कुकुरबाघी पंचायत के गंधूगछ गांव में बूंद नदी के तट पर दो दिवसीय माता मेला गुरुवार को शुरू हो गया। मंत्रोच्चारण के बीच विधिवत रूप से रिबन काट कर मेले का शुभारंभ किया गया, जहां भक्त अपनी मनोकामना लिए मन्दिर पहुंचे और माता भगवती के दर्शन कर पूजा अर्चना के साथ माथा टेका और अपनी व अपने परिवार की खुशहाली, सुख समृद्धि की कामना की। शीतलहरी के बावजूद भी पहले दिन मेले में भारी भीड़ उमड़ी। सुबह से शाम तक मेले में खासी रौनक देखने को मिली। दिन के समय तो भीड़ का ऐसा आलम था कि एक से दूसरी जगह जाने के लिए थोड़ा सा फासला तय करने में लोगों का खासा समय लग रहा था। आज शुक्रवार के दूसरे दिन भी अंतिम मेला लगेगा। पहले दिन ही हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई। जिसमें स्थानीय क्षेत्र के अलावे जिले के अन्य प्रखंडों, पड़ोसी राष्ट्र नेपाल तथा क्षेत्र से सटे पश्चिम बंगाल, सिक्किम के हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। लोगों ने परिवार सहित पहुंचकर सुबह से देर शाम तक मेला घुमा जमकर खरीदारी की। बच्चों ने मेले में स्थित झूलों का खूब लुत्फ़ उठाया। दिन भर मेले में झुले, मौत का कुआ, चकरी, नाव पर लोगों का शोरगुल रहा। जलेबी के साथ कोई आलूबड़े तो कोई चाट का आनंद ठेलेगाड़ी पर लेता नजर आया। महिला और बालिकाओं ने शृंगार के साथ घरेलू उपयोग की सामग्री की जमकर खरीदारी की। आदिवासी गाँव से आए लोगों ने पानी के मटके, कड़ाई, तवा आदि खरीदे। मेला परिसर इस तरह से चहुंओर खचाखच भरा था कि लोगों को घुमने और खरीदारी के दौरान यहां वहां जाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।
मंत्रों के जाप के साथ प्रतिमा हुआ स्थापित :
माता भगवती की मूर्ति स्थापना हेतु पुरोहित रामनाथ सिंह द्वारा वेद मंत्रों का उच्चारण किए गए। मूर्ति कलाकारों द्वारा मां भगवती के जो सात रूप में है(स्थानीय भाषा में माता माई) को अंतिम रूप दिया गया। पौष पूर्णिमा सोमवार को मंत्रों के जाप के साथ प्रतिमाओं को स्थापित किया गया। उत्तर पूर्वी दिशा में अवस्थित कुकुरबाघी पंचायत के गंधूगछ में प्रसिद्ध माता भगवती का मेला पहले दिन गुरुवार को लगा। शुक्रवार को दूसरे दिन मेला समापन हो जाएगा।
सीसीटीवी कैमरा एवं वीडियो ग्राफी से लैस:
कमिटी द्वारा पारंपरिक नृत्य एवं गायन का भी आयोजन इस मेले में किये जाने की परंपरा है। इतने बड़े आयोजन में थानाध्यक्ष राहुल कुमार के नेतृत्व में गलगलिया पुलिस एवं क़ुर्लिकोट पुलिस द्वारा शांति व्यवस्था बनाए रखने में काफी तत्परता रही। मेला सीसीटीवी कैमरा एवं वीडियो ग्राफी से लैस है ताकि हुड़दंगियों पर नजर रखी जा सके। वहीँ मेले को सफल बनाने में आयोजन कमीटी का काफी योगदान देखा जा रहा है।
माँ भगवती व उनकी सात बहनों की होती है पूजा:
समिति के सदस्यगण ने बताया कि इस मंदिर को सन 1940 ई में स्थापित किया गया था। माता मेला के नाम से प्रसिद्ध इस मेला में माता भगवती व उनकी सात बहनों की पूजा अर्चना होती है। दोनों दिन श्रद्धालुओं द्वारा अपनी मन्नतें पूर्ण होने पर मां भगवती को बलि व प्रसाद चढ़ाये जाते हैं। बलि प्रथा बंद होने से बलि के रूप में कबूतर व बकरा को पुरोहित के द्वारा मंत्र उच्चारण कर छोड़ा जाता है अथवा श्रद्धालु अपने घर ले जाते हैं। इस मेले में तिलकुट एवं गन्ने की खूब बिक्री होती है। टावर झूला, नौटंकी, मौत का कुंआ, जादू का खेल, चित्रहार आदि मेला के आकर्षण का केन्द्र होता है।
विजय गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया।
