जिले के ठाकुरगंज-बहादुरगंज और डे मार्केट, पौआखाली रूट पर ओवरलोड वाहनों का संचालन लगातार जारी है। सूत्रों का कहना है कि इन ओवरलोड ईंट लदे ट्रकों के संचालन के पीछे ‘इंट्री माफिया’ का हाथ है। इसके अलावा, अवैध कोयला, बालू, गिट्टी और अन्य ओवरलोड वाहनों का भी परिचालन धड़ल्ले से हो रहा है।
कई ग्रुप के गुर्गे जगह-जगह सक्रिय होकर इन वाहनों का संचालन करते हैं, जो परिवहन नियमों का उल्लंघन करते हुए बिना किसी भय के इस काम को अंजाम दे रहे हैं। संबंधित विभाग के अधिकारी भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, कई प्रभावशाली हस्तियां भी इन ओवरलोड वाहनों के संचालन में शामिल हैं, जिससे सरकारी राजस्व को भारी नुकसान हो रहा है और सड़कों की स्थिति दिन-प्रतिदिन बदतर होती जा रही है। सड़कों पर टूट-फूट और धंसने जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। यदि समय रहते इन ग्रुपों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो यह समस्या आने वाले समय में पूरे जिले में बढ़ सकती है।
गौरतलब है कि ठाकुरगंज में दर्जनों ईंट लदे ओवरलोड ट्रक खड़े रहते हैं, फिर भी इन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। सूत्र बताते हैं कि सभी ईंट लदे वाहनों को सिग्नल मिलने के बाद गलगलिया के रास्ते बिहार से पश्चिम बंगाल की ओर भेज दिया जाता है।
सारस न्यूज़, ठाकुरगंज।
जिले के ठाकुरगंज-बहादुरगंज और डे मार्केट, पौआखाली रूट पर ओवरलोड वाहनों का संचालन लगातार जारी है। सूत्रों का कहना है कि इन ओवरलोड ईंट लदे ट्रकों के संचालन के पीछे ‘इंट्री माफिया’ का हाथ है। इसके अलावा, अवैध कोयला, बालू, गिट्टी और अन्य ओवरलोड वाहनों का भी परिचालन धड़ल्ले से हो रहा है।
कई ग्रुप के गुर्गे जगह-जगह सक्रिय होकर इन वाहनों का संचालन करते हैं, जो परिवहन नियमों का उल्लंघन करते हुए बिना किसी भय के इस काम को अंजाम दे रहे हैं। संबंधित विभाग के अधिकारी भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, कई प्रभावशाली हस्तियां भी इन ओवरलोड वाहनों के संचालन में शामिल हैं, जिससे सरकारी राजस्व को भारी नुकसान हो रहा है और सड़कों की स्थिति दिन-प्रतिदिन बदतर होती जा रही है। सड़कों पर टूट-फूट और धंसने जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। यदि समय रहते इन ग्रुपों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो यह समस्या आने वाले समय में पूरे जिले में बढ़ सकती है।
गौरतलब है कि ठाकुरगंज में दर्जनों ईंट लदे ओवरलोड ट्रक खड़े रहते हैं, फिर भी इन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। सूत्र बताते हैं कि सभी ईंट लदे वाहनों को सिग्नल मिलने के बाद गलगलिया के रास्ते बिहार से पश्चिम बंगाल की ओर भेज दिया जाता है।
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