बासनडूब्बी से धमालगच्छ के बीच में पुल निर्माण नहीं होने से शिक्षा ग्रहण करने बच्चे जाते हैं बंगाल, ग्रामीणों ने किया पुल निर्माण का मांग।
किशनगंज जिले के ठाकुरगंज प्रखंड अंतर्गत कुकुरबागी पंचायत के बासनडूब्बी गांव होकर बहने वाली मेची नदी पर बासनडूब्बी से धमालगच्छ के बीच में पुल निर्माण की मांग को लेकर लोगों ने किया विरोध प्रदर्शन। एक तरफ देश आजादी के 75वी वर्षगांठ मनाकर 76वी वर्षगांठ पर प्रवेश की यानि आजादी के 76 साल बाद भी आज भी लोग मूलभूत सुविधा से वंचित है।
वार्ड 7, 8, 12 अन्य वार्ड एवं सहनी टोला, झोडागच्छ आदिवासी टोला, राजवंशी टोला, बसनडुब्बी, कटहलबाड़ी, पहनटोला, निकनागच्छ इत्यादि गांव के ग्रामीणों ने विगत 10 वर्षों से पुल निर्माण की मांग मेची नदी पर करते आ रहे हैं मगर अब तक लोगों को पुल निर्माण नहीं होने से काफी नाराज व्यक्त करते हुए समिति अशिसता तिग्गा, ओसीन तिर्की, रमेश बड़ा, बैनामा लकड़ा, निखिल खलखो, सुनीता लकड़ा, सुशीला एक्का, फिरोज एक्का, वीरेन सिंह, गोपाल महतो, रीना लकड़ा, रामीजूस लकड़ा, विनोद महतो, प्रीतम महतों, सरस्वती देवी, पूनम देवी, मिथिला महतों, सोबिद महतों, किशन बाबू पासवान, मंजो देवी, अन्य ग्रामीणों ने एक सुर में कहा कि जब चुनाव का समय आता है तो सांसद, विधायक, जिला परिषद एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि पुल निर्माण की मांग पूरे करने की बात कह कर वोट ले लेते हैं। मगर जीत जाने के बाद दोबारा क्षेत्र में चेहरा दिखाने तक नहीं आते हैं। हम ग्रामवासी 10 साल से इस मेची नदी के तट पर पुल निर्माण की मांग कर रहे हैं मगर अब तक हम लोगों की न स्थानीय जनप्रतिनिधि सुना, न सरकार और न ही जिला प्रशासन सुना, आश्वासन के सिवा आज तक हम लोगों को कुछ नहीं मिला। पुल निर्माण नहीं होने से इस गांव के बच्चे बंगाल में शिक्षा ग्रहण करने जाते हैं। सारी सुविधा मुहैया कराने के बावजूद पुल के अभाव के कारण इस गांव के छात्र-छात्राएं पड़ोसी राज्य बंगाल में शिक्षा ग्रहण करते हैं। ग्रामीण सुनीता लकड़ा, झुमा देवी, जोशना देवी, आनंद महतो, अन्य ने कहा कि पुल निर्माण को लेकर कई बार इंजीनियरिंग के द्वारा स्थल का निरीक्षण भी किया गया परंतु अब तक पुल निर्माण नहीं हुआ। अगर जल्द ही मेची नदी के तट पर पुल निर्माण की मांग पूरी नहीं की जाती है तो हम सब ग्रामीण मिलकर अनशन पर बैठ जाएंगे।
बिहार सरकार की विकास की पोल खोलती इस पंचायत की तस्वीर देखकर आप भी कहेंगे कि बिहार में बहार है सुशासन की सरकार है। हमने सत्ता चेंज होते हुए अपनी आंखों से देखा हमने क्षेत्र की जनप्रतिनिधियों को चेंज होते अपनी आंखों से देखा अधिकारियों को चेंज होते अपनी आंखों से देखा मगर आज तक कुकुर बागी पंचायत की तस्वीरों को चेंज होते नहीं देखा आखिर कब चेंज होगी कुकुरबागी पंचायत की तस्वीर।
बिहार सरकार की विकास की पोल खोलती इस पंचायत के ग्रामीणों से मिलिए और इनका दर्द समझने की कोशिश कीजिए पुल निर्माण नहीं होने से यहां के ग्रामीणों को इलाज के लिए पड़ोसी राज्य बंगाल जाना पड़ता है पुल निर्माण नहीं होने से यहां के ग्रामीणों को अपने बच्चों को शिक्षा ग्रहण कराने के लिए बंगाल भेजना पड़ता है। यानी रहते हैं बिहार में शिक्षा ग्रहण करते हैं बंगाल में, रहते हैं बिहार में स्वास्थ्य सुविधा का लाभ उठाते हैं बंगाल में, इन सारे सवालों के पीछे सिर्फ एक ही कारण है कि मैंची नदी के तट पर पुल निर्माण नहीं होना अगर पुल निर्माण हो जाएगी तो यहां के ग्रामीणों को अपने बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए पड़ोसी राज्य बंगाल और स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ लेने के लिए पड़ोसी राज्य नहीं जाना पड़ेगा अगर सही समय पर सरकार ध्यान दे-दे तो इस पंचायत की तस्वीर बदल सकती है।
शशि कोशी रोक्का, सारस न्यूज़, किशनगंज।
