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स्वास्थ्य के साथ हो रहा खिलवाड़, ठाकुरगंज नपं क्षेत्र में धड़ल्ले से चल रहा सफेद पानी का काला कारोबार।

शशि कोशी रोक्का/ सारस न्यूज़ टीम ठाकुरगंज

नगर पंचायत क्षेत्र व प्रखंड क्षेत्रों में सफेद पानी का काला कारोबार इन दिनों बड़ी धड़ल्ले से चल रहा हैं। तकरीबन पूरे प्रखंड क्षेत्र में 30 से 40 रुपए प्रति जार पानी की बिक्री का गोरख धंधा जोरों से जारी है।

ना ही वाटर पैकेजिंग प्लांटों में इस पानी की गुणवत्ता की कोई जांच नही होती है। बिना किसी लाइसेंस के प्रशासन की नाक के नीचे धड़ल्ले से यह धंधा फल-फूल रहा है।

ठाकुरगंज नगर पंचायत क्षेत्र एवम प्रखंड क्षेत्र में आरओ मिनरल प्लांट का पानी भले कुछ देर के लिए गले को ठंडक पहुंचाने का काम कर रहा हो लेकिन यह सेहत के लिए कितना हानिकारक है इसके बारे में कोई बताने वाला नहीं है। लोगों को यह पता नहीं है कि वे जिस पानी को पी रहे हैं,

उसके टीडीएस की मात्रा क्या है। वह उनके सेहत के लिए कितनी ठीक है, वहीं आरओ प्लांट संचालकों के द्वारा जमकर भू-जल दोहन भी हो रहा है। प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग को धता बताते हुए पानी के कारोबार से जुड़े लोग मिनरल वाटर के नाम पर बेझिझक होकर होकर पानी का दोहन कर रहे हैं और उसे धड़ल्ले से बेच रहे हैं। पानी की बोतलों से भरे वाहन दिन भर शहर की सड़कों पर दौड़ते रहते हैं। हैरानी की बात तो यह है कि इसको प्रशासन के स्तर से कोई अभियान भी नहीं चलाया जाता है। क्योंकि जिले भर में कम से कम एक सौ से अधिक पानी के प्लांट लगे हैं, लेकिन कुछ को छोड़ दें तो किसी के पास इस धंधे के लिए लाइसेंस नहीं है। इसी कारण ऐसे कारोबारी राजस्व और प्रकृति को भी क्षति पहुंचा रहे हैं। इसकी एवज में कहीं कोई रायल्टी भी जमा नहीं की जाती। ऐसे ही पानी की सप्लाई शहर भर में की जा रही है। बिना लाइसेंस के चल रहे हैं पानी का कारोबार करोड़ों में है, लेकिन लाइसेंस ना होने के कारण इस धंधे में सेल टैक्स भी दवा लिया जाता है, नियमों के अनुसार इस व्यवसाय को चलाने के लिए सरकार की तरफ से लाइसेंस के साथ आईएसआई संख्या प्राप्त करने की जरूरत होती है।

नपं क्षेत्र एवं प्रखंड क्षेत्र में धड़ल्ले से चल रहे इन प्लांट की शायद ही कोई सरकारी पदाधिकारी जांच करने आते हो।

आप अक्सर देखते ही होंगे कि सरकारी कार्यालय,निजी कार्यालय,घरों,शादी सहित अन्य समारोहों में भी इन प्लांट से निकले पानी की आपूर्ति की जा रही है। पानी में मैग्निशियम,कैल्शियम,आयरन आदि कितनी मात्रा हैं मानक के अनुरूप है अथवा नहीं यह बात भी साफ नहीं हो पा रही है। बता दें कि वाटर प्लांट चलाने के लिए क्वालिटी कंट्रोल से लाइसेंस,जिला के साथ प्रखंडों से संबंधित अस्पताल से अनुमति प्रमाणपत्र एवं पानी की गुणवत्ता जांच के लिए लैब आदि हो तभी काम किया जा सकता है। प्लांट परसभी गुणवत्ता व पैरामीटरों को लिखना अनिवार्य होता है।

बीआईएस सर्टिफिकेट,जीएसटी रजिस्ट्रेशन,ट्रेड लाइसेंस,पॉल्यूशन,सर्टिफिकेट,एम एसएमइ रजिस्ट्रेशन,एसएसआई रजिस्ट्रेशन,ट्रेंड मार्क,भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण)और आईएसआई कोड इत्यादि प्रक्रिया के बाद ही आरओ मिनरल वाटर प्लांट संचालित कर सकते हैं।

लेकिन नगर पंचायत ठाकुरगंज प्रखंड क्षेत्रों में बिना नियमों और बिना लाइसेंस के ही कई आरओ मिनरल वाटर प्लांट नियमों के उल्लंघन कर संचालित हो रही है।विभाग की उदासीनता के कारण लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। आपको बताते चलें कि प्लांट में पानी का नियमित जांच के लिए एक निजी लैब और लैब टेक्नीशियन तैनाती होना चाहिए।

साथ ही प्लांट की जांच हमेशा पीएचइडी विभाग से होते रहना चाहिए,लेकिन ठाकुरगंज नगर पंचायत क्षेत्रों व प्रखंडों में नियमों को ताक पर रखकर आरओ मिनरल वाटर प्लांट का संचालित किया जा रहा है। बिना नाम,पता लिखे हजारों लीटर पानी की आपूर्ति प्रतिदिन की जा रही है।

वही इस संबंध में नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी राजेश कुमार पासवान ने कार्रवाई करने की बात कहते हुए कहा कि बिना ट्रेड लाइसेंस लिए एवं अवैध रूप से बिना लाइसेंस के संचालित आरओ मिनरल वाटर प्लांट की जांच कराकर विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी।

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