ठाकुरगंज नगर स्थित रेलवे गेट श्री श्री सिद्धपीठ काली मंदिर में अश्विन अमावस्या के मौके पर मां काली का विशेष पूजन मंदिर के पुरोहित व भक्तजनों ने किया। पहले मां का श्रृंगार कमल, गुलाब, गुड़हल, गेंदा फूल और फलों से हुआ। फिर मंत्रोचारण कर मां काली की विधि पूर्वक पूजा-अर्चना चंडीपाठ से की गई। बेलपत्र अर्पित करते हवन किया गया। पुरोहितों द्वारा पुष्पांजलि देकर मां की पूजा संपन्न कराई गई।
इस संबंध में मंदिर के पुरोहित मुन्ना पांडे ने बताया कि हिन्दू पंचांग के अनुसार अश्विन मास की अमावस्या पितृ अमावस्या, अश्विन अमावस्या, बड़मावस, दर्श अमावस्या भी कहलाती है। यह अमावस्या पितरों के लिए मोक्षदायनी अमावस्या मानी जाती है। इसलिए पितृ पक्ष में सर्व पितृ अमावस्या को सबसे अधिक महत्वपूर्ण तिथि माना जाता है। इस दिन श्राद्ध पक्ष समाप्त होता है और पितृ लोक से आए हुए पितृजन अपने लोक लौट जाते हैं।
उन्होंने बताया कि पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन ब्राह्मण भोजन और दान आदि से पितृजन तृप्त होते हैं और जाते समय अपने पुत्र, पौत्रों और परिवार को आशीर्वाद देकर लौटते हैं। इस साल सर्वपितृ अमावस्या पर दुर्लभ ब्रह्म योग, सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं। इन योग में पितरों की पूजा करने से व्यक्ति विशेष पर पूर्वजों की विशेष कृपा बरसेगी। इसके अलावा इस दिन दिन उत्तरा फाल्गुनी और हस्त नक्षत्र का शुभ संयोग भी बन रहा है। इस अवसर पर मंदिर समिति के अध्यक्ष ताराचंद धानुका, मोहितोष राहा उर्फ मंता दा, नरेश ठाकुर, सुजीत अधिकारी, सुभाष घोष, राकेश चौधरी उर्फ गज्जू आदि मुख्य रूप से मौजुद थे।
सारस न्यूज, किशनगंज।
ठाकुरगंज नगर स्थित रेलवे गेट श्री श्री सिद्धपीठ काली मंदिर में अश्विन अमावस्या के मौके पर मां काली का विशेष पूजन मंदिर के पुरोहित व भक्तजनों ने किया। पहले मां का श्रृंगार कमल, गुलाब, गुड़हल, गेंदा फूल और फलों से हुआ। फिर मंत्रोचारण कर मां काली की विधि पूर्वक पूजा-अर्चना चंडीपाठ से की गई। बेलपत्र अर्पित करते हवन किया गया। पुरोहितों द्वारा पुष्पांजलि देकर मां की पूजा संपन्न कराई गई।
इस संबंध में मंदिर के पुरोहित मुन्ना पांडे ने बताया कि हिन्दू पंचांग के अनुसार अश्विन मास की अमावस्या पितृ अमावस्या, अश्विन अमावस्या, बड़मावस, दर्श अमावस्या भी कहलाती है। यह अमावस्या पितरों के लिए मोक्षदायनी अमावस्या मानी जाती है। इसलिए पितृ पक्ष में सर्व पितृ अमावस्या को सबसे अधिक महत्वपूर्ण तिथि माना जाता है। इस दिन श्राद्ध पक्ष समाप्त होता है और पितृ लोक से आए हुए पितृजन अपने लोक लौट जाते हैं।
उन्होंने बताया कि पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन ब्राह्मण भोजन और दान आदि से पितृजन तृप्त होते हैं और जाते समय अपने पुत्र, पौत्रों और परिवार को आशीर्वाद देकर लौटते हैं। इस साल सर्वपितृ अमावस्या पर दुर्लभ ब्रह्म योग, सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं। इन योग में पितरों की पूजा करने से व्यक्ति विशेष पर पूर्वजों की विशेष कृपा बरसेगी। इसके अलावा इस दिन दिन उत्तरा फाल्गुनी और हस्त नक्षत्र का शुभ संयोग भी बन रहा है। इस अवसर पर मंदिर समिति के अध्यक्ष ताराचंद धानुका, मोहितोष राहा उर्फ मंता दा, नरेश ठाकुर, सुजीत अधिकारी, सुभाष घोष, राकेश चौधरी उर्फ गज्जू आदि मुख्य रूप से मौजुद थे।
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