किशनगंज जिले के ठाकुरगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक शर्मनाक घटना सामने आई है, जिसने स्वास्थ्य विभाग की खस्ताहाली को उजागर कर दिया है। यहां बीआर 37 पी 0987 नंबर की सरकारी एंबुलेंस खराब हालत में पाई गई। उसे चालू करने के लिए अस्पताल के गार्ड और एक दूसरी एंबुलेंस की मदद से रस्सी बांधकर धक्का देकर स्टार्ट करने की कोशिश की गई।
यह नजारा राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत बयां करता है। सरकार भले ही स्वास्थ्य विभाग में सुधार के बड़े-बड़े दावे करती हो, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति में कोई बदलाव नहीं दिखता। एंबुलेंस जैसी अहम सेवाओं की बदहाली स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
एनजीओ का बयान: इस संबंध में एंबुलेंस कोऑर्डिनेटर मैनेजर कुंवर कुमार ने बताया कि जिले में एनजीओ की सेवा शुरू हुए अभी मात्र 18 दिन ही हुए हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि एंबुलेंस से जुड़ी समस्याओं को जल्द से जल्द दूर कर लिया जाएगा। उनका कहना है कि खराब एंबुलेंस को हाल ही में ठीक करवाया गया था, लेकिन यदि वह फिर से खराब हो गई है, तो इसे तुरंत मरम्मत कर सेवा बहाल की जाएगी।
स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल: यह घटना बिहार के स्वास्थ्य विभाग की असफलताओं को रेखांकित करती है। अक्सर इस तरह की घटनाएं सामने आती रहती हैं, जो सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की कमजोरियों को उजागर करती हैं। यह सवाल उठता है कि क्या सरकार की नीतियां और उनके क्रियान्वयन में कमी है, या फिर स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की दिशा में वास्तविक प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। इस मामले ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए सख्त और ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
सारस न्यूज़, ठाकुरगंज।
किशनगंज जिले के ठाकुरगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक शर्मनाक घटना सामने आई है, जिसने स्वास्थ्य विभाग की खस्ताहाली को उजागर कर दिया है। यहां बीआर 37 पी 0987 नंबर की सरकारी एंबुलेंस खराब हालत में पाई गई। उसे चालू करने के लिए अस्पताल के गार्ड और एक दूसरी एंबुलेंस की मदद से रस्सी बांधकर धक्का देकर स्टार्ट करने की कोशिश की गई।
यह नजारा राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत बयां करता है। सरकार भले ही स्वास्थ्य विभाग में सुधार के बड़े-बड़े दावे करती हो, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति में कोई बदलाव नहीं दिखता। एंबुलेंस जैसी अहम सेवाओं की बदहाली स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
एनजीओ का बयान: इस संबंध में एंबुलेंस कोऑर्डिनेटर मैनेजर कुंवर कुमार ने बताया कि जिले में एनजीओ की सेवा शुरू हुए अभी मात्र 18 दिन ही हुए हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि एंबुलेंस से जुड़ी समस्याओं को जल्द से जल्द दूर कर लिया जाएगा। उनका कहना है कि खराब एंबुलेंस को हाल ही में ठीक करवाया गया था, लेकिन यदि वह फिर से खराब हो गई है, तो इसे तुरंत मरम्मत कर सेवा बहाल की जाएगी।
स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल: यह घटना बिहार के स्वास्थ्य विभाग की असफलताओं को रेखांकित करती है। अक्सर इस तरह की घटनाएं सामने आती रहती हैं, जो सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की कमजोरियों को उजागर करती हैं। यह सवाल उठता है कि क्या सरकार की नीतियां और उनके क्रियान्वयन में कमी है, या फिर स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की दिशा में वास्तविक प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। इस मामले ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए सख्त और ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
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