स्वास्थ्य कर्मियों की दक्षता बढ़ाने का एक उत्कृष्ट प्रयास
किशनगंज में शिशु एवं बाल आहार (Infant and Young Child Feeding, IYCF) पर आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समापन हुआ। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों में कुपोषण की समस्या को जड़ से खत्म करना और शिशु मृत्यु दर में कमी लाना था। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और क्षेत्रीय स्वास्थ्य कर्मियों ने इसमें सक्रिय भागीदारी की।
कार्यक्रम की भूमिका और आवश्यकता
बच्चों के जीवन के पहले 1000 दिन उनके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। इस अवधि में पोषण की कमी न केवल उनकी सेहत पर असर डालती है, बल्कि उनके संज्ञानात्मक विकास को भी बाधित करती है। सही जानकारी के अभाव में परिवार और माताएं शिशु आहार की उचित प्रथाओं को अपनाने में असमर्थ रहती हैं।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य स्वास्थ्य कर्मियों को शिशु आहार के महत्व और सही तरीकों के बारे में जागरूक करना था, ताकि वे माताओं और परिवारों को इस विषय पर सटीक मार्गदर्शन दे सकें।
सिविल सर्जन की समस्या पर चर्चा
कार्यक्रम के दौरान सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने कहा, “किशनगंज में कुपोषण और शिशु मृत्यु दर बड़ी चुनौती है। IYCF प्रशिक्षण स्वास्थ्य कर्मियों को शिशु आहार के महत्व को समझने और इसे समुदाय में प्रभावी रूप से लागू करने में मदद करेगा।”
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी ने कहा, “सही आहार प्रथाएं बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हैं और उनके समग्र विकास को सुनिश्चित करती हैं। यह प्रशिक्षण स्वास्थ्य कर्मियों को माताओं को पोषण संबंधी सही तरीके सिखाने में सशक्त बनाएगा।”
प्रशिक्षण की संरचना और लाभ
सिविल सर्जन ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को शिशु आहार की विभिन्न विधियों जैसे स्तनपान, पूरक आहार की शुरुआत, आहार विविधता और सही पोषण आवृत्ति पर प्रशिक्षित किया गया।
प्रशिक्षक डॉ. इनामुल हक ने कहा, “प्रशिक्षण के बाद, प्रतिभागी अपने क्षेत्रों में जाकर इस ज्ञान का प्रसार करेंगे। इससे बच्चों के पोषण स्तर और स्वास्थ्य में सुधार होगा।”
कार्यक्रम में व्यवहारिक सत्रों के माध्यम से स्वास्थ्य कर्मियों को माताओं और देखभालकर्ताओं को परामर्श देने की तकनीक भी सिखाई गई।
समापन और भविष्य की योजना
कार्यक्रम के अंत में नोडल पदाधिकारी सह जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार ने प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए। उन्होंने कहा, “यह प्रशिक्षण स्वास्थ्य कर्मियों की दक्षता बढ़ाने का एक उत्कृष्ट प्रयास है। इससे जिले के हर कोने में शिशु और बाल आहार संबंधी सही जानकारी पहुंचेगी।”
स्वास्थ्य विभाग ने भविष्य में इस तरह के और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है, ताकि जिले में कुपोषण और शिशु मृत्यु दर की समस्या का पूरी तरह समाधान हो सके।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम किशनगंज जिले के बच्चों के पोषण में सुधार और उनके स्वस्थ भविष्य के निर्माण में एक मील का पत्थर साबित होगा। स्वास्थ्य कर्मियों और अधिकारियों ने इसे जिले के विकास की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
स्वास्थ्य कर्मियों की दक्षता बढ़ाने का एक उत्कृष्ट प्रयास
किशनगंज में शिशु एवं बाल आहार (Infant and Young Child Feeding, IYCF) पर आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समापन हुआ। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों में कुपोषण की समस्या को जड़ से खत्म करना और शिशु मृत्यु दर में कमी लाना था। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और क्षेत्रीय स्वास्थ्य कर्मियों ने इसमें सक्रिय भागीदारी की।
कार्यक्रम की भूमिका और आवश्यकता
बच्चों के जीवन के पहले 1000 दिन उनके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। इस अवधि में पोषण की कमी न केवल उनकी सेहत पर असर डालती है, बल्कि उनके संज्ञानात्मक विकास को भी बाधित करती है। सही जानकारी के अभाव में परिवार और माताएं शिशु आहार की उचित प्रथाओं को अपनाने में असमर्थ रहती हैं।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य स्वास्थ्य कर्मियों को शिशु आहार के महत्व और सही तरीकों के बारे में जागरूक करना था, ताकि वे माताओं और परिवारों को इस विषय पर सटीक मार्गदर्शन दे सकें।
सिविल सर्जन की समस्या पर चर्चा
कार्यक्रम के दौरान सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने कहा, “किशनगंज में कुपोषण और शिशु मृत्यु दर बड़ी चुनौती है। IYCF प्रशिक्षण स्वास्थ्य कर्मियों को शिशु आहार के महत्व को समझने और इसे समुदाय में प्रभावी रूप से लागू करने में मदद करेगा।”
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी ने कहा, “सही आहार प्रथाएं बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हैं और उनके समग्र विकास को सुनिश्चित करती हैं। यह प्रशिक्षण स्वास्थ्य कर्मियों को माताओं को पोषण संबंधी सही तरीके सिखाने में सशक्त बनाएगा।”
प्रशिक्षण की संरचना और लाभ
सिविल सर्जन ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को शिशु आहार की विभिन्न विधियों जैसे स्तनपान, पूरक आहार की शुरुआत, आहार विविधता और सही पोषण आवृत्ति पर प्रशिक्षित किया गया।
प्रशिक्षक डॉ. इनामुल हक ने कहा, “प्रशिक्षण के बाद, प्रतिभागी अपने क्षेत्रों में जाकर इस ज्ञान का प्रसार करेंगे। इससे बच्चों के पोषण स्तर और स्वास्थ्य में सुधार होगा।”
कार्यक्रम में व्यवहारिक सत्रों के माध्यम से स्वास्थ्य कर्मियों को माताओं और देखभालकर्ताओं को परामर्श देने की तकनीक भी सिखाई गई।
समापन और भविष्य की योजना
कार्यक्रम के अंत में नोडल पदाधिकारी सह जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार ने प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए। उन्होंने कहा, “यह प्रशिक्षण स्वास्थ्य कर्मियों की दक्षता बढ़ाने का एक उत्कृष्ट प्रयास है। इससे जिले के हर कोने में शिशु और बाल आहार संबंधी सही जानकारी पहुंचेगी।”
स्वास्थ्य विभाग ने भविष्य में इस तरह के और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है, ताकि जिले में कुपोषण और शिशु मृत्यु दर की समस्या का पूरी तरह समाधान हो सके।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम किशनगंज जिले के बच्चों के पोषण में सुधार और उनके स्वस्थ भविष्य के निर्माण में एक मील का पत्थर साबित होगा। स्वास्थ्य कर्मियों और अधिकारियों ने इसे जिले के विकास की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया।