11 नवम्बर को होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर ठाकुरगंज प्रखंड के विभिन्न पंचायतों के ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों और युवा मतदाताओं के बीच चुनावी चर्चा जोरों पर है। शनिवार को ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों से हुई बातचीत में यह स्पष्ट रूप से सामने आया कि विधायक बनने के बाद नेताजी की तकदीर तो बदल जाती है, लेकिन आम मतदाताओं की स्थिति में कोई विशेष परिवर्तन नहीं होता।
हालांकि ग्रामीण जनता को अब भी लोकतंत्र और अपने एक-एक वोट की ताकत पर पूरा भरोसा है। लोग यह मानते हैं कि लोकतंत्र में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है, लेकिन नेताओं के प्रति विश्वास में भारी कमी आई है। मतदाताओं में इस बार चुनावी माहौल को लेकर पहले जैसी उत्सुकता नहीं दिख रही है।
कई ऐसे मतदाताओं से भी चर्चा हुई जो अपने दैनिक कार्यों और निजी मसलों में व्यस्त रहते हैं। उनका मानना है कि राजनीतिक दलों को ऐसे प्रत्याशी को टिकट देना चाहिए जो पार्टी के प्रति निष्ठावान हो, बार-बार दल बदल न करे और जनता की समस्याओं के प्रति संवेदनशील रहे।
इस बीच युवा मतदाताओं में भी जागरूकता बढ़ी है। वे चाहते हैं कि अब की बार ऐसे प्रत्याशी को चुना जाए जो शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में ठोस पहल करे। आइए जानते हैं कुछ युवा मतदाताओं के विचार।
1. रामाशीष दास, गलगलिया “आज ऐसी पार्टी और नेता की जरूरत है जो विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दे। जब तक मतदाता पूर्ण रूप से साक्षर और शिक्षित नहीं होंगे, तब तक भारतीय लोकतंत्र भीड़तंत्र बना रहेगा।”
2. बसंत सिंह, गंदुगछ, बेसरबाटी “हमारे इलाके की जनता आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रही है। चुनाव के समय नेता आते हैं, सपने दिखाते हैं और बाद में जनता को भूल जाते हैं। अब यह सब नहीं चलेगा। जनता अब सड़कों, शिक्षा, बिजली और पानी जैसी जरूरतों पर ध्यान देने वालों को ही आशीर्वाद देगी।”
3. विवेक कुमार गुप्ता, गलगलिया “शिक्षित और योग्य उम्मीदवारों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। युवाओं के लिए शिक्षा के साथ रोजगार सबसे बड़ी जरूरत है। विधायक को युवाओं की आवाज उठानी चाहिए और उनके विकास की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए।”
4. प्रवीण कुमार सिंह, बौरीगछ, बेसरबाटी “शिक्षा से ही मानव का समग्र विकास संभव है। जिले में अभी भी शिक्षा व्यवस्था कमजोर है। युवा बेहतर शिक्षा के लिए बाहर जाने को मजबूर हैं। जनप्रतिनिधियों को शिक्षा संसाधनों में अपनी पूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। क्योंकि चुनाव के बाद अगला मौका पांच साल बाद ही मिलेगा, इसलिए वोट सोच-समझकर देना चाहिए।”
5. बिकाश मंडल, बुट्टीझाड़ी “शिक्षा ही युवा विकास का मुख्य आधार है। युवाओं को अपने जनप्रतिनिधियों को परख कर ही वोट देना चाहिए। उन्हें किसी भी लालच या प्रलोभन में नहीं आना चाहिए, ताकि चुनाव शांतिपूर्ण और स्वच्छ वातावरण में संपन्न हो।”
6. सोनू सिंह, गलगलिया बाजार “अब तक किसी भी सरकार ने युवाओं के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनाई है। परिणामस्वरूप युवा आज भी परेशान हैं। राजनीतिक दल युवाओं को अधिकार देने की बात तो करते हैं, लेकिन जब मौका आता है तो उनकी हिस्सेदारी घटा दी जाती है।”
निष्कर्ष: ठाकुरगंज क्षेत्र में इस बार युवाओं की सोच पहले से काफी परिपक्व दिखाई दे रही है। वे जाति या लालच के बजाय शिक्षा, रोजगार और विकास को प्राथमिकता दे रहे हैं। ग्रामीण इलाकों के मतदाताओं में भी लोकतंत्र के प्रति आस्था बनी हुई है, लेकिन नेताओं से उम्मीदें अब सीमित होती जा रही हैं।
विजय गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया।