कुकुरबाघी पंचायत के गंधूगछ गांव में बूंद नदी के तट पर दो दिवसीय माता मेला गुरुवार को शुरू हो गया। मंत्रोच्चारण के बीच विधिवत रूप से रिबन काट कर मेले का शुभारंभ किया गया, जहां भक्त अपनी मनोकामना लिए मन्दिर पहुंचे और माता भगवती के दर्शन कर पूजा अर्चना के साथ माथा टेका और अपनी व अपने परिवार की खुशहाली, सुख समृद्धि की कामना की। शीतलहरी के बावजूद भी पहले दिन मेले में भारी भीड़ उमड़ी। सुबह से शाम तक मेले में खासी रौनक देखने को मिली। दिन के समय तो भीड़ का ऐसा आलम था कि एक से दूसरी जगह जाने के लिए थोड़ा सा फासला तय करने में लोगों का खासा समय लग रहा था। आज शुक्रवार के दूसरे दिन भी अंतिम मेला लगेगा। पहले दिन ही हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई। जिसमें स्थानीय क्षेत्र के अलावे जिले के अन्य प्रखंडों, पड़ोसी राष्ट्र नेपाल तथा क्षेत्र से सटे पश्चिम बंगाल, सिक्किम के हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। लोगों ने परिवार सहित पहुंचकर सुबह से देर शाम तक मेला घुमा जमकर खरीदारी की। बच्चों ने मेले में स्थित झूलों का खूब लुत्फ़ उठाया। दिन भर मेले में झुले, मौत का कुआ, चकरी, नाव पर लोगों का शोरगुल रहा। जलेबी के साथ कोई आलूबड़े तो कोई चाट का आनंद ठेलेगाड़ी पर लेता नजर आया। महिला और बालिकाओं ने शृंगार के साथ घरेलू उपयोग की सामग्री की जमकर खरीदारी की। आदिवासी गाँव से आए लोगों ने पानी के मटके, कड़ाई, तवा आदि खरीदे। मेला परिसर इस तरह से चहुंओर खचाखच भरा था कि लोगों को घुमने और खरीदारी के दौरान यहां वहां जाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।
मंत्रों के जाप के साथ प्रतिमा हुआ स्थापित :
माता भगवती की मूर्ति स्थापना हेतु पुरोहित रामनाथ सिंह द्वारा वेद मंत्रों का उच्चारण किए गए। मूर्ति कलाकारों द्वारा मां भगवती के जो सात रूप में है(स्थानीय भाषा में माता माई) को अंतिम रूप दिया गया। पौष पूर्णिमा सोमवार को मंत्रों के जाप के साथ प्रतिमाओं को स्थापित किया गया। उत्तर पूर्वी दिशा में अवस्थित कुकुरबाघी पंचायत के गंधूगछ में प्रसिद्ध माता भगवती का मेला पहले दिन गुरुवार को लगा। शुक्रवार को दूसरे दिन मेला समापन हो जाएगा।
सीसीटीवी कैमरा एवं वीडियो ग्राफी से लैस:
कमिटी द्वारा पारंपरिक नृत्य एवं गायन का भी आयोजन इस मेले में किये जाने की परंपरा है। इतने बड़े आयोजन में थानाध्यक्ष राहुल कुमार के नेतृत्व में गलगलिया पुलिस एवं क़ुर्लिकोट पुलिस द्वारा शांति व्यवस्था बनाए रखने में काफी तत्परता रही। मेला सीसीटीवी कैमरा एवं वीडियो ग्राफी से लैस है ताकि हुड़दंगियों पर नजर रखी जा सके। वहीँ मेले को सफल बनाने में आयोजन कमीटी का काफी योगदान देखा जा रहा है।
माँ भगवती व उनकी सात बहनों की होती है पूजा:
समिति के सदस्यगण ने बताया कि इस मंदिर को सन 1940 ई में स्थापित किया गया था। माता मेला के नाम से प्रसिद्ध इस मेला में माता भगवती व उनकी सात बहनों की पूजा अर्चना होती है। दोनों दिन श्रद्धालुओं द्वारा अपनी मन्नतें पूर्ण होने पर मां भगवती को बलि व प्रसाद चढ़ाये जाते हैं। बलि प्रथा बंद होने से बलि के रूप में कबूतर व बकरा को पुरोहित के द्वारा मंत्र उच्चारण कर छोड़ा जाता है अथवा श्रद्धालु अपने घर ले जाते हैं। इस मेले में तिलकुट एवं गन्ने की खूब बिक्री होती है। टावर झूला, नौटंकी, मौत का कुंआ, जादू का खेल, चित्रहार आदि मेला के आकर्षण का केन्द्र होता है।
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