सारस न्यूज़, किशनगंज।
किशनगंज: चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा मंगलवार को ‘नहाय खाय’ के साथ आरंभ हो गया है। यह महापर्व 8 नवंबर को उगते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर सम्पन्न होगा। सूर्य षष्ठी व्रत या छठ पूजा को सूर्य की आराधना का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। इस पर्व की महत्ता के साथ कई कथाएँ और मान्यताएँ भी जुड़ी हुई हैं।
छठ महापर्व की तैयारियाँ अंतिम चरण में हैं। इस अवसर पर प्रदेश से लोग आ रहे हैं, और छठ व्रत को लेकर महीनों पहले से लोग आवश्यक सामान जुटाने में लगे हैं। बाजार में केला, नारियल, बांस से बने बर्तन, गन्ना आदि सामग्रियों की माँग बढ़ गई है, जिससे बाजारों में चहल-पहल देखी जा रही है। छठ पूजा के विशेष प्रसाद ठेकुआ सहित अन्य खाद्य सामग्रियों के साथ व्रती छठ घाट पहुँचते हैं। इस पूजा में किसी पंडित या पुरोहित की आवश्यकता नहीं होती, जो इसे विशेष बनाता है। धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी छठ महापर्व का अपना महत्त्व है।
अस्ताचलगामी और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के दौरान सूर्य की किरणों के संपर्क में आने से चर्म रोग की संभावना कम होती है और व्यक्ति स्वस्थ रहता है। इस समय सूर्य का ताप पृथ्वी पर कम पहुँचता है, जिससे शरीर को सर्दी में ऊर्जा प्राप्त होती है और स्वास्थ्य बेहतर रहता है। इस व्रत से संबंधित कई कथाएँ प्रचलित हैं, जिनमें से पांडवों की कथा सबसे प्रसिद्ध है। जब पांडव अपना राज्य जुए में हार गए थे, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। इस व्रत के बाद उनकी मनोकामनाएँ पूरी हुईं और पांडवों को उनका राज्य वापस मिल गया।
चार दिवसीय छठ पूजा इस वर्ष 5 नवंबर को ‘नहाय खाय’ से शुरू होकर 8 नवंबर को समाप्त होगी।
- 5 नवंबर: नहाय खाय (मंगलवार)
- 6 नवंबर: खरना (बुधवार)
- 7 नवंबर: संध्या कालीन अर्घ्य (गुरुवार)
- 8 नवंबर: प्रातःकालीन अर्घ्य के साथ समापन (शुक्रवार)
इस प्रकार, श्रद्धालु भगवान सूर्य की आराधना कर उनके प्रति अपनी आस्था व्यक्त करेंगे।