माता मेला के पहले दिन भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने मां भगवती एवं उनकी सात बहनों के दर्शन कर मत्था टेका एवं पान, बतासा, लौंग, नारियल एवं मिष्ठान अर्पित कर सुख सौभाग्य की कामना के साथ मन्नतें मांगी।
बिहार के अंतिम छोर गलगलिया थाना क्षेत्र के गन्दूगच्छ में हर साल पौष पूर्णिमा को इस मेले का आयोजन होता है। जिसमें बिहार के अलावे बंगाल, सिक्किम, असम एवं पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से भी श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। इस दौरान कतार में घंटों खड़ी महिलाएं अपनी बारी का इंतजार करती दिखीं। मंदिर में देवी प्रतिमा के दर्शन एवं पूजन को लेकर प्रथम दिन आपाधापी मची रही। मंदिर के मुख्य द्वार के समक्ष दर्शन को आतुर महिलाओं में ज्यादा होड़ मची थी। माना जाता है कि माता माई का आशिर्वाद लेने से वैवाहिक जीवन सुखमय व्यतीत होता है और माता रानी के दर पर अपनी फरियाद लेकर आने वाला कोई भी व्यक्ति खाली हाथ नहीं लौटता। मंदिर परिसर के सामने लगीं सौंदर्य प्रसाधनों एवं पूजा सामग्री से सजी दुकाने, लंबी लगी लाइन से भीड़ भाड़ का नजारा था। इधर मेला पहुंचने वाले सभी रास्तों पर सैकड़ों दोपहिया एवं चार पहिया वाहनों के काफिले की आवाजाही, मेले में लगी 6 सौ से ज्यादा दुकानें एवं एक लाख से ज्यादा श्राद्धालुओं की भीड़ मेले की प्रसिद्धि बयां कर रही थी।
महिलाओं ने जमकर की खरीदारी
मेला परिसर सिन्दूर, बिंदी, प्रसाद, पूजा सामग्री से सजी दुकानों से पटा पड़ा था। महिलाओं की भाड़ी भीड़ पूजन एवं सौंदर्य प्रसाधनों की खरीद को लेकर यहाँ जुटी रहीं। इसके अलावा झूला, सर्कस, जादू तथा अन्य मनोरंजन के साधन भी भीड़ को अपनी ओर खींच रहे थे। बच्चों ने इनका खूब आनंद उठाया। वहीं महिलाएं खरीदारी में व्यस्त रहीं। चाट पकौड़े तथा मिठाई की दुकानों में भी काफी भीड़ दिखी।
लोग ऐसे उतारते हैं मनौतियां
बलि प्रथा बंद होने के कारण माँ भगवती के दरबार में लोगों द्वारा अपनी मनौतियां उतारने के लिए, करीब 2 हजार से भी अधिक कबूतर व बकरा को बलि के रूप में पुरोहित के द्वारा मंत्र उच्चारण कर छोड़ी गई। अथवा श्रद्धालु अपने घर ले गए। कारण यहां 8 वर्षों से बली प्रथा बंद है।
सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम
मेले में किसी प्रकार की अनियमितता न हो इसके लिए गलगलिया पुलिस को तैनात की गई है। पोठिया थाना व जिला पुलिस लाइन से भी सुरक्षा व्यवस्था हेतु पुलिस कर्मियों को तैनात किया है। मेले में चोरी छुपे शराब की बिक्री न हो इसके लिए भी पुलिस चारो ओर गस्त कर रही थी। मनचले व आवारा किस्म के लोगों से निपटने के लिए खुद थानाध्यक्ष चप्पे -चप्पे पर नजर बनाये हुए थे। वहीं इस कार्य में सीसीटीवी कैमरा व वीडियो रिकॉर्डिंग का भी सहारा लिया गया ताकि मेले में खासकर महिलाएं श्रद्धालु बेखौफ घूम सके।
आयोजन कमिटी द्वारा सुविधा
मेला आयोजन कमिटी द्वारा श्राद्धालुओं की सुविधा हेतु पेयजल, शौचालय सहित चिकित्सा कर्मियों की एक टीम भी यहाँ तैनात की गयी थी, ताकि किसी अप्रिय स्थिति से तत्काल निपटा जा सके।
विजय गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया।
