दिनांक 29 जून 2025 को ठाकुरगंज प्रखंड अंतर्गत बेसरबाटी पंचायत के वार्ड संख्या-06, प्राथमिक विद्यालय बैसरबाटी गांव में आसेका बिहार संस्था द्वारा अलचिकी संथाली “अल इतुन आसरा केंद्र” का भव्य उद्घाटन किया गया। यह केंद्र संथाली भाषा के प्रचार-प्रसार और शिक्षा को समर्पित एक नई पहल है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री सरकार मरांडी ने की। मौके पर आसेका बिहार के प्रदेश सचिव श्री राज मरांडी, कोषाध्यक्ष श्री सुनील हेम्ब्रम, और उपाध्यक्ष श्री माईकल हेम्ब्रम विशेष रूप से उपस्थित रहे। उद्घाटन समारोह में दर्जनों महिलाओं, पुरुषों और स्थानीय ग्रामीणों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
इस अवसर पर श्री सरकार मरांडी ने संस्था के कोषाध्यक्ष सुनील हेम्ब्रम को माला पहनाकर सम्मानित किया और अपने संबोधन में संस्था की आगामी योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आसेका बिहार निकट भविष्य में राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में और भी अलचिकी शिक्षण केंद्र शुरू करने की दिशा में कार्य कर रही है।
संस्था के सचिव श्री राज मरांडी ने कहा –
“हमारा उद्देश्य है कि अलचिकी संथाली भाषा को शिक्षा के मुख्यधारा में शामिल किया जाए। यह भाषा अब सिर्फ बोली तक सीमित न रहे, बल्कि सरकारी स्तर पर भी मान्यता पाए।”
उन्होंने यह भी बताया कि जैसे पश्चिम बंगाल, ओडिशा, और झारखंड जैसे राज्यों में सरकारी विद्यालयों में अलचिकी शिक्षकों की नियुक्ति हो रही है, वैसे ही आने वाले समय में बिहार में भी इस भाषा में शिक्षकों की आवश्यकता बढ़ेगी।
कार्यक्रम में स्थानीय समुदाय ने आसेका बिहार की इस पहल की सराहना की और इसे संथाली समाज की नई पीढ़ी के लिए एक उम्मीद बताया।
सारस न्यूज़, किशनगंज।
ठाकुरगंज, 30 जून 2025
दिनांक 29 जून 2025 को ठाकुरगंज प्रखंड अंतर्गत बेसरबाटी पंचायत के वार्ड संख्या-06, प्राथमिक विद्यालय बैसरबाटी गांव में आसेका बिहार संस्था द्वारा अलचिकी संथाली “अल इतुन आसरा केंद्र” का भव्य उद्घाटन किया गया। यह केंद्र संथाली भाषा के प्रचार-प्रसार और शिक्षा को समर्पित एक नई पहल है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री सरकार मरांडी ने की। मौके पर आसेका बिहार के प्रदेश सचिव श्री राज मरांडी, कोषाध्यक्ष श्री सुनील हेम्ब्रम, और उपाध्यक्ष श्री माईकल हेम्ब्रम विशेष रूप से उपस्थित रहे। उद्घाटन समारोह में दर्जनों महिलाओं, पुरुषों और स्थानीय ग्रामीणों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
इस अवसर पर श्री सरकार मरांडी ने संस्था के कोषाध्यक्ष सुनील हेम्ब्रम को माला पहनाकर सम्मानित किया और अपने संबोधन में संस्था की आगामी योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आसेका बिहार निकट भविष्य में राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में और भी अलचिकी शिक्षण केंद्र शुरू करने की दिशा में कार्य कर रही है।
संस्था के सचिव श्री राज मरांडी ने कहा –
“हमारा उद्देश्य है कि अलचिकी संथाली भाषा को शिक्षा के मुख्यधारा में शामिल किया जाए। यह भाषा अब सिर्फ बोली तक सीमित न रहे, बल्कि सरकारी स्तर पर भी मान्यता पाए।”
उन्होंने यह भी बताया कि जैसे पश्चिम बंगाल, ओडिशा, और झारखंड जैसे राज्यों में सरकारी विद्यालयों में अलचिकी शिक्षकों की नियुक्ति हो रही है, वैसे ही आने वाले समय में बिहार में भी इस भाषा में शिक्षकों की आवश्यकता बढ़ेगी।
कार्यक्रम में स्थानीय समुदाय ने आसेका बिहार की इस पहल की सराहना की और इसे संथाली समाज की नई पीढ़ी के लिए एक उम्मीद बताया।
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