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महानंदा बेसिन परियोजना में ठाकुरगंज, पोठिया व किशनगंज प्रखंड की हो रही है उपेक्षा।

सारस न्यूज, किशनगंज।

किशनगंज जिले वासियों को महानंदा बेसिन परियोजना को लेकर काफी उम्मीदें थी। करीब दो दशक पूर्व तत्कालीन सांसद मरहूम मो. तस्लीमुद्दीन के प्रयास से केंद्र सरकार के द्वारा इस योजना को स्वीकृति मिली और वर्ष 2010 में इस योजना के लोअर साइड कटिहार में बुनियाद भी रखी। लेकिन योजना की स्वीकृति मिलने के 18 वर्ष बीत जाने के बावजूद यह योजना को अब तक कोई मुकाम नहीं मिल पाया है। जिलेवासियों को इस परियोजना के अंतर्गत महानंदा सहित इनके सहायक नदियां मेची, चेंगा, कनकई आदि पर बनने वाली तटबंध की आश मात्र एक स्वप्न बन कर रह गया है। उक्त बातें पुर्व विधायक गोपाल कुमार अग्रवाल ने मंगलवार को अपने आवास पर प्रेसवार्ता कर पत्रकारों को कही।

उन्होंने महानंदा बेसिन परियोजना कार्य में ठाकुरगंज, पोठिया और किशनगंज प्रखंड को नजरअंदाज किये जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक साजिश के तहत इस परियोजना में राज्य में महानंदा नदी के उदगम स्थल ठाकुरगंज और पोठिया प्रखंड को उपेक्षित किया गया है। हालांकि इसी परियोजना के तहत अररिया जिले के जोगबनी स्थित किसलय से परमान नदी पर तटबंध बनाने का कार्य शुरू कर दिया गया पर यह परियोजना सर्वप्रथम महानंदा और मेची नदी के किनारे शुरू की जानी थी।

पुर्व विधायक गोपाल अग्रवाल ने बताया कि नदियों के कटाव से तटवासियों को निजात दिलाने के लिए तत्कालीन सांसद मो. तस्लीमुद्दीन के प्रयास से महानंदा बेसिन परियोजना को वर्ष 2004 में केंद्र सरकार के द्वारा इस योजना को स्वीकृति मिली। इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार ने चार सौ करोड़ रुपये स्वीकृति दी। इसके बाद से महानंदा व इससे जुड़ी नदियों का सर्वे काम भी शुरू हुआ था। परियोजना के तहत नदियों के किनारे तटबंध निर्माण कार्य के लिए प्रथम फेज में भूमि अधिग्रहण होना था। दूसरे फेज में बांध बनना था। तीसरे चरण में डैम व तटबंधों पर बाढ़ पीड़ितों के लिए शरण स्थली व मंडी का निर्माण होना था। चौथे चरण में तटबंधों पर सड़क बननी थी।  गोपाल अग्रवाल कहते है कि यह परियोजना अगर धरातल पर उतर जाती है तो इस इलाके को हर साल जलप्रलय नहीं झेलना पड़ेगा। साथ ही यह इलाका भी काफी विकसित हो जाएगा और इलाके की जमीन भी उपजाऊ होगी। खेतों में पानी व लोगों को रोजगार भी उपलब्ध होता रहेगा। हजारों एकड़ कृषि योग्य उपजाऊ भूमि का बड़ा भूखंड नदी के गर्भ में समाने से बचेगा। सैकड़ों आशियानों को नदी में विलीन होने के खतरे से निजात मिलेगी। सैकड़ो गांव के लोग जो बारिश में बाढ़ की वीभिषिका झेलने को विवश है, उन्हें इस त्रासदी से राहत मिलेगी। इसके अलावा तटबंध पर बाजार लगने व सड़क के निर्माण से गांव विकसित होंगे तो शहर भी चहुंमुखी आमदनी के साथ विकास की पटरी पर सरपट दौड़ेगी। इस योजना के अंतर्गत भूमि अधिग्रहण होंगे जिससे किसानों को काफी लाभ भी मिलेगा। अरबों रूपये की बनी सड़कें ध्वस्त होने से  बचेगी। परियोजना के पूरा होने से लोगों को इन तबाहियों से राहत मिलेगी।

उन्होंने बताया कि कोई भी परियोजना शुरूआती स्थल से शुरू होता है। जबकि इसमें इस नदी के उदगम स्थल पोठिया और ठाकुरगंज प्रखंड से शुरू नहीं कर नदी के समाप्ति स्थल कटिहार से शुरू किया। उसके बाद मेची नदी को इस योजना में जोड़ने का प्रस्ताव पास हुआ पर मेची नदी से काम शुरू नहीं होना इस इलाके की उपेक्षा को दर्शाता है। उन्होंने इस मामले में जन आन्दोलन की धमकी देते हुए कहा कि यदि महानंदा बेसिन परियोजना ठाकुरगंज, पोठिया और किशनगंज प्रखंड में बहने वाली महानंदा नदी से शुरू नहीं की गई तो सुरजापुरी विकास मोर्चा जिला वासियों के साथ जनांदोलन सहित राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम करने के लिए बाध्य होगी।

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