फाइलेरिया जैसी गंभीर और दीर्घकालिक अपंगता देने वाली बीमारी से आमजन को स्थायी राहत दिलाने की दिशा में किशनगंज जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने एक अहम कदम उठाया है। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत ठाकुरगंज प्रखंड के शहरी क्षेत्र में प्री-टास (Pre-TAS) एवं नाइट ब्लड सर्वे का औपचारिक शुभारंभ किया गया। यह कार्यक्रम गांधी नगर वार्ड संख्या-01 स्थित आंगनबाड़ी केंद्र से शुरू हुआ।
उद्घाटन कार्यक्रम में नगर परिषद ठाकुरगंज के अध्यक्ष सिकंदर पटेल, समाजसेवी ताराचंद धनुका, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अखलाकुर रहमान तथा वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम सहित स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान प्रशासन, स्वास्थ्य कर्मियों और सामाजिक संगठनों की संयुक्त भागीदारी देखने को मिली।
वैज्ञानिक सर्वे से तय होगी उन्मूलन की स्थिति
वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम ने बताया कि प्री-टास एक वैज्ञानिक मूल्यांकन प्रक्रिया है, जिससे यह पता लगाया जाता है कि किसी क्षेत्र में फाइलेरिया संक्रमण का स्तर नियंत्रण में आ चुका है या नहीं। इसका प्रमुख घटक नाइट ब्लड सर्वे है, जिसमें रात के समय चयनित व्यक्तियों के रक्त नमूनों की जांच की जाती है, क्योंकि फाइलेरिया के परजीवी रात्रि में ही सक्रिय होते हैं। इस सर्वे से संक्रमण की वास्तविक स्थिति का आकलन संभव होता है।
सामाजिक सरोकार के साथ दिव्यांग प्रमाण पत्र वितरण
कार्यक्रम के दौरान पात्र लाभुकों को दिव्यांग प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए, जिससे उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में सुविधा होगी। इस पहल को स्थानीय नागरिकों ने स्वास्थ्य सेवा के साथ सामाजिक संवेदनशीलता का सराहनीय उदाहरण बताया।
आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षा कवच
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने कहा कि फाइलेरिया एक मूक रोग है, जो धीरे-धीरे व्यक्ति की कार्यक्षमता को खत्म कर देता है। प्री-टास और नाइट ब्लड सर्वे के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि संक्रमण की श्रृंखला टूट चुकी है या नहीं। इस प्रक्रिया की सफलता से भविष्य की पीढ़ियों को इस बीमारी से स्थायी सुरक्षा मिल सकेगी।
जनसहयोग से ही होगा लक्ष्य हासिल
जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन केवल स्वास्थ्य विभाग का दायित्व नहीं, बल्कि यह पूरे समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने आम लोगों से अपील की कि वे सर्वे टीमों को पूरा सहयोग दें, ताकि ठाकुरगंज सहित पूरा जिला फाइलेरिया मुक्त बनाया जा सके।
समाज की सक्रिय भागीदारी जरूरी
समाजसेवी ताराचंद धनुका ने कहा कि फाइलेरिया के खिलाफ लड़ाई तभी सफल हो सकती है, जब समाज के सभी वर्ग इसमें सक्रिय भूमिका निभाएं। सही जानकारी, सहयोग और जागरूकता से ही इस बीमारी को जड़ से समाप्त किया जा सकता है।
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अखलाकुर रहमान ने बताया कि यह सर्वे ठाकुरगंज को फाइलेरिया मुक्त बनाने की दिशा में एक निर्णायक पहल है। प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और समाज के साझा प्रयासों से यह विश्वास जताया गया कि आने वाले समय में यह क्षेत्र इस गंभीर रोग से पूरी तरह मुक्त हो सकेगा।
सारस न्यूज़, किशनगंज।
फाइलेरिया जैसी गंभीर और दीर्घकालिक अपंगता देने वाली बीमारी से आमजन को स्थायी राहत दिलाने की दिशा में किशनगंज जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने एक अहम कदम उठाया है। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत ठाकुरगंज प्रखंड के शहरी क्षेत्र में प्री-टास (Pre-TAS) एवं नाइट ब्लड सर्वे का औपचारिक शुभारंभ किया गया। यह कार्यक्रम गांधी नगर वार्ड संख्या-01 स्थित आंगनबाड़ी केंद्र से शुरू हुआ।
उद्घाटन कार्यक्रम में नगर परिषद ठाकुरगंज के अध्यक्ष सिकंदर पटेल, समाजसेवी ताराचंद धनुका, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अखलाकुर रहमान तथा वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम सहित स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान प्रशासन, स्वास्थ्य कर्मियों और सामाजिक संगठनों की संयुक्त भागीदारी देखने को मिली।
वैज्ञानिक सर्वे से तय होगी उन्मूलन की स्थिति
वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम ने बताया कि प्री-टास एक वैज्ञानिक मूल्यांकन प्रक्रिया है, जिससे यह पता लगाया जाता है कि किसी क्षेत्र में फाइलेरिया संक्रमण का स्तर नियंत्रण में आ चुका है या नहीं। इसका प्रमुख घटक नाइट ब्लड सर्वे है, जिसमें रात के समय चयनित व्यक्तियों के रक्त नमूनों की जांच की जाती है, क्योंकि फाइलेरिया के परजीवी रात्रि में ही सक्रिय होते हैं। इस सर्वे से संक्रमण की वास्तविक स्थिति का आकलन संभव होता है।
सामाजिक सरोकार के साथ दिव्यांग प्रमाण पत्र वितरण
कार्यक्रम के दौरान पात्र लाभुकों को दिव्यांग प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए, जिससे उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में सुविधा होगी। इस पहल को स्थानीय नागरिकों ने स्वास्थ्य सेवा के साथ सामाजिक संवेदनशीलता का सराहनीय उदाहरण बताया।
आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षा कवच
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने कहा कि फाइलेरिया एक मूक रोग है, जो धीरे-धीरे व्यक्ति की कार्यक्षमता को खत्म कर देता है। प्री-टास और नाइट ब्लड सर्वे के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि संक्रमण की श्रृंखला टूट चुकी है या नहीं। इस प्रक्रिया की सफलता से भविष्य की पीढ़ियों को इस बीमारी से स्थायी सुरक्षा मिल सकेगी।
जनसहयोग से ही होगा लक्ष्य हासिल
जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन केवल स्वास्थ्य विभाग का दायित्व नहीं, बल्कि यह पूरे समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने आम लोगों से अपील की कि वे सर्वे टीमों को पूरा सहयोग दें, ताकि ठाकुरगंज सहित पूरा जिला फाइलेरिया मुक्त बनाया जा सके।
समाज की सक्रिय भागीदारी जरूरी
समाजसेवी ताराचंद धनुका ने कहा कि फाइलेरिया के खिलाफ लड़ाई तभी सफल हो सकती है, जब समाज के सभी वर्ग इसमें सक्रिय भूमिका निभाएं। सही जानकारी, सहयोग और जागरूकता से ही इस बीमारी को जड़ से समाप्त किया जा सकता है।
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अखलाकुर रहमान ने बताया कि यह सर्वे ठाकुरगंज को फाइलेरिया मुक्त बनाने की दिशा में एक निर्णायक पहल है। प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और समाज के साझा प्रयासों से यह विश्वास जताया गया कि आने वाले समय में यह क्षेत्र इस गंभीर रोग से पूरी तरह मुक्त हो सकेगा।