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जनता कर रही इंतजार, कब होगा महानन्दा पुल का जीर्णोद्धार

बीरबल महतो द्वारा महानंदा पुल पर किये अध्ययन पर आधारित एक्सक्लूसिव रिपोर्ट.
किशनगंज-तैयबपुर-ठाकुरगंज- गलगलिया (केटीटीजी) सड़क मार्ग खरना गांव के समीप महानंदा नदी पर बना ब्रिटिश जमाने का पुल 108 साल पुराना होने के कारण जर्जर हो चुका है। ठाकुरगंज को जिला मुख्यालय किशनगंज सहित राज्य के अन्य शहरों को यह पुल जोड़ती है। भारी वाहन गुजरने पर पुल हिलने लगता है। यूं कहे कि लोग जान हथेली पर लेकर इससे होकर आवाजाही करते हैं।इस मार्ग में ट्रैफिक बढ़ने व वर्तमान पुल एक लेन होने के कारण आए दिन भारी जाम की समस्या से भी राहगीरों को रुबरु होना पड़ता है। लेकिन इस दिशा में न तो जनप्रतिनिधि और न ही प्रशासन की ओर से कोई ठोस प्रयास किए जा रहे है। हालांकि इस नदी पर नए पुल निर्माण के लिए करीब पांच वर्ष पूर्व मिट्टी जांच कराए गए थे।जिससे आमजनों में आस जगी कि अब पुल का निर्माण कार्य अतिशीघ्र शुरू होगा। लेकिन अब तक यह विभागीय पेंच में फंसा हुआ है।बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के अधिकारी की मानें तो मिट्टी जांच के बाद इसका डीपीआर तैयार कर तकनीकी स्वीकृति के लिए विभाग को भेजा गया है। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद ही पुल निर्माण की दिशा में कदम बढ़ सकेगा। वर्ष 1913 में हुआ था निर्माण
महानन्दा नदी पर बने पुल पर अंकित सूचना के मुताबिक इस पुल का निर्माण वर्ष 1913 में ब्रिटिश शासन के दौरान वर्ण एन्ड कंपनी लिमिटेड, हावड़ा (पश्चिम बंगाल) की कंपनी ने कराया था। जानकारी अनुसार पहले इस पुल का निर्माण दार्जिलिंग-हिमालयन रेलमार्ग के तहत नैरो गेज की रेलगाड़ियां चलाने के लिए किया गया था। इसके बाद असम रेलवे लिंक प्रोजेक्ट (एआरएलपी) के तहत जब नैरो गेज को मीटर गेज के रुप में अमान परिवर्तन किया गया तब इस स्थान से 50 मीटर उत्तर महानंदा नदी पर मीटर गेज के लिए वर्ष 1949 में रेल पुल का निर्माण कराया गया। जिसमें वर्तमान में ब्रॉड गेज की ट्रेन चल रही है। रेलवे सूत्रों के अनुसार दार्जिलिंग-हिमालयन रेल मार्ग के तहत नेरो गेज में रेलगाड़ियां सन 1881 ई. से सिलीगुड़ी तक चल रही थी। वर्ष 1915 ई. में इसमें बढ़ोत्तरी कर ठाकुरगंज होते हुए किशनगंज तक किया गया था। जब 1949 ई. में असम रेलवे लिंक प्रोजेक्ट (एआरएलपी) के तहत मीटर गेज के लिए ट्रेन का परिचालन प्रारंभ हुआ तब नेरो गेज वाले महानंदा नदी पर बने पुल को आम जनता के आवागमन के लिए सड़क मार्ग से वर्ष 1950 ई. को जोड़ दिया गया। जो आज पथ निर्माण विभाग, किशनगंज के तहत केटीटीजी रोड से जुड़ा हुआ है।



विभागीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक करीब पांच वर्ष पूर्व बिहार राज्य पुल निर्माण निगम द्वारा मिट्टी परीक्षण कर करीब 25 करोड़ की लागत से विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (डीपीआर) तैयार कर तकनीकी स्वीकृति के लिए पथ निर्माण विभाग, बिहार को सुपुर्द किया गया है।विभागीय स्वीकृति मिलने के बाद ही पुल निर्माण की दिशा में कदम बढ़ाए जा सकते हैं।
(बीरबल महतो, ठाकुरगंज.कॉम के लिए)

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