माता मेला के पहले दिन भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने मां भगवती एवं उनकी सात बहनों के दर्शन कर मत्था टेका एवं पान, बतासा, लौंग, नारियल एवं मिष्ठान अर्पित कर सुख सौभाग्य की कामना के साथ मन्नतें मांगी।
बिहार के अंतिम छोर गलगलिया थाना क्षेत्र के गन्दूगच्छ में हर साल पौष पूर्णिमा को इस मेले का आयोजन होता है। जिसमें बिहार के अलावे बंगाल, सिक्किम, असम एवं पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से भी श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। इस दौरान कतार में घंटों खड़ी महिलाएं अपनी बारी का इंतजार करती दिखीं। मंदिर में देवी प्रतिमा के दर्शन एवं पूजन को लेकर प्रथम दिन आपाधापी मची रही। मंदिर के मुख्य द्वार के समक्ष दर्शन को आतुर महिलाओं में ज्यादा होड़ मची थी। माना जाता है कि माता माई का आशिर्वाद लेने से वैवाहिक जीवन सुखमय व्यतीत होता है और माता रानी के दर पर अपनी फरियाद लेकर आने वाला कोई भी व्यक्ति खाली हाथ नहीं लौटता। मंदिर परिसर के सामने लगीं सौंदर्य प्रसाधनों एवं पूजा सामग्री से सजी दुकाने, लंबी लगी लाइन से भीड़ भाड़ का नजारा था। इधर मेला पहुंचने वाले सभी रास्तों पर सैकड़ों दोपहिया एवं चार पहिया वाहनों के काफिले की आवाजाही, मेले में लगी 6 सौ से ज्यादा दुकानें एवं एक लाख से ज्यादा श्राद्धालुओं की भीड़ मेले की प्रसिद्धि बयां कर रही थी।
महिलाओं ने जमकर की खरीदारी
मेला परिसर सिन्दूर, बिंदी, प्रसाद, पूजा सामग्री से सजी दुकानों से पटा पड़ा था। महिलाओं की भाड़ी भीड़ पूजन एवं सौंदर्य प्रसाधनों की खरीद को लेकर यहाँ जुटी रहीं। इसके अलावा झूला, सर्कस, जादू तथा अन्य मनोरंजन के साधन भी भीड़ को अपनी ओर खींच रहे थे। बच्चों ने इनका खूब आनंद उठाया। वहीं महिलाएं खरीदारी में व्यस्त रहीं। चाट पकौड़े तथा मिठाई की दुकानों में भी काफी भीड़ दिखी।
लोग ऐसे उतारते हैं मनौतियां
बलि प्रथा बंद होने के कारण माँ भगवती के दरबार में लोगों द्वारा अपनी मनौतियां उतारने के लिए, करीब 2 हजार से भी अधिक कबूतर व बकरा को बलि के रूप में पुरोहित के द्वारा मंत्र उच्चारण कर छोड़ी गई। अथवा श्रद्धालु अपने घर ले गए। कारण यहां 8 वर्षों से बली प्रथा बंद है।
सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम
मेले में किसी प्रकार की अनियमितता न हो इसके लिए गलगलिया पुलिस को तैनात की गई है। पोठिया थाना व जिला पुलिस लाइन से भी सुरक्षा व्यवस्था हेतु पुलिस कर्मियों को तैनात किया है। मेले में चोरी छुपे शराब की बिक्री न हो इसके लिए भी पुलिस चारो ओर गस्त कर रही थी। मनचले व आवारा किस्म के लोगों से निपटने के लिए खुद थानाध्यक्ष चप्पे -चप्पे पर नजर बनाये हुए थे। वहीं इस कार्य में सीसीटीवी कैमरा व वीडियो रिकॉर्डिंग का भी सहारा लिया गया ताकि मेले में खासकर महिलाएं श्रद्धालु बेखौफ घूम सके।
आयोजन कमिटी द्वारा सुविधा
मेला आयोजन कमिटी द्वारा श्राद्धालुओं की सुविधा हेतु पेयजल, शौचालय सहित चिकित्सा कर्मियों की एक टीम भी यहाँ तैनात की गयी थी, ताकि किसी अप्रिय स्थिति से तत्काल निपटा जा सके।
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