सारस न्यूज, किशनगंज।
गुरुवार को पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफ रेलवे) मालेगांव के जनरल मैनेजर (कार्य) सतीश कुमार पांडे ने गलगलिया – अररिया न्यू बीजी रेल परियोजना के तहत तक चल रही प्रस्तावित निर्माण कार्य की प्रगति का निरीक्षण किया। जीएम (कार्य) सतीश कुमार पांडे ने मालेगांव जोन एवं कटिहार डिवीजन के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ निरीक्षण ट्रेन से सुबह नौ बजे ठाकुरगंज स्टेशन पहुंचे। जीएम (कार्य) के साथ अधिकारियों का काफिला उक्त नई रेल लाईन परियोजना के कार्य का जायजा लिया। सबसे पहले सतीश कुमार पांडे ने रेल लाइन निरीक्षण की शुरुआत ठाकुरगंज रेलवे स्टेशन से प्रारंभ की।
गलगलिया – अररिया रेलखंड अंतर्गत ठाकुरगंज स्टेशन से किस तरह लिंक किया जाए, इस बात की चर्चा मौके पर मौजुद रेल के वरीय अभियंताओं एवं अधिकारियों के साथ ऑन द स्पॉट संबंधित प्लान चार्ट का अध्ययन किया एवं सभी को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। इसके बाद जीएम कार्य सतीश कुमार पांडे ने पैदल मार्च करते हुए बड़ी बारीकी से उक्त रेलखंड में ठाकुरगंज रेलवे स्टेशन से बिछाए जा रहे रेलवे पटरी कार्य का सघन निरीक्षण किया। इसके उपरांत उन्होंने पावर हाउस के समीप एनएच 327 ई पर बन रहे रेल ब्रिज निर्माण कार्य का जायजा लिया और ब्रिज निर्माण से जुड़े अभियंताओं से पुरे प्रोजेक्ट की जानकारी ली और संबंधित संवेदक को यथाशीघ्र मानक के अनुरूप निर्माण कार्य को पूर्ण करने का निर्देश दिया। इसके बाद उनका काफिला पौआखाली के लिए रवाना हुआ जहां बन रहे नए स्टेशन बिल्डिंग का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि रेलवे ने ठाकुरगंज से पौआखाली तक करीब 25 किमी रेल लाईन पर मार्च 2024 तक ट्रेन चलाने का टारगेट निर्माण एजेंसी को दिया है। इसी को लेकर उक्त रेल परियोजना का निरीक्षण करते हुए जायजा के लिए दौरा किया जा रहा है। उन्होंने इस दौरान स्पस्ट शब्दों में निर्माण एजेंसी को चेताया कि कार्य की गुणवत्ता को लेकर रेलवे कोई समझौता नहीं करेगी। अभी इस रेलखंड में ठाकुरगंज से पौआखाली के बीच रेल ट्रैक बिछाने की योजना को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है।
ज्ञात हो कि अररिया-गलगलिया वित्तीय रेल वजट वर्ष 2006-07 में तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने 107.12 किलोमीटर गलगलिया-अररिया रेल परियोजना की मंजूरी दी थी एवं 10 जुलाई 2007 को ठाकुरगंज गांधी मैदान में उक्त रेल परियोजना का शिलान्यास किया गया था। उस वक्त पूर्व केंद्रीय मंत्री मो तस्लीमुद्दीन ने सीमांचल की इस महत्वाकांक्षी रेलपरियोजना को बजट में शामिल कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पर उक्त परियोजना फाइल में पड़ी हुई थी। पर उसके बाद वर्तमान केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2006-07 में 529.38 करोड़ की लागत से प्रस्तावित इस रेल परियोजना को पूर्ण करने के उद्देश्य हेतु वर्तमान केंद्र सरकार ने गत चार वर्ष पूर्व जमीन अधिग्रहण के लिए सीमांचल की इस महत्वाकांक्षी योजना को भरपूर पैसा दिया था और अभि यह रेल परियोजना का निर्माण कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। जानकारी के मुताबिक इस प्रोजेक्ट की लागत पूर्व में करीब 530 करोड़ रुपए थी, जो अब बढ़कर 2145 करोड़ रुपये हो गई है।
लोगों की यह आशा है कि इस रेल परियोजना से किशनगंज एवं अररिया जिला समेत सीमांचल व मिथिलांचल के अन्य जिलों का पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले होते हुए नॉर्थ ईस्ट के राज्यों व तथा पड़ोसी देश नेपाल के लगभग 50 लाख से भी अधिक आबादी सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे।