पंचायती राज विभाग, बिहार सरकार के निर्देशानुसार सोमवार को ठाकुरगंज प्रखंड सहित राज्य के सभी प्रखंडों में पंचायत विकास सूचकांक (PDI) विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण-सह-उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में प्रखंड स्तर पर नामित नोडल पदाधिकारी एवं प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी ने पंचायत विकास सूचकांक की महत्ता, उद्देश्यों एवं क्रियान्वयन प्रक्रिया पर विस्तृत जानकारी प्रदान की।
पंचायत विकास सूचकांक का महत्व
प्रशिक्षण के दौरान प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) अहमर अब्दाली ने कहा कि पंचायत विकास सूचकांक सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को स्थानीय स्तर पर लागू करने एवं पंचायतों के प्रदर्शन को मापने का एक प्रभावी उपकरण है। यह सूचकांक पंचायतों की समग्र विकास स्थिति का साक्ष्य-आधारित मूल्यांकन करता है तथा उनकी शक्ति एवं कमज़ोरियों को उजागर करता है।
उन्होंने बताया कि यह सूचकांक जिला, प्रखंड और ग्राम स्तर पर पंचायतों को उनके कुल स्कोर के आधार पर रैंकिंग प्रदान करता है। इससे पंचायतें अपनी प्राथमिकताओं का निर्धारण कर, योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित कर सकती हैं।
अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों का योगदान
इस अवसर पर BDO अहमर अब्दाली ने उपस्थित अधिकारियों एवं कर्मियों से पंचायतों और हितधारकों के बीच ज्ञान और अनुभव साझा करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को इस प्रक्रिया में पूर्ण निष्ठा एवं समर्पण के साथ कार्य करना चाहिए, ताकि सूचकांक के उद्देश्यों को प्रभावी रूप से पूरा किया जा सके।
कार्यक्रम में नोडल पदाधिकारी सह प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी ठाकुरगंज, अजीत कुमार ने पंचायत विकास सूचकांक के नौ प्रमुख विषयों की विस्तृत जानकारी प्रदान की:
गरीबी मुक्त और उन्नत आजीविका
स्वस्थ गांव
बाल सुलभ गांव
जल पर्याप्त गांव
स्वच्छ और हरित गांव
आत्मनिर्भर बुनियादी ढांचा
सामाजिक रूप से न्यायसंगत एवं सुरक्षित गांव
सुशासन
महिला अनुकूल गांव
कार्यक्रम में सहभागिता एवं संकल्प
इस प्रशिक्षण-सह-उन्मुखीकरण कार्यक्रम में मुखिया, प्रखंड स्तरीय पदाधिकारी एवं कर्मी सहित कई जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे। सभी प्रतिभागियों ने पंचायत विकास सूचकांक को सफलतापूर्वक लागू करने हेतु अपने विचार साझा किए तथा इस दिशा में समर्पित प्रयास करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
यह कार्यक्रम स्थानीय शासन को सशक्त बनाने एवं पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ।
प्रतिनिधि, सारस न्यूज़, ठाकुरगंज।
पंचायती राज विभाग, बिहार सरकार के निर्देशानुसार सोमवार को ठाकुरगंज प्रखंड सहित राज्य के सभी प्रखंडों में पंचायत विकास सूचकांक (PDI) विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण-सह-उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में प्रखंड स्तर पर नामित नोडल पदाधिकारी एवं प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी ने पंचायत विकास सूचकांक की महत्ता, उद्देश्यों एवं क्रियान्वयन प्रक्रिया पर विस्तृत जानकारी प्रदान की।
पंचायत विकास सूचकांक का महत्व
प्रशिक्षण के दौरान प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) अहमर अब्दाली ने कहा कि पंचायत विकास सूचकांक सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को स्थानीय स्तर पर लागू करने एवं पंचायतों के प्रदर्शन को मापने का एक प्रभावी उपकरण है। यह सूचकांक पंचायतों की समग्र विकास स्थिति का साक्ष्य-आधारित मूल्यांकन करता है तथा उनकी शक्ति एवं कमज़ोरियों को उजागर करता है।
उन्होंने बताया कि यह सूचकांक जिला, प्रखंड और ग्राम स्तर पर पंचायतों को उनके कुल स्कोर के आधार पर रैंकिंग प्रदान करता है। इससे पंचायतें अपनी प्राथमिकताओं का निर्धारण कर, योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित कर सकती हैं।
अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों का योगदान
इस अवसर पर BDO अहमर अब्दाली ने उपस्थित अधिकारियों एवं कर्मियों से पंचायतों और हितधारकों के बीच ज्ञान और अनुभव साझा करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को इस प्रक्रिया में पूर्ण निष्ठा एवं समर्पण के साथ कार्य करना चाहिए, ताकि सूचकांक के उद्देश्यों को प्रभावी रूप से पूरा किया जा सके।
कार्यक्रम में नोडल पदाधिकारी सह प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी ठाकुरगंज, अजीत कुमार ने पंचायत विकास सूचकांक के नौ प्रमुख विषयों की विस्तृत जानकारी प्रदान की:
गरीबी मुक्त और उन्नत आजीविका
स्वस्थ गांव
बाल सुलभ गांव
जल पर्याप्त गांव
स्वच्छ और हरित गांव
आत्मनिर्भर बुनियादी ढांचा
सामाजिक रूप से न्यायसंगत एवं सुरक्षित गांव
सुशासन
महिला अनुकूल गांव
कार्यक्रम में सहभागिता एवं संकल्प
इस प्रशिक्षण-सह-उन्मुखीकरण कार्यक्रम में मुखिया, प्रखंड स्तरीय पदाधिकारी एवं कर्मी सहित कई जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे। सभी प्रतिभागियों ने पंचायत विकास सूचकांक को सफलतापूर्वक लागू करने हेतु अपने विचार साझा किए तथा इस दिशा में समर्पित प्रयास करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
यह कार्यक्रम स्थानीय शासन को सशक्त बनाने एवं पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ।
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