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चाहे सुबह हो, शाम हो, दिन हो या रात, हर समय सरकारी अस्पताल परिसर में निजी क्लीनिक व अल्ट्रासाउंड केंद्र के कर्मी का लगा रहता है जमावड़ा।

सारस न्यूज़, ठाकुरगंज।

ठाकुरगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में निजी अस्पतालों, क्लीनिकों, और अल्ट्रासाउंड केंद्रों के कर्मियों का लगातार जमावड़ा बना रहता है। सरकारी अस्पताल से मरीजों को रेफर किए जाने के बाद, इन कर्मियों द्वारा उन्हें बहला-फुसलाकर निजी क्लीनिक और अस्पतालों में ले जाया जाता है, जहां इलाज के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती है।

आशा कर्मियों की भूमिका पर सवाल

सूत्रों के मुताबिक, इस पूरे मामले में सरकारी अस्पताल के कुछ आशा कर्मियों की संलिप्तता भी बताई जा रही है। चाहे सुबह हो, शाम हो, दिन हो या रात, हर समय अस्पताल परिसर में निजी क्लीनिक और अल्ट्रासाउंड केंद्र के कर्मियों की भीड़ देखी जा सकती है।

मरीजों को झांसे में लेकर वसूली का खेल

ठाकुरगंज अस्पताल में आने वाले मरीजों पर ये कर्मी नजर रखते हैं और डॉक्टरों द्वारा मरीज को रेफर किए जाने का इंतजार करते हैं। जैसे ही कोई मरीज रेफर होता है, ये कर्मी उसे बहला-फुसलाकर प्राइवेट अस्पताल ले जाते हैं। वहां गरीब और अनपढ़ मरीजों से इलाज के नाम पर बड़ी रकम वसूली जाती है।

कई बार मरीज बाद में महसूस करते हैं कि उन्होंने गलत निर्णय लिया, लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है। इन निजी अस्पतालों में लापरवाही की वजह से कई मामलों में मरीजों की जान भी जा चुकी है।

अधिकारियों को दी गई शिकायतें, लेकिन कार्रवाई नहीं

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, डॉ. अनिल कुमार, ने कहा कि प्राइवेट अस्पतालों, क्लीनिकों, और अल्ट्रासाउंड केंद्रों के कर्मी अनावश्यक रूप से अस्पताल परिसर में भीड़ लगाते हैं।

उन्होंने बताया, “मैं इस समस्या को लेकर कई बार जिम्मेदार अधिकारियों को लिखित शिकायत दे चुका हूं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। जब मैं अस्पताल में मौजूद होता हूं, तो ये लोग दिखाई नहीं देते, लेकिन मैं 24 घंटे अस्पताल में नहीं रह सकता, क्योंकि मेरे अन्य प्रशासनिक कार्य भी होते हैं।”

डॉ. कुमार ने जिला प्रशासन से अपील की है कि इस समस्या को गंभीरता से लिया जाए और इन कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि अस्पताल परिसर में इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके और मरीजों को सही इलाज मिल सके।

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