शशि कोशी रोक्का, किशनगंज सारस न्यूज़ टीम।
किशनगंज: लाखों की आबादी वाले ठाकुरगंज प्रखंड का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) इन दिनों खुद बीमार नजर आ रहा है। यहां महिला डॉक्टर की अनुपस्थिति से महिला मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। महिलाएं पुरुष डॉक्टर के सामने अपनी स्वास्थ्य समस्याएं साझा करने में हिचकिचाहट महसूस करती हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य समस्याओं के निदान और उपचार में देरी हो रही है। अक्सर महिलाएं अपनी समस्याओं को बताने में शर्म महसूस करती हैं, जिससे उनकी स्थिति और गंभीर हो सकती है।
महिला डॉक्टर की कमी ठाकुरगंज के इस अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को भी प्रभावित कर रही है। जिम्मेदार अधिकारियों को इस समस्या पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि महिला डॉक्टरों की नियुक्ति सुनिश्चित हो सके या महिला स्वास्थ्यकर्मियों की उपस्थिति बढ़ाई जा सके। इससे महिलाएं बिना किसी संकोच के अपनी स्वास्थ्य समस्याएं साझा कर सकें और उन्हें सही उपचार मिल सके।
ठाकुरगंज अस्पताल में डॉक्टरों की भारी कमी है। एक डॉक्टर, जो नाम न छापने की शर्त पर बोले, ने बताया कि वे अकेले सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक 200 से अधिक मरीजों की जांच करते हैं और उन्हें दवाइयां लिखते हैं, जबकि यहां कम से कम दो से तीन डॉक्टरों का होना आवश्यक है। वर्तमान में, ठाकुरगंज अस्पताल में केवल चार पुरुष डॉक्टर कार्यरत हैं। पहले एक महिला डॉक्टर भी थीं, लेकिन वे वर्तमान में ट्रेनिंग पर हैं।
इस स्थिति में, एक डॉक्टर द्वारा इतने अधिक मरीजों को संभालने से मरीजों को उचित समय और ध्यान नहीं मिल पाता, और डॉक्टरों पर भारी दबाव बना रहता है। इससे मरीजों को इलाज के लिए लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ती है, और कई बार गंभीर बीमारियों का समय पर निदान नहीं हो पाता। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए सरकार को प्राथमिकता के आधार पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की नियुक्ति पर ध्यान देना चाहिए और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
जब जिला सिविल सर्जन से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। वहीं, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी अनिल कुमार ने बताया कि विभाग को कई बार डॉक्टरों की कमी की सूचना दी गई है, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है।