फाइलेरिया उन्मूलन के लिए एक ठोस और सतत प्रयास के तहत जिले में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (CHOs) का प्रशिक्षण-सह-उन्मुखीकरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का आयोजन सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार की अध्यक्षता में किया गया, जिसमें जिले के स्वास्थ्य कर्मियों को फाइलेरिया जैसी गंभीर और स्थायी अपंगता लाने वाली बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने और उसके प्रबंधन में कुशलता लाने के लिए प्रशिक्षित किया गया। इस अवसर पर डॉ. मोनाजिम (DPM), मनीष कुमार (VDCO), दीपक कुमार सिंह (VDCO), अविनाश राय (कार्यवाहक VBDC), और मोइन जी (VBDS) भी उपस्थित थे। इन अधिकारियों ने प्रशिक्षण के दौरान विभिन्न तकनीकी पहलुओं और फाइलेरिया प्रबंधन की रणनीतियों पर प्रकाश डाला।
फाइलेरिया का महत्व और चुनौतियां
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि फाइलेरिया, जिसे हाथीपांव भी कहा जाता है, एक दीर्घकालिक और दर्दनाक रोग है, जो लाखों लोगों को शारीरिक और सामाजिक रूप से प्रभावित करता है। यह बीमारी न केवल मरीज की व्यक्तिगत क्षमता को सीमित करती है, बल्कि समाज और परिवार पर आर्थिक बोझ भी डालती है। किशनगंज जिले में फाइलेरिया के उन्मूलन के लिए इस प्रकार की जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम एक महत्वपूर्ण कदम है।
कार्यक्रम के उद्देश्य
कार्यशाला में फाइलेरिया प्रभावित मरीजों के लिए मॉर्बिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रिवेंशन (MMDP) पर विशेष ध्यान दिया गया। इसके तहत स्वास्थ्य कर्मियों को फाइलेरिया मरीजों की देखभाल और हाइड्रोसील रोगियों की शल्य क्रिया (सर्जरी) के प्रबंधन हेतु विशेष निर्देश दिए गए। सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने कहा, “फाइलेरिया उन्मूलन के लिए आवश्यक है कि हम मरीजों को न केवल समय पर उपचार दें, बल्कि उन्हें समाज में सम्मान के साथ जीने का अधिकार भी दिलाएं। जागरूकता और समय पर प्रबंधन के जरिए हम फाइलेरिया के प्रसार को रोक सकते हैं।”
सामुदायिक स्तर पर सतत प्रयास और जागरूकता की आवश्यकता
कार्यशाला में जिला वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल (VBDC) पदाधिकारी डॉ. मंज़र आलम ने कहा, “फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सामुदायिक स्तर पर सतत प्रयास और जागरूकता की आवश्यकता है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हर मरीज को उचित इलाज और जानकारी मिले।”
जागरूकता और सहयोग पर जोर
कार्यक्रम के दौरान सिविल सर्जन और अन्य अधिकारियों ने CHOs को यह निर्देश दिया कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर लोगों को फाइलेरिया से बचाव के उपाय, उपचार प्रक्रिया, और हाइड्रोसील के सर्जिकल प्रबंधन की जानकारी दें। इसके साथ ही यह सुनिश्चित करें कि प्रभावित मरीजों को समय पर उचित देखभाल मिले। कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी अधिकारियों ने सामुदायिक सहयोग को बढ़ावा देने पर बल दिया। डॉ. मंज़र आलम ने कहा, “सामुदायिक जागरूकता ही इस बीमारी के उन्मूलन की कुंजी है। यदि हर स्वास्थ्य कर्मी अपने क्षेत्र में सतर्कता और समर्पण के साथ कार्य करे, तो फाइलेरिया को पूरी तरह से खत्म करना संभव है।”
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
फाइलेरिया का महत्व और चुनौतियां
फाइलेरिया उन्मूलन के लिए एक ठोस और सतत प्रयास के तहत जिले में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (CHOs) का प्रशिक्षण-सह-उन्मुखीकरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का आयोजन सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार की अध्यक्षता में किया गया, जिसमें जिले के स्वास्थ्य कर्मियों को फाइलेरिया जैसी गंभीर और स्थायी अपंगता लाने वाली बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने और उसके प्रबंधन में कुशलता लाने के लिए प्रशिक्षित किया गया। इस अवसर पर डॉ. मोनाजिम (DPM), मनीष कुमार (VDCO), दीपक कुमार सिंह (VDCO), अविनाश राय (कार्यवाहक VBDC), और मोइन जी (VBDS) भी उपस्थित थे। इन अधिकारियों ने प्रशिक्षण के दौरान विभिन्न तकनीकी पहलुओं और फाइलेरिया प्रबंधन की रणनीतियों पर प्रकाश डाला।
फाइलेरिया का महत्व और चुनौतियां
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि फाइलेरिया, जिसे हाथीपांव भी कहा जाता है, एक दीर्घकालिक और दर्दनाक रोग है, जो लाखों लोगों को शारीरिक और सामाजिक रूप से प्रभावित करता है। यह बीमारी न केवल मरीज की व्यक्तिगत क्षमता को सीमित करती है, बल्कि समाज और परिवार पर आर्थिक बोझ भी डालती है। किशनगंज जिले में फाइलेरिया के उन्मूलन के लिए इस प्रकार की जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम एक महत्वपूर्ण कदम है।
कार्यक्रम के उद्देश्य
कार्यशाला में फाइलेरिया प्रभावित मरीजों के लिए मॉर्बिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रिवेंशन (MMDP) पर विशेष ध्यान दिया गया। इसके तहत स्वास्थ्य कर्मियों को फाइलेरिया मरीजों की देखभाल और हाइड्रोसील रोगियों की शल्य क्रिया (सर्जरी) के प्रबंधन हेतु विशेष निर्देश दिए गए। सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने कहा, “फाइलेरिया उन्मूलन के लिए आवश्यक है कि हम मरीजों को न केवल समय पर उपचार दें, बल्कि उन्हें समाज में सम्मान के साथ जीने का अधिकार भी दिलाएं। जागरूकता और समय पर प्रबंधन के जरिए हम फाइलेरिया के प्रसार को रोक सकते हैं।”
सामुदायिक स्तर पर सतत प्रयास और जागरूकता की आवश्यकता
कार्यशाला में जिला वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल (VBDC) पदाधिकारी डॉ. मंज़र आलम ने कहा, “फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सामुदायिक स्तर पर सतत प्रयास और जागरूकता की आवश्यकता है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हर मरीज को उचित इलाज और जानकारी मिले।”
जागरूकता और सहयोग पर जोर
कार्यक्रम के दौरान सिविल सर्जन और अन्य अधिकारियों ने CHOs को यह निर्देश दिया कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर लोगों को फाइलेरिया से बचाव के उपाय, उपचार प्रक्रिया, और हाइड्रोसील के सर्जिकल प्रबंधन की जानकारी दें। इसके साथ ही यह सुनिश्चित करें कि प्रभावित मरीजों को समय पर उचित देखभाल मिले। कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी अधिकारियों ने सामुदायिक सहयोग को बढ़ावा देने पर बल दिया। डॉ. मंज़र आलम ने कहा, “सामुदायिक जागरूकता ही इस बीमारी के उन्मूलन की कुंजी है। यदि हर स्वास्थ्य कर्मी अपने क्षेत्र में सतर्कता और समर्पण के साथ कार्य करे, तो फाइलेरिया को पूरी तरह से खत्म करना संभव है।”