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जन वितरण प्रणाली के विक्रेताओं ने अपनी समस्याओं को ले खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री लेसी सिंह को सौंपा मांग पत्र।

सारस न्यूज, किशनगंज।

फेयर प्राइस डीलर एसोसिएशन के प्रदेश संगठन मंत्री सह जिला महामंत्री सलीमुद्दीन के नेतृत्व में जन वितरण प्रणाली के विक्रेताओं ने अपनी समस्याओं को ले खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री लेसी सिंह को मांग पत्र सौंपा। बुधवार को जदयू द्वारा आयोजित विरासत की हिफाजत के तहत कारवाने – इत्तेहाद व भाईचारा कार्यक्रम में मंत्री लेसी सिंह ठाकुरगंज पहुंची थी, इसी दौरान डीलर एसोसिएशन ने मांग पत्र सौंपते हुए डीलरों की दयनीय हालत को सुधारने की गुहार लगाई। मांग पत्र के बाबत सलीमुद्दीन ने बताया कि जन वितरण प्रणाली के विक्रेताओं को मात्र 90 रूपया प्रति क्विंटल कमीशन मिलता है। अनुमानित 80 से 100 क्विंटल अनाज एक विक्रेता वितरण कर रहा है। जिसका कमीशन मात्र 7 से 9 हजार रूपया बनता है। किरोसीन तेल में वर्षों से मात्र 1 रूपया प्रति लीटर कमीशन मिल रहा है जो इसकी दुलाई खर्च में ही खत्म हो जाता है। किरोसीन आज के तारीख में सबसे निचले पायदान के उपभोक्ता के उपयोग का वस्तु रह गया है। दाम में विगत वर्षो से काफी वृद्धि के कारण उपभोक्ता विक्रेता से किरासन नहीं ले जाते है। खाद्यान्न विक्रेताओं को डीएसडी द्वारा गोदाम से वजन कर नहीं दिया जाता है। गेहूँ का बोरा 51 किलो चावल का बोरा 50 किलो के हिसाब से दिया जाता है। बिहार स्टेट फुड एण्ड सिविल सप्लाईज कॉर्पोरेशन लिमिटेड कार्यालय किशनगंज का आदेश निकला हुआ है कि विक्रेताओं को गोदाम नहीं जाना है। इसके बावजूद विक्रेताओं को गोदाम में बुलाया जाता है। डोर स्टेप डिलीवरी के नाम पर मात्र खानापूर्ति हो रही है। बार-बार शिकायत करने पर भी विक्रेताओं को अनाज वजन कर के नहीं दिया जाता है। बोरा का वजन 580 ग्राम कुल वजन 50 किलो 580 ग्राम देना है। वजन करके नहीं देने के बावजूद विक्रेताओं से सही माप का प्रमाण पत्र में हस्ताक्षर लिया जाता है।

उन्होंने बताया कि कई केन्द्रशासित राज्य एवं राज्यों में विक्रेताओं को 150 से 200 रूपया प्रति क्विंटल दिया जाता है। बिहार में मात्र हमें 90 रूपया मिलता है। किशनगंज जिले के राइस मिलों से तैयार उसना चावल अन्य जिलों में भेजा जा रहा है। हमारे जिले का उपभोक्ता दैनिक उपयोग में उसना चावल का उपयोग करता है। फिर भी किशनगंज जिला में ज्यादातर अड़वा चावल दिया जाता है। भारत सरकार द्वारा सामान्य श्रेणी के राज्यों के लिए 21 रूपया प्रति क्विंटल के दर से ईपोओएस उपकरणों के माध्यम से खाद्यान्न वितरण हेतु प्रदान किया जाता है। 1500 रूपया से सेवा देने वाले शिक्षक को आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 40,000 (चालीस हजार) रूपया दे रहे है। वहीं हम विक्रेताओं को हाशिए में खड़ा कर रखा है। हम जन वितरण विक्रेता विभिन्न परिस्थितियों में सरकार का हमेशा सहयोग करते आ रहे है। चाहे वो करोना काल हो या आधार साडिंग या हाथ से हाथ मिलाना, फिर भी हम विक्रेताओं के लिए किसी तरह की घोषणा नहीं हो पा रही है। इस महंगाई में हमें घर चलाना भी मुश्किल हो रहा है। किसानों की तरह जन वितरण विक्रेता आर्थिक तंगी से तंग आकर आत्महत्या करने को विवश हो जाता है। उन्होंने कहा कि हमारी माँगे यह है कि पूर्व के भाँति अनुकम्पा को बहाल किया जाय, 30 हजार रूपया मानदेय या 300 रूपया प्रति क्विंटल दिया जाय। वन नेशन वन कमीशन लागू है। हेन्डलिंग लॉस प्रति क्विंटल 2 किलो दिया जाय। प्रत्येक गोदाम में धर्मकांटा अधिष्ठापन लगाया जाय। विक्रताओं के आकस्मिक देहान्त पर तत्काल परिवार के सदस्य को 5 लाख रूपया दिया जाय। असहाय रोगी के उपचार हेतु सरकारी खर्च का प्रावधान किया जाय। हम विक्रताओं को किसी भी सरकारी कार्य में न लगाया जाय। किरासन तेल का कमीशन 1 रूपया से बढ़ाकर कम से कम 5 रूपया प्रति लीटर किया जाय। ईपोओएस से वितरण करने के एवज में बकाया 21 रूपया प्रति क्विंटल का भुगतान किया जाय। इण्डियन बैंक में जमा राशि विक्रताओं को वापस किया जाय। ईपोओएस मशीन में विभाग द्वारा गलत ढंग से चढ़ाया गया खाद्यान्न को हटाया जाय।

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