सारस न्यूज, किशनगंज।
ठाकुरगंज नगर एवं प्रखंड क्षेत्र में दुर्गा पूजा महोत्सव शांतिपूर्ण एवं सौहार्दपूर्ण माहौल में संपन्न हो गया। नगर के पावर हाउस स्थित त्रिमूर्ति दुर्गा मंदिर, लाहिड़ी पूजा मंडप, क्लब फील्ड स्थित विवेकानंद दुर्गा पूजा मंदिर, रेलवे ट्रैफिक पूजा समिति, रेलवे इंजीनियरिंग दुर्गा पूजा समिति, बाजार पूजा समिति, कचहरीपाड़ा स्थित मिलन संघ, डीडीसी मार्केट स्थित बिपलबी क्लब, मल्लाहपट्टी स्थित मिलन संघ सहित प्रखंड के कई जगहों पर मां दुर्गा की सभी रूपों की पूजा अर्चना की गई। इस दौरान भारी संख्या में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रही। कई जगहों पर मेले का भी आयोजन किया गया था। पूजा को लेकर लोगों में काफी उत्साह का माहौल था। दुर्गापूजा को लेकर नगर क्षेत्र में काफी चहल पहल रही।
नगर स्थित लाहिड़ी पूजा मंडप में 101वां दुर्गा पूजा महोत्सव को ले विभिन्न तरह के आयोजन किए गए। बाजार पूजा समिति में हर वर्ष की भांति मां का माला का डाक हुआ। तदोपरांत इस पूजा पंडाल के प्रांगण में रावण दहन का भी कार्यक्रम आयोजित किए गए। मंगलवार को विजयादशमी पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मंदिरों व पूजा पंडालों में मां के दर्शन किए एवं आशीर्वाद लिया एवं संध्या छः बजे से नगर क्षेत्र में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन नम आंखों से श्रद्धा पूर्वक किया गया। नगर क्षेत्र के मां की प्रतिमाओं का विसर्जन भात ढाला पोखर, सागढाला पोखर, महानंदा नदी, मेची नदी, चेंगा नदी आदि जलाशयों में किए गए।
वही प्रशासनिक स्तर पर विधि व्यवस्था व सुरक्षा की चाक चौबंद व्यवस्था दिखी। पूजा शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न कराने को लेकर बीडीओ अहमर अब्दाली, सीओ सुचिता कुमारी, थानाध्यक्ष मो मकसूद आलम अशरफी सहित अंचल, प्रखंड, नगर व पुलिस प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद रहे। महिला श्रद्धालुओं ने खेली सिंदूर की होली :- विजयदशमी पर देवी दुर्गा की विदाई व माँ प्रतिमा विसर्जन के पूर्व महिला श्रद्धालुओं ने सिंदूर की होली खेली। नगर में स्थापित सभी पूजा पंडालों में मंगलवार को विजयादशमी मनाया गया। पूजा पंडालों में सोमवार को वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पुरोहित ने विधि- विधान के साथ विजयादशमी में विसर्जन की प्रक्रिया पूरी की। उसके बाद महिला श्रद्धालुओं ने मां दुर्गा को सिंदूर लगाया, पान से गालों को चुमाया और मुंह मीठा कराया। देवी दुर्गा को विदा करने के लिए महिलाओं का जमावड़ा पंडालों में था। फिर आपस में महिलाओं ने एक दूसरे को सिंदूर लगाया। ढाकिये की धुन पर नाचती महिला श्रद्धालुओं ने मां को विदाई दी। साथ ही अगले बरस आने का न्यौता दिया। आंखों में आंसू और चेहरे पर मुस्कान लिए महिला श्रद्धालुओं ने माँ दुर्गा से मन्नतें व आशीष मांगा और अपने किसी भी गलतियों के लिए क्षमा याचना की।
इस बावत 70 वर्षीय पुरोहित पार्वती चरण गांगुली बताते हैं कि विजयादशमी के दिन बंगाली समाज में सिंदूर खेलने की परंपरा है। इसे सिंंदूर खेला के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि के नौ दिन पूजा-पाठ के बाद दशमी के दिन शादीशुदा महिलाएं एक-दूसरे के साथ सिंदूर की होली खेलती हैं। ऐसा करने के पीछे मान्यता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा दस दिन के लिए आपने मायके आती हैं। इसलिए जगह-जगह उनके पंडाल सजते हैं। इन नौ दिनों में मां दुर्गा की पूजा और आराधना की जाती है और दशमी पर सिंदूर की होली खेलकर मां दुर्गा को विदा किया जाता है।
वे बताते हैं कि नवरात्रि पर जिस तरह लड़की के अपने मायके आने पर उसकी सेवा की जाती है, उसी तरह मां दुर्गा की भी खूब सेवा की जाती है। दशमी के दिन मां दुर्गा के वापस ससुराल लौटने का वक्त हो जाता है तो उन्हें खूब सजा कर और सिंदूर लगा कर विदा किया जाता है। आपस में सिंदूर की होली खेलने से पहले पान के पत्ते से मां दुर्गा के गालों को स्पर्श किया जाता है। फिर उनकी मांग और माथे पर सिंदूर लगाया जाता है। इसके बाद मां को मिठाई खिलाकर भोग लगाया जाता है। फिर सभी महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर लंबे सुहाग की कामना करती हैं। यह सुहाग की लंबी आयु की कामनाओं का प्रतीक है। इस रस्म को निभाते वक्त पूरा माहौल उमंग और मस्ती से भर जाता है और इसके थोड़ी देर बाद मां को विसर्जित करने का वक्त आ जाता है और सभी नम आंखों से मां चली ससुराल गीत गाने लगते हैं और अगले वर्ष उनके आने की कामना करते हुए विसर्जित कर देते हैं।