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मात्स्यिकी महाविद्यालय अर्राबाड़ी के छात्र-छात्राओं ने ठाकुरगंज का किया भ्रमण

बीरबल महतो, सारस न्यूज़, किशनगंज।

शनिवार को मात्स्यिकी महाविद्यालय अर्राबाड़ी, किशनगंज के जंतु विज्ञान के स्नातक के छात्र- छात्राओं मत्स्य पालन के संबंध में ठाकुरगंज प्रखंड अंतर्गत कनकपुर पंचायत के जामनीगुड़ी में चल रहे मत्स्य पालन क्षेत्र का फील्ड विजिट किया। मात्स्यिकी महाविद्यालय के सहायक प्रोफेसर भारतेंदु विमल के नेतृत्व में ठाकुरगंज आई 25 छात्र- छात्राओं की टीम को मत्स्य पालन हेतु किसान के दृष्टिकोण से आनेवाली समस्याओं व समाधान के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। उक्त स्थान में मत्स्य पालक किसान बिजली प्रसाद सिंह के द्वारा करीब 10 एकड़ प्रक्षेत्र में फैले 07 तालाबों में की जा रहे विभिन्न प्रजाति के मछली पालन के संबंध में छात्र-छात्राओं को बताया गया। इस दौरान किसान बिजली प्रसाद सिंह ने मछली पालन के अपने 10 वर्षों के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि मत्स्य पालन में सफलता हासिल करने के लिए मछलियों के रोग, पहचान एवं ससमय उपचार करना अतिआवश्यक हैं। अगर समय रहते इस पर कार्य नहीं किया गया तो काफी नुकसान पहुंच सकता है। उन्होंने बताया कि नियमित अंतराल में मछलियों को चारा व दवाई खिलाते रहना चाहिए ताकि उसकी निरंतर वृद्धि होती रहे। मछली की अधिक पैदावार के लिए यह आवश्यक है कि पूरक आहार दिया जाय। आहार ऐसा होना चाहिए जो कि प्राकृतिक आहार की भांति पोषक तत्वों से परिपूर्ण हो। साधारणत: प्रोटीनयुक्त कम खर्चीले पूरक आहारों का उपयोग किया जाना चाहिए। पूरक आहार निश्चित समय व स्थान पर दिया जाय तथा जब पहले दिया गया आहार मछलियों द्वारा खा लिया गया हो तब पुन: पूरक आहार दें। उपयोग के अनुसार मात्रा घटाई-बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि यदि पूरक आहार के प्रयोग स्वरूप पानी की सतह पर काई की परत उत्पन्न हो जाय तो आहार का प्रयोग कुछ समय के लिए रोक देना चाहिए क्योंकि तालाब के पानी में घुलित आक्सीजन में कमी व मछलियों के मरने की सम्भावना हो सकती है।वहीं इस क्रम में सहायक प्रोफेसर भारतेंदु विमल ने छात्र-छात्राओं से मत्स्य पालन के संबंध में मत्स्य रोग, लक्षण एवं उनका निदान के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। इस मौके पर महाविद्यालय के अधिष्ठता डॉ बी पी सहनी, स्थानीय किसान गुड्डू सिंह, राजा सिंह आदि सहित महाविद्यालय के छात्र -छात्राएं मौजूद थे।

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