र्यपर्युषण पर्व के तहत मंगलवार को जैन श्रद्धालुओं ने उत्तम तप धर्म की पूजा की। पूजा के उपरांत श्रीजी को अर्घ्य चढ़ाकर श्रीफल समर्पित किए गए। पंडित सुदेश जैन शास्त्री ने धर्मसभा में उत्तम तप धर्म के बारे में बताते हुए कहा कि आत्मा को परमात्मा से मिलाने का मार्ग ही तप है। तप के द्वारा ही आत्म कल्याण संभव है तथा तप ही मोक्ष का मार्ग है। उन्होंने कहा कि इच्छाओं का निरूद्ध करना ही उत्तम तप है।
उन्होंने कहा कि कर्म क्षय के लिए गया तप उत्तम तप है। तथा पांचों इंद्रियों के विषयों को तथ चारों कसायों को रोककर शुभ ध्यान की प्राप्ति के लिए जो अपनी आत्मा का विचार करता है। ऐसे नियम से तप धर्म होता है। श्री दिगंबर जैन मंदिर ठाकुरगंज में अभिषेक, शांतिधारा, नित्य नियम पूजा की गई।
महामंडल विधान में 23 श्रीफल समर्पित किए। शाम को आरती, प्रश्न मंच, स्वाध्याय हुआ। इसके बाद विश्व शांति सब जीव पर दया की भावना हेतु महामंत्र णमोकार मंत्र का पठन किया। इस मौके पर महिला भक्तों की संख्या अधिक देखी गई।
सारस न्यूज टीम, ठाकुरगंज।
र्यपर्युषण पर्व के तहत मंगलवार को जैन श्रद्धालुओं ने उत्तम तप धर्म की पूजा की। पूजा के उपरांत श्रीजी को अर्घ्य चढ़ाकर श्रीफल समर्पित किए गए। पंडित सुदेश जैन शास्त्री ने धर्मसभा में उत्तम तप धर्म के बारे में बताते हुए कहा कि आत्मा को परमात्मा से मिलाने का मार्ग ही तप है। तप के द्वारा ही आत्म कल्याण संभव है तथा तप ही मोक्ष का मार्ग है। उन्होंने कहा कि इच्छाओं का निरूद्ध करना ही उत्तम तप है।
उन्होंने कहा कि कर्म क्षय के लिए गया तप उत्तम तप है। तथा पांचों इंद्रियों के विषयों को तथ चारों कसायों को रोककर शुभ ध्यान की प्राप्ति के लिए जो अपनी आत्मा का विचार करता है। ऐसे नियम से तप धर्म होता है। श्री दिगंबर जैन मंदिर ठाकुरगंज में अभिषेक, शांतिधारा, नित्य नियम पूजा की गई।
महामंडल विधान में 23 श्रीफल समर्पित किए। शाम को आरती, प्रश्न मंच, स्वाध्याय हुआ। इसके बाद विश्व शांति सब जीव पर दया की भावना हेतु महामंत्र णमोकार मंत्र का पठन किया। इस मौके पर महिला भक्तों की संख्या अधिक देखी गई।
Leave a Reply