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ठाकुरगंज कॉलेज के शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों ने प्रभारी प्राचार्य के खिलाफ वित्तीय अनियमितता का लगाया आरोप, पद से हटाने की मांग।

सारस न्यूज, किशनगंज।

ठाकुरगंज स्थित मो हुसैन आजाद नेशनल डिग्री कॉलेज में कार्यरत शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों ने प्रभारी प्राचार्य मो अबरार आलम के खिलाफ कॉलेज में वित्तीय अनियमितता, विद्यार्थियों से अवैध उगाही, आंतरिक श्रोतों एवं सरकार द्वारा देय अनुदान राशि वितरित नहीं करने, वरीय शिक्षकों को सम्मान न देने, कॉलेज की उपस्थिति पंजी से छेड़छाड़ करने जैसे कई आरोप लगाते हुए इन्हें पद से हटाने की मांग की हैं। सोमवार को कॉलेज में कार्यरत 25 शिक्षकों में से 22 शिक्षकों ने कॉलेज प्रांगण में भूगोल के व्याख्याता सह वरीय शिक्षक मो जिकरूल हक की अध्यक्षता में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर तदर्थ कमिटी के अध्यक्ष, सचिव व पूर्णिया विश्वविद्यालय पूर्णिया आदि से अविलंब प्रभारी प्राचार्य मो अबरार आलम को हटाने की मांग की हैं।

सर्वप्रथम प्रो लाल मोहम्मद ने कहा कि उपरोक्त संबंध में तदर्थ कमिटी के अध्यक्ष सह स्थानीय सांसद डॉ मो. हुसैन आजाद एवं सचिव सह एडीएम अमिताभ कुमार गुप्ता को पत्र लिखकर प्रभारी प्राचार्य मो अबरार आलम को अविलंब हटाए जाने की मांग की है। उन्होंने बताया कि कॉलेज स्थापना के 46 साल में यह पहला मौका है कि सभी शिक्षकों को एक साथ बैठकर मीडिया के सामने अपनी समस्याओं को रखना पड़ रहा हैं। उन्होंने बताया कि कॉलेज में घोर अनियमितता बरती जा रही है। वरीय शिक्षक के रहने के बावजूद भी जो व्यक्ति प्राचार्य के काबिल नहीं है, उन्हें ही प्राचार्य बना दिया गया। प्राचार्य द्वारा छात्र- छात्राओं से सीएलसी, बोनाफाइड सर्टिफिकेट, ऑनलाइन एप्लीकेशन आदि विभिन्न कार्यों में अवैध पैसे की उगाही की जाती है। शिक्षा हित में इन्हें हटाया जाना अतिआवश्यक हैं।

प्रो दिलीप कुमार यादव ने बताया कि कॉलेज का निर्माण हमारे बुजुर्गों ने बच्चों के भविष्य निर्माण के लिए की गई थी। स्थानीय छात्र – छात्राएं स्नातक स्तर की पढ़ाई इस महाविद्यालय से करते हुए कई बड़े ओहदे पर कार्य कर रहे हैं। निर्धन घर के विद्यार्थी भी आसानी से अपने घर से आवाजाही कर स्नातक की पढ़ाई गत 46 वर्षों से प्राप्त कर रहे हैं पर यह कॉलेज वित्तीय अनियमितताओं का अखाड़ा बनता जा रहा है। सरकार द्वारा वित्त पोषित इस कॉलेज के शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मी पैसे के लिए तड़प रहे हैं पर यह आश्चर्य की बात है कि कॉलेज के पास शिक्षकाें एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों के लिए राशि रहने के बावजूद नियम को ताक पर रखते हुए हमें अनुदान राशि से नहीं दी जा रही है। जंतु विज्ञान के व्याख्याता प्रो रोशन जमीर ने बताया कि वर्ष 2012- 2015 के बीच सरकार द्वारा निर्गत परिणाम के विरुद्ध अनुदान देय राशि का अब तक शिक्षकों में वितरण नहीं किया गया। जबकि अनुदान की राशि बैंक के खाते में पड़ी हुई है। साथ ही कॉलेज के आंतरिक स्रोत मद में लाखों रुपए की राशि हैं। इस राशि का 30 फीसदी कॉलेज के डेवलपमेंट एवं 70 फीसदी राशि शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों में वितरित करना था पर इनके द्वारा तीन वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अपनी गलत मंशा से प्रभारी प्राचार्य द्वारा अनुदान की राशि वितरण नहीं किया जा रहा हैं। जबकि मानव संसाधन द्वारा पत्र भेजकर यह स्पष्ट आदेश दिया गया है कि 2 मई से 9 मई 2023 के बीच अनुदान की राशि और आंतरिक स्रोत की राशि का वितरण शिक्षकों के बीच कर दिया जाना है। वरीय अधिकारियों के निर्देशों की अनदेखी की जा रही हैं। कॉलेज में कार्यरत उर्दू के प्रो शफी अहमद ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन के 37 वर्ष इस कॉलेज को दिया है। वह यही सोच रहे थे कि हालात बदलेंगे, पर प्रभारी प्राचार्य द्वारा करोड़ों की राशि का गबन कर इस कॉलेज पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। उन्होंने बताया कि इस कॉलेज को बचाने के लिए हर एक आदमी को सड़क पर उतरना होगा। प्रशासनिक अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों को इसे सर्वोच्च प्राथमिकता में लेते हुए हरसंभव सार्थक कदम उठाने होंगे तो ही शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े इस इलाके के युवाओं को भ्रष्टाचार रहित शिक्षण व्यवस्था मिल सकेगी।वहीं प्रो हसीब आलम, प्रो साजिद अकरम, प्रो रूमा कुंडू, प्रो जयशंकर सिंह, प्रो साबिर नजाम, प्रो साकीर आलम, प्रो टेकराज सिंह आदि ने भी प्रभारी प्राचार्य पर आरोप लगाते हुए कहा कि कॉलेज में तानाशाही प्राचार्य कार्यरत हैं। कॉलेज को विद्यार्थियों से प्राप्त होने वाली लाखों रुपए की राशि का उपयोग प्रभारी प्राचार्य ने अपने निजी खाते में ट्रांसफर कराएं हैं, इसको ले न्यायालय के माध्यम से ठाकुरगंज थाने में मामला भी दर्ज कराया गया है। कॉलेज में अभी वित्तीय अनियमितता चरम पर है। कॉलेज में नियम और शर्त पर प्राचार्य की नियुक्ति जल्द से जल्द होनी चाहिए तब ही कॉलेज को संबंधन को रद्द होने से बचाया जा सकता हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मो शफीकुज्जमां, सैफुल इस्लाम, सरफराज आलम, शादाब आलम , अब्दुल रज्जाक, मो सरफराज, मो हसीब आदि सहित अन्य शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मी आदि भी मौजूद रहे।

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