बासनडूब्बी से धमालगच्छ के बीच में पुल निर्माण नहीं होने से शिक्षा ग्रहण करने बच्चे जाते हैं बंगाल, ग्रामीणों ने किया पुल निर्माण का मांग।
किशनगंज जिले के ठाकुरगंज प्रखंड अंतर्गत कुकुरबागी पंचायत के बासनडूब्बी गांव होकर बहने वाली मेची नदी पर बासनडूब्बी से धमालगच्छ के बीच में पुल निर्माण की मांग को लेकर लोगों ने किया विरोध प्रदर्शन। एक तरफ देश आजादी के 75वी वर्षगांठ मनाकर 76वी वर्षगांठ पर प्रवेश की यानि आजादी के 76 साल बाद भी आज भी लोग मूलभूत सुविधा से वंचित है।
वार्ड 7, 8, 12 अन्य वार्ड एवं सहनी टोला, झोडागच्छ आदिवासी टोला, राजवंशी टोला, बसनडुब्बी, कटहलबाड़ी, पहनटोला, निकनागच्छ इत्यादि गांव के ग्रामीणों ने विगत 10 वर्षों से पुल निर्माण की मांग मेची नदी पर करते आ रहे हैं मगर अब तक लोगों को पुल निर्माण नहीं होने से काफी नाराज व्यक्त करते हुए समिति अशिसता तिग्गा, ओसीन तिर्की, रमेश बड़ा, बैनामा लकड़ा, निखिल खलखो, सुनीता लकड़ा, सुशीला एक्का, फिरोज एक्का, वीरेन सिंह, गोपाल महतो, रीना लकड़ा, रामीजूस लकड़ा, विनोद महतो, प्रीतम महतों, सरस्वती देवी, पूनम देवी, मिथिला महतों, सोबिद महतों, किशन बाबू पासवान, मंजो देवी, अन्य ग्रामीणों ने एक सुर में कहा कि जब चुनाव का समय आता है तो सांसद, विधायक, जिला परिषद एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि पुल निर्माण की मांग पूरे करने की बात कह कर वोट ले लेते हैं। मगर जीत जाने के बाद दोबारा क्षेत्र में चेहरा दिखाने तक नहीं आते हैं। हम ग्रामवासी 10 साल से इस मेची नदी के तट पर पुल निर्माण की मांग कर रहे हैं मगर अब तक हम लोगों की न स्थानीय जनप्रतिनिधि सुना, न सरकार और न ही जिला प्रशासन सुना, आश्वासन के सिवा आज तक हम लोगों को कुछ नहीं मिला। पुल निर्माण नहीं होने से इस गांव के बच्चे बंगाल में शिक्षा ग्रहण करने जाते हैं। सारी सुविधा मुहैया कराने के बावजूद पुल के अभाव के कारण इस गांव के छात्र-छात्राएं पड़ोसी राज्य बंगाल में शिक्षा ग्रहण करते हैं। ग्रामीण सुनीता लकड़ा, झुमा देवी, जोशना देवी, आनंद महतो, अन्य ने कहा कि पुल निर्माण को लेकर कई बार इंजीनियरिंग के द्वारा स्थल का निरीक्षण भी किया गया परंतु अब तक पुल निर्माण नहीं हुआ। अगर जल्द ही मेची नदी के तट पर पुल निर्माण की मांग पूरी नहीं की जाती है तो हम सब ग्रामीण मिलकर अनशन पर बैठ जाएंगे।
बिहार सरकार की विकास की पोल खोलती इस पंचायत की तस्वीर देखकर आप भी कहेंगे कि बिहार में बहार है सुशासन की सरकार है। हमने सत्ता चेंज होते हुए अपनी आंखों से देखा हमने क्षेत्र की जनप्रतिनिधियों को चेंज होते अपनी आंखों से देखा अधिकारियों को चेंज होते अपनी आंखों से देखा मगर आज तक कुकुर बागी पंचायत की तस्वीरों को चेंज होते नहीं देखा आखिर कब चेंज होगी कुकुरबागी पंचायत की तस्वीर।
बिहार सरकार की विकास की पोल खोलती इस पंचायत के ग्रामीणों से मिलिए और इनका दर्द समझने की कोशिश कीजिए पुल निर्माण नहीं होने से यहां के ग्रामीणों को इलाज के लिए पड़ोसी राज्य बंगाल जाना पड़ता है पुल निर्माण नहीं होने से यहां के ग्रामीणों को अपने बच्चों को शिक्षा ग्रहण कराने के लिए बंगाल भेजना पड़ता है। यानी रहते हैं बिहार में शिक्षा ग्रहण करते हैं बंगाल में, रहते हैं बिहार में स्वास्थ्य सुविधा का लाभ उठाते हैं बंगाल में, इन सारे सवालों के पीछे सिर्फ एक ही कारण है कि मैंची नदी के तट पर पुल निर्माण नहीं होना अगर पुल निर्माण हो जाएगी तो यहां के ग्रामीणों को अपने बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए पड़ोसी राज्य बंगाल और स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ लेने के लिए पड़ोसी राज्य नहीं जाना पड़ेगा अगर सही समय पर सरकार ध्यान दे-दे तो इस पंचायत की तस्वीर बदल सकती है।
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