 मरीज मिले हैं। उन्होंने बताया कि बालू मक्खी के काटने से कालाजार बीमारी फैलती है। एसपी पाउडर के छिड़काव से ही बालू मक्खी के प्रभाव को पूर्ण रूप से खत्म किया जा सकता है। जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार छिड़काव किया जाता है। ताकि बालू मक्खी को जड़ से समाप्त किया जा सके। कालाजार के लक्षण मिलने के साथ ही नजदीकी सरकारी अस्पतालों में जांच करानी चाहिए। उसके बाद ही विशेषज्ञ चिकित्सकों की सलाह के अनुसार इलाज कराएं। सरकारी अस्पतालों में जांच एवं इलाज की मुफ्त व समुचित व्यवस्था उपलब्ध है। साथ ही इस बीमारी से बचने के लिए जमीन पर नहीं सोएं। मच्छरदानी का प्रयोग नियमित रूप से करना चाहिए।
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