किशनगंज जिला न्यायालय के जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम, सुरेश कुमार सिंह जी की अदालत ने वर्ष 2020 में घटित एक जघन्य हत्याकांड में ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए चार आरोपियों को दोषी ठहराया है। यह मामला पारिवारिक रंजिश और संपत्ति विवाद से जुड़ा हुआ था। किशनगंज पुलिस की जांच टीम ने घटना के बाद तत्परता से कार्रवाई करते हुए मजबूत चार्जशीट तैयार की। अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत ठोस साक्ष्य, वैज्ञानिक प्रमाण तथा गवाहों के सुसंगत बयानों ने अदालत के समक्ष अपराध को प्रमाणित किया। जांच के दौरान किशनगंज पुलिस ने सूक्ष्मता और गंभीरता से कार्य किया। अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत पुख्ता साक्ष्य, फॉरेंसिक रिपोर्ट और गवाहों के सटीक बयानों के आधार पर यह सिद्ध हुआ कि यह हत्या पुरानी पारिवारिक रंजिश और संपत्ति विवाद से प्रेरित थी। इस हत्याकांड में अब्दुल कलाम (55 वर्ष), मोहम्मद रफीक आलम (23 वर्ष), जाफिर आलम (25 वर्ष) तथा सालेहा खातून को अपने भाई की सुनियोजित हत्या के अपराध में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही प्रत्येक पर ₹50,000 का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माना न देने की स्थिति में प्रति ₹10,000 पर एक माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। यह निर्णय न केवल पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की दिशा में एक मील का पत्थर है, बल्कि यह स्थानीय समुदाय में कानून के प्रति आस्था और अपराध के विरुद्ध सख्ती का संकेत भी देता है। किशनगंज पुलिस इस फैसले का स्वागत करती है और सभी नागरिकों से आपसी संवाद. सद्भाव और कानून का सम्मान बनाए रखने की अपील करती है।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
किशनगंज जिला न्यायालय के जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम, सुरेश कुमार सिंह जी की अदालत ने वर्ष 2020 में घटित एक जघन्य हत्याकांड में ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए चार आरोपियों को दोषी ठहराया है। यह मामला पारिवारिक रंजिश और संपत्ति विवाद से जुड़ा हुआ था। किशनगंज पुलिस की जांच टीम ने घटना के बाद तत्परता से कार्रवाई करते हुए मजबूत चार्जशीट तैयार की। अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत ठोस साक्ष्य, वैज्ञानिक प्रमाण तथा गवाहों के सुसंगत बयानों ने अदालत के समक्ष अपराध को प्रमाणित किया। जांच के दौरान किशनगंज पुलिस ने सूक्ष्मता और गंभीरता से कार्य किया। अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत पुख्ता साक्ष्य, फॉरेंसिक रिपोर्ट और गवाहों के सटीक बयानों के आधार पर यह सिद्ध हुआ कि यह हत्या पुरानी पारिवारिक रंजिश और संपत्ति विवाद से प्रेरित थी। इस हत्याकांड में अब्दुल कलाम (55 वर्ष), मोहम्मद रफीक आलम (23 वर्ष), जाफिर आलम (25 वर्ष) तथा सालेहा खातून को अपने भाई की सुनियोजित हत्या के अपराध में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही प्रत्येक पर ₹50,000 का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माना न देने की स्थिति में प्रति ₹10,000 पर एक माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। यह निर्णय न केवल पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की दिशा में एक मील का पत्थर है, बल्कि यह स्थानीय समुदाय में कानून के प्रति आस्था और अपराध के विरुद्ध सख्ती का संकेत भी देता है। किशनगंज पुलिस इस फैसले का स्वागत करती है और सभी नागरिकों से आपसी संवाद. सद्भाव और कानून का सम्मान बनाए रखने की अपील करती है।
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