11 नवम्बर को होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर ठाकुरगंज प्रखंड के विभिन्न पंचायतों के ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों और युवा मतदाताओं के बीच चुनावी चर्चा जोरों पर है। शनिवार को ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों से हुई बातचीत में यह स्पष्ट रूप से सामने आया कि विधायक बनने के बाद नेताजी की तकदीर तो बदल जाती है, लेकिन आम मतदाताओं की स्थिति में कोई विशेष परिवर्तन नहीं होता।
हालांकि ग्रामीण जनता को अब भी लोकतंत्र और अपने एक-एक वोट की ताकत पर पूरा भरोसा है। लोग यह मानते हैं कि लोकतंत्र में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है, लेकिन नेताओं के प्रति विश्वास में भारी कमी आई है। मतदाताओं में इस बार चुनावी माहौल को लेकर पहले जैसी उत्सुकता नहीं दिख रही है।
कई ऐसे मतदाताओं से भी चर्चा हुई जो अपने दैनिक कार्यों और निजी मसलों में व्यस्त रहते हैं। उनका मानना है कि राजनीतिक दलों को ऐसे प्रत्याशी को टिकट देना चाहिए जो पार्टी के प्रति निष्ठावान हो, बार-बार दल बदल न करे और जनता की समस्याओं के प्रति संवेदनशील रहे।
इस बीच युवा मतदाताओं में भी जागरूकता बढ़ी है। वे चाहते हैं कि अब की बार ऐसे प्रत्याशी को चुना जाए जो शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में ठोस पहल करे। आइए जानते हैं कुछ युवा मतदाताओं के विचार।
1. रामाशीष दास, गलगलिया “आज ऐसी पार्टी और नेता की जरूरत है जो विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दे। जब तक मतदाता पूर्ण रूप से साक्षर और शिक्षित नहीं होंगे, तब तक भारतीय लोकतंत्र भीड़तंत्र बना रहेगा।”
2. बसंत सिंह, गंदुगछ, बेसरबाटी “हमारे इलाके की जनता आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रही है। चुनाव के समय नेता आते हैं, सपने दिखाते हैं और बाद में जनता को भूल जाते हैं। अब यह सब नहीं चलेगा। जनता अब सड़कों, शिक्षा, बिजली और पानी जैसी जरूरतों पर ध्यान देने वालों को ही आशीर्वाद देगी।”
3. विवेक कुमार गुप्ता, गलगलिया “शिक्षित और योग्य उम्मीदवारों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। युवाओं के लिए शिक्षा के साथ रोजगार सबसे बड़ी जरूरत है। विधायक को युवाओं की आवाज उठानी चाहिए और उनके विकास की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए।”
4. प्रवीण कुमार सिंह, बौरीगछ, बेसरबाटी “शिक्षा से ही मानव का समग्र विकास संभव है। जिले में अभी भी शिक्षा व्यवस्था कमजोर है। युवा बेहतर शिक्षा के लिए बाहर जाने को मजबूर हैं। जनप्रतिनिधियों को शिक्षा संसाधनों में अपनी पूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। क्योंकि चुनाव के बाद अगला मौका पांच साल बाद ही मिलेगा, इसलिए वोट सोच-समझकर देना चाहिए।”
5. बिकाश मंडल, बुट्टीझाड़ी “शिक्षा ही युवा विकास का मुख्य आधार है। युवाओं को अपने जनप्रतिनिधियों को परख कर ही वोट देना चाहिए। उन्हें किसी भी लालच या प्रलोभन में नहीं आना चाहिए, ताकि चुनाव शांतिपूर्ण और स्वच्छ वातावरण में संपन्न हो।”
6. सोनू सिंह, गलगलिया बाजार “अब तक किसी भी सरकार ने युवाओं के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनाई है। परिणामस्वरूप युवा आज भी परेशान हैं। राजनीतिक दल युवाओं को अधिकार देने की बात तो करते हैं, लेकिन जब मौका आता है तो उनकी हिस्सेदारी घटा दी जाती है।”
निष्कर्ष: ठाकुरगंज क्षेत्र में इस बार युवाओं की सोच पहले से काफी परिपक्व दिखाई दे रही है। वे जाति या लालच के बजाय शिक्षा, रोजगार और विकास को प्राथमिकता दे रहे हैं। ग्रामीण इलाकों के मतदाताओं में भी लोकतंत्र के प्रति आस्था बनी हुई है, लेकिन नेताओं से उम्मीदें अब सीमित होती जा रही हैं।
Leave a Reply