सारस न्यूज, ठाकुरगंज।
बिहार सरकार की ज़मीन व नदियों से अवैध मिट्टी खनन से नदी का रुख लगातार बदलता जा रहा है। वहीं नदियों से सटे हुए ग्रामीणों के सिर पर खतरा मंडराता नजर आ रहा है। सुरक्षा की दृष्टिकोण से पुलिस थाने भी बनाए गए हैं। साथ ही तरह-तरह के एजेंसी भी सुरक्षा के दृष्टिकोण से कार्य कर रही है उसके बावजूद भी ठाकुरगंज प्रखंड के बेसरबाटी, कुकुरबाघी, सखुआडाली के नदी व भातगांव पंचायत अंतर्गत मेची नदी सहित सीमावर्ती क्षेत्रों के अन्य घाटों में अवैध बालू खनन करने वालों की बालू के रूप में चांदी कटाई हो रही है बिना लागत के अवैध बालू व मिट्टी से अवैध कारोबारी मालामाल हो रहे हैं, और नदी से सटे ग्रामीणों के लिए खतरा मंडराता ही जा रहा है। यह कहना गलत नहीं होगा कि हर साल सीमावर्ती क्षेत्रों की नदी की धारा यहां की आबादी को बर्बाद कर रही है। लोग अपने घरों से पलायन करने को मजबूर हो जाते हैं। कारण नदी की धारा अपना रुख बदल कर विकराल रूप ले लेती है। हल्की सी सुखारी होने के बाद बालू के अवैध कारोबारी नदी में जाकर अवैध बालू का खनन करते हैं इसके अलावा अवैध मिट्टी का भी खनन करते हैं जिससे सैकड़ों एकड़ कृषि की भूमि बर्बाद हो जाती है और नदियां अपना रुख बदल कर वहां के बसे हुए ग्रामीणों को बर्बाद कर देती है। ग्रामीणों में दबंग बालू मिट्टी माफिया का इतना भय है कि अवैध मिट्टी बालू उठाने वालों के खिलाफ आवाज तक नहीं उठा पाते हैं, और बालू का, मिट्टी का अवैध खनन करते हैं और सड़क बनाने वाली निर्माण एजेंसियों को बेच दिया जाता है। बेचकर वह अपना तो काम कर लेते हैं परंतु वहां के स्थानीय लोगों के लिए मुसीबत छोड़ कर चले जाते हैं। बालू मिट्टी कारोबारियों के द्वारा प्रत्येक दिन नदी से अवैध बालू मिट्टी का उठाव किया जाता है ऐसे में नदी से अवैध बालू उठाव के कारण राजस्व का घाटा तो सरकार को पहुंचता है और मुफ्त के बालुओं को भारी कीमतों में सड़क निर्माण एजेंसियों सहित ग्रामीणों को बेच दी जाती है। इस संबंध में जब खनन पदाधिकारी बीना कुमारी से दूरभाष पर बात की गई तो उन्होंने पत्रकार को ही लिखित आवेदन देने की बात कहने लगीं, यानी सवाल यह उठता है कि पत्रकार अगर लिखित आवेदन देगा तभी कार्रवाई होगी ऐसे कार्रवाई नहीं होगी? जिस तरह नियमों को ताक पर रखकर अवैध रूप से राजस्व की चोरी की जा रही है, जिम्मेदार अधिकारी को सूचना देने पर लिखित शिकायत करने की बात करती है। सवाल यह खड़ा होता है कि लिखित शिकायत देने पर ही अधिकारी कार्रवाई करेंगे? इसमें देखने वाली बात यह होगी कि अधिकारी इस पर कार्रवाई करती है या नही।