शशि कोशी रोक्का, सारस न्यूज़ टीम, ठाकुरगंज।
किशनगंज जिले के ठाकुरगंज प्रखंड मुख्यालय परिसर के अंदर में स्थित पशु चिकित्सालय में डॉक्टर रहते है नदारद। दूर दराज से अपने जानवरों का इलाज करवाने के लिए आने वाले ग्रामीणों को अक्सर पशु चिकित्सालय में डॉक्टर उपस्थित नहीं होने के कारण मायूस होकर वापस अपने घर को लौटना पड़ता है। पशु चिकित्सालय में अपने पशु के लिए दवाई लेने पहुंचे राजा राम सिंह ने बताया कि मैं अपनी बकरी के लिए दवाई लेने आया था। लेकिन यहां पर ना ही डाक्टर साहब है और ना ही अस्पताल के कोई स्टाफ है।
वहीं मवेशी पालक विशाल सिंह ने बताया कि वह अपने गाय का डेथ सर्टिफिकेट लेने आए हैं। लेकिन यहां पर ना डॉक्टर नजर आए ना ही कोई स्टाफ नजर आया करीब 2 से 3 महीनी से मैं डेथ सर्टिफिकेट लेने के लिए दौड़ रहा हूं। डॉक्टर से आज तक मेरा भेंट ही नहीं हुई पता नहीं किस टाइम आते हैं और किस टाइम चले जाते हैं।
लोगों का आरोप यह भी है कि चतुर्थश्रेणी कर्मचारी से कृत्रिम गर्भाधान कराया जाता है। चिकित्सक के अस्पताल से नदारद रहने के कारण पशुपालकों को जानवरों के इलाज के लिए भटकना पड़ता है। विवश होकर झोलाछाप डॉक्टरों से जानवरों का इलाज कराना पड़ता है। ग्रामीणों को अपने मवेशियों के इलाज के लिए भगवान के भरोसे रहना पड़ता है। सामर्थ्यवान मवेशी पालक तो निजी चिकित्सकों से मवेशियों का इलाज करा लेते हैं, लेकिन गरीब किस्म के मवेशी पालक निजी चिकित्सकों से इलाज कराने में असमर्थ रहते हैं। जिससे इलाज के अभाव में उनके मवेशी की मौत हो जाती है।
अक्टूबर के मौसम में मवेशियों की तरह-तरह बीमारियां होती है। चिकित्सक नहीं आने से उन्हें भगवान भरोसे रहना पड़ता है। वहीं इस संदर्भ में जब जिला पदाधिकारी श्रीकांत शास्त्री से दूरभाष पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि आपके मामले को मैने संज्ञान में लिया है मैं इसकी जांच करवाता हूं। वहीं दूसरी तरफ मामले को संज्ञान में लेते हुए जिला पशुपालन पदाधिकारी शम्भु नाथ झा ने जिला पदाधिकारी के सूचना पर ठाकुरगंज भ्रमण सील पशु चिकित्सा पदाधिकारी सुमन कुमार झा को कर्तव्य से अनुपस्थित रहने के संबंध में स्पष्टीकरण भेजा है और 24 घंटे के अंदर स्पष्टीकरण ज़बाब भी मांगा गया है। वहीं जब इन सारे पहलुओं पर ठाकुरगंज भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी सुमन कुमार झा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मैं भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी हूं और मुझे अतिरिक्त प्रभार पशु चिकित्सालय पौआखाली का भी है एवं में मुर्गी, मांस, अंडा सर्वेक्षण का जिला नोडल हूं। इस परिस्थिति में मैं 2 दिन पौआखाली में ड्यूटी में रहता हूं। मैं अपने कार्यालय में लगातार अनुपस्थित रहता हूं यह बात ग़लत है। पशुपालक आए होंगे मगर मैं उस वक्त फील्ड वर्क में था। मैं लगातार यहां पर रह कर के ड्यूटी कर रहा हूं। शुक्रवार को ड्यूटी से गायब रहने पर उन्होंने बताया कि गुरुवार की रात अचानक मेरी तबीयत काफी खराब हो गई थी जिसे कारण मुझे आनन-फानन में अररिया जाना पड़ा था और मैंने छुट्टी का आवेदन लिखकर अपने डाटा ऑपरेटर के द्वारा अपने अनुमंडल पशुपालन पदाधिकारी के यहां भेजा और उसने आवेदन को स्वीकृत भी किया लेकिन आवेदन भेजने के दरमियान शायद कोई विलंब हुआ होगा जिसके कारण डाटा ऑपरेटर को पहुंचते-पहुंचते शायद 11:30 बज गया था। जिसकी जानकारी पशुपालन पदाधिकारी को नहीं हो पाई होगी जिससे कारण मुझे स्पष्टीकरण का लेटर दिया गया है। वही गाय के डेथ सर्टिफिकेट वाले मामले पर उन्होंने कहा कि ऐसा कोई आवेदन मेरे पास नहीं आया है अगर आवेदन आएगा तो जरूर डेथ सर्टिफिकेट मिलेगा।
