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ठाकुरगंज एनजीटी की रोक के बाद बालू की कालाबाजारी शुरू, दोगुने दामों पर हो रही है बिक्री, लोग उठा रहे परेशानी।

शशि कोशी रोक्का, सारस न्यूज, टीम।

किशनगंज, ठाकुरगंज: एनजीटी द्वारा 15 जून से 15 अक्टूबर तक बालू के उत्खनन पर रोक लगाई गई है। बावजूद इसके, जिला प्रशासन और खनन विभाग अवैध खनन के खेल को रोकने में विफल रहे हैं। शहर में 2000 रुपये वाले 100 सीएफटी बालू की बिक्री अब 2800 से 3500 रुपये प्रति ट्रैक्टर हो रही है।

15 जून से नदी से बालू की निकासी पर रोक लगने के बाद से बालू की कालाबाजारी बढ़ गई है और दाम लगभग दोगुना हो चुके हैं। ठाकुरगंज में 2000 रुपये का बालू अब 2800 से 3500 रुपये प्रति ट्रैक्टर बिक रहा है। जुलाई और अगस्त में घरों के निर्माण की बढ़ती मांग के कारण बालू की कीमतें और बढ़ गई हैं। जनवरी में ठाकुरगंज शहर में बालू 2000 रुपये प्रति 100 सीएफटी बिक रहा था, जो जून-जुलाई में बढ़कर 2800 रुपये हो गया। अब एक ट्रैक्टर बालू 3500 रुपये में बिक रहा है।

प्रशासन और खनन विभाग की अनदेखी के चलते ठाकुरगंज प्रखंड क्षेत्र के पथरिया, सखुआडाली, चेगानदी, कुकुरबाघी आदि पंचायतों के घाटों से अवैध बालू की निकासी जारी है। प्रशासन और खनन विभाग ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की है। एक घर बनाने वाले व्यक्ति ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि बालू की महंगाई सबसे बड़ी परेशानी है। प्रति ट्रैक्टर 3500 रुपये में बालू मिल रहा है और लोग मजबूरी में महंगे दाम पर खरीद रहे हैं।

सरकार ने बालू का टेंडर नहीं किया, जिससे अवैध बालू का कारोबार खुलकर चल रहा है। बालू कारोबारी अपनी मर्जी से दाम तय कर रहे हैं। बरसात के बाद बालू की कीमतों में और वृद्धि देखने को मिल सकती है। शहर में बालू से लदे ओवरलोड ट्रैक्टर, ट्रक और डंपर पुलिस और अधिकारियों की नाक के नीचे से चल रहे हैं, लेकिन कोई रोक नहीं रहा है। मीडिया में खबर प्रकाशित होने पर जिम्मेदार अधिकारी कुछ ट्रैक्टर पकड़ कर कार्रवाई कर देते हैं, लेकिन अवैध खनन पर रोक नहीं लग पा रही है।

ट्रैक्टर माफिया और एंट्री माफिया NH 327E के विभिन्न चाय और खाने की दुकानों में बैठकर बालू से लदे ओवरलोड ट्रैक्टर, ट्रक और डंपर पास करवाते हैं। सूत्र बताते हैं कि बालू माफिया नदी में पहले ट्रैक्टर जाने का रास्ता बनाते हैं, और फिर जिस घाट में अधिक बालू होता है, वहां जेसीबी मशीन लगाकर 8-10 ट्रैक्टरों से बालू निकालकर किनारे डंप कर देते हैं। वहीं, जहां बालू पानी के अंदर रहता है, वहां 6 ड्रामों के ऊपर पट्टा बांधकर मजदूर बालू निकालते हैं और फिर उसे ट्रैक्टरों में भरकर सप्लाई किया जाता है। इससे नदी का जीवन भी प्रभावित हो रहा है। रात में बालू का बड़ा कारोबार होता है, और बालू माफिया ट्रैक्टर, ट्रक और डंपर से सप्लाई करते हैं।

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