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पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के निदेशक पहुंचे ठाकुरगंज, ड्रैगन फ्रूट की खेती के संबंध में कृषक नागराज नखत से ली जानकारी।

सारस न्यूज, किशनगंज।

गुरूवार को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के निदेशक ए के अग्रवाल अपने किशनगंज दौरे के दौरान ड्रेगन फ्रुट की खेती के संबंध में तकनीकी जानकारी लेने के लिए नगर पंचायत ठाकुरगंज के वार्ड नं एक गांधीनगर में उत्पादित जैन एग्रो फॉर्म पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की ओर से किसानों की आय बढ़ाने के लिए सतत प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए सरकार की ओर से किसानों को कई योजनाओं के माध्यम से लाभ पहुंचाया जा रहा है। सरकार चाहती है कि किसान परंपरागत खेती की जगह बाजार की मांग पर पौष्टिक व स्वास्थ्य वर्धक आधारित खेती करने पर जोर दे ताकि लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिले तथा किसानों को भी अच्छा मुनाफा मिल सके। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से किसानों को बागवानी फसलों पर सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जा रहा है। इसके लिए सरकार की ओर से भिन्न भिन्न खेती के लिए किसानों को कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि सूबे में ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन बढ़ाने पर सरकार का जोर हैं क्योंकि इनकी बाजार मांग अच्छी रहती है और इसके भाव भी अन्य फलों की अपेक्षा ऊंचे मिलते हैं जिससे किसानों को फायदा होगा। इस क्रम में ड्रेगन उत्पादक कृषक नागराज नखत ने खेती के तौर तरीके पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के निदेशक को जानकारी देते हुए बताया कि ड्रेगन फ्रूट मानसून में तैयार होता है। इसके फल मानसून के 4 महीने में हर 40 दिनों के अंतराल में पकते हैं। इसके एक फल का वजन औसतन 100 से 300 ग्राम तक होता है। इसका एक बार पेड़ 20 साल तक फल देता है। ड्रैगन फ्रूट इम्यूनिटी बूस्टर है, इसलिए यह 500 रुपए किलो तक बिकता है। किसान इसकी खेती कर सालाना लाखों रुपए कमा सकते हैं। उन्होंने 2014 से लगाये ड्रेगन फ्रूट के पोधे को दिखाया। वहीं इस दौरान कृषक नागराज नखत ने साथ में मौजूद सहायक उद्यान निदेशक डॉ रजनी सिन्हा के माध्यम से अवगत कराते हुए कहा कि इस बार मॉनसून कमजोर होने से ड्रैगन फ्रूट के आकार व उत्पादन में काफी असर पड़ा है। इस पर निदेशक ए के अग्रवाल ने सहायक उद्यान निदेशक को निर्देश दिया कि फल के उत्पादन क्षमता पर पड़ रहे प्रभाव की समस्या को दूर करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों को सेवाएं प्रदान करवाए। इस दौरान सहायक उद्यान निदेशक डॉ रजनी सिन्हा ने  बतया कि डा. कलाम कृषि महाविद्यालय, अर्राबाड़ी में भी ड्रेगन फ्रूट को लेकर कृषि वैज्ञानिकों की एक टीम शोध कर रही है। शोध से ड्रैगन फ्रूट उत्पादक एवं ड्रैगन की खेती को लाभ मिलेगा। वहीं इस दौरान निदेशक ए के अग्रवाल ने बिहार के इस सुदूर कस्बाई क्षेत्र में राज्य में सबसे पहले ड्रेगन फ्रूट के खेती शुरु तथा उत्पादन के लिए साधूवाद दिया।

वहीं इस दौरान केंद्रीय भूमिगत बोर्ड, पटना के वैज्ञानिक संजीव चक्रवर्ती, बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक रवि शंकर तिवारी, सहायक निदेशक उद्यान डॉ रजनी सिन्हा, बीडीओ सुमित कुमार, सीओ ओमप्रकाश भगत, पीओ मनरेगा सुशील कुमार सिद्धू,  प्रखंड उद्यान पदाधिकारी संजय कुमार, किसान हंसराज नखत आदि मौजूद थे।

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