किशनगंज सदर अस्पताल परिसर में शुक्रवार से शुरू हुई 102 एंबुलेंस कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल शनिवार को दूसरे दिन भी जारी रही। 102 एंबुलेंस कर्मचारी संघ, किशनगंज के बैनर तले यह आंदोलन संघ अध्यक्ष मोहम्मद हैदर आलम की अध्यक्षता में किया जा रहा है।
जिले के सभी 102 एंबुलेंस चालक और ईएमटी (इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन) कर्मचारी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर कार्य बहिष्कार पर डटे हुए हैं। हड़ताल की वजह से अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, खासकर गर्भवती महिलाएं और गंभीर रोगी सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं।
कर्मचारियों की मुख्य मांगें:
न्यूनतम वेतन: बिहार सरकार के श्रम संसाधन विभाग द्वारा तय न्यूनतम मजदूरी के अनुसार कम से कम ₹21,000 प्रतिमाह (8 घंटे ड्यूटी) वेतन सुनिश्चित किया जाए।
नियुक्ति पत्र व वेतन पर्ची: एजेंसी द्वारा बिना शर्त सभी कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र और हर महीने की वेतन पर्ची दी जाए।
ईपीएफ और ईएसआईसी अंशदान: कर्मचारियों के ईपीएफ और ईएसआईसी का अंशदान संबंधित कार्यालय में समय पर जमा किया जाए।
दुर्घटना बीमा: ड्यूटी के दौरान मृत्यु होने पर कम से कम ₹20 लाख का मुआवजा सुनिश्चित किया जाए।
कार्य घंटे का निर्धारण: कर्मचारियों से प्रतिदिन 12 घंटे काम करवाया जा रहा है, जबकि श्रम कानूनों के अनुसार यह अवधि 8 घंटे होनी चाहिए।
कर्मचारियों का आरोप है कि नई संचालन एजेंसी जैन प्लस के आने के बाद से उन्हें न तो उचित वेतन मिल रहा है और न ही बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
इसी बीच, जिला सदस्य नासिक नादिर ने धरना स्थल पर पहुंचकर कर्मचारियों की समस्याएं सुनी और आंदोलन को समर्थन देने की बात कही।
हड़ताल कब तक चलेगी, इसका कोई स्पष्ट संकेत नहीं है, लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे डटे रहेंगे। वहीं, जिला प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन और एजेंसी को जल्द समाधान निकालने की जरूरत है, ताकि स्वास्थ्य सेवाएं सामान्य हो सकें।
राहुल कुमार, सारस न्यूज, किशनगंज।
किशनगंज सदर अस्पताल परिसर में शुक्रवार से शुरू हुई 102 एंबुलेंस कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल शनिवार को दूसरे दिन भी जारी रही। 102 एंबुलेंस कर्मचारी संघ, किशनगंज के बैनर तले यह आंदोलन संघ अध्यक्ष मोहम्मद हैदर आलम की अध्यक्षता में किया जा रहा है।
जिले के सभी 102 एंबुलेंस चालक और ईएमटी (इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन) कर्मचारी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर कार्य बहिष्कार पर डटे हुए हैं। हड़ताल की वजह से अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, खासकर गर्भवती महिलाएं और गंभीर रोगी सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं।
कर्मचारियों की मुख्य मांगें:
न्यूनतम वेतन: बिहार सरकार के श्रम संसाधन विभाग द्वारा तय न्यूनतम मजदूरी के अनुसार कम से कम ₹21,000 प्रतिमाह (8 घंटे ड्यूटी) वेतन सुनिश्चित किया जाए।
नियुक्ति पत्र व वेतन पर्ची: एजेंसी द्वारा बिना शर्त सभी कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र और हर महीने की वेतन पर्ची दी जाए।
ईपीएफ और ईएसआईसी अंशदान: कर्मचारियों के ईपीएफ और ईएसआईसी का अंशदान संबंधित कार्यालय में समय पर जमा किया जाए।
दुर्घटना बीमा: ड्यूटी के दौरान मृत्यु होने पर कम से कम ₹20 लाख का मुआवजा सुनिश्चित किया जाए।
कार्य घंटे का निर्धारण: कर्मचारियों से प्रतिदिन 12 घंटे काम करवाया जा रहा है, जबकि श्रम कानूनों के अनुसार यह अवधि 8 घंटे होनी चाहिए।
कर्मचारियों का आरोप है कि नई संचालन एजेंसी जैन प्लस के आने के बाद से उन्हें न तो उचित वेतन मिल रहा है और न ही बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
इसी बीच, जिला सदस्य नासिक नादिर ने धरना स्थल पर पहुंचकर कर्मचारियों की समस्याएं सुनी और आंदोलन को समर्थन देने की बात कही।
हड़ताल कब तक चलेगी, इसका कोई स्पष्ट संकेत नहीं है, लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे डटे रहेंगे। वहीं, जिला प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन और एजेंसी को जल्द समाधान निकालने की जरूरत है, ताकि स्वास्थ्य सेवाएं सामान्य हो सकें।
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