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राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत हृदय रोग से पीड़ित आठ बच्चे जांच के लिए पटना रवाना।

राहुल कुमार, सारस न्यूज, किशनगंज।

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) के तहत हृदय रोग से ग्रसित जिले के आठ बच्चों को मंगलवार को जांच के लिए इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान (IGIC), पटना भेजा गया। वहां आवश्यक जांच के बाद गंभीर रूप से पीड़ित बच्चों को बेहतर उपचार के लिए गुजरात स्थित श्री सत्य साईं हृदय रोग संस्थान, अहमदाबाद भेजा जाएगा, जहां उनका निःशुल्क ऑपरेशन किया जाएगा।

बिहार सरकार उठाएगी सभी खर्च

सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत मरीजों और उनके अभिभावकों के इलाज, परिवहन, भोजन और रहने की सभी व्यवस्थाओं का खर्च बिहार सरकार द्वारा पूरी तरह वहन किया जाता है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) और मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत अब तक 40 बच्चों को सफल उपचार मिल चुका है। इनमें से 25 बच्चों का इलाज अहमदाबाद में और 15 बच्चों का डिवाइस क्लोजर IGIC, पटना में किया गया है।

पीड़ित बच्चों की सूची:

  1. हसमत राजा (4 वर्ष) – पिता: इरशाद आलम, पता: खारना, ठाकुरगंज
  2. सुरजना कुमारी (12 वर्ष) – पिता: लवो सिंह, पता: नवघटा, ठाकुरगंज
  3. मोनाजिर (11 वर्ष) – पिता: ऊवर आलम, पता: शरायकोड़ी, ठाकुरगंज
  4. फरहत जहां (4 वर्ष 5 माह) – पिता: हसीम अनवर, पता: किशनगंज
  5. मंसूर रहमान (4 वर्ष 9 माह) – पिता: असरूल हक, पता: बक्सा, पोठिया
  6. सारा सुमुल (8 माह) – पिता: मोहम्मद सरफराज जामिल, पता: नौकट्टा, पोठिया
  7. तहमिज आलम (12 वर्ष) – पिता: हबीबुर रहमान, पता: अरबारी, पोठिया
  8. नज़र (4 वर्ष 10 माह) – पिता: नजीम आलम, पता: चमनमारी, कोचाधामन

निःशुल्क इलाज का सुनहरा अवसर

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) के जिला समन्वयक पंकज कुमार शर्मा ने बताया कि इस योजना के तहत 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों को विभिन्न गंभीर बीमारियों का निःशुल्क इलाज उपलब्ध कराया जाता है। मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना विशेष रूप से जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रही है। अब तक जिले के 40 बच्चों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा चुका है। उन्होंने कहा, “सरकार इस योजना के तहत न केवल ऑपरेशन बल्कि यात्रा और देखभाल की पूरी व्यवस्था करती है, जिससे गरीब परिवारों को किसी भी आर्थिक परेशानी का सामना न करना पड़े।”

समय पर कराएं बच्चों की जांच–सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि जिले में आरबीएसके की टीम लगातार हृदय रोग से पीड़ित बच्चों की पहचान कर उन्हें इलाज के लिए रेफर कर रही है। उन्होंने माता-पिता से अपील की, “अगर आपके बच्चे को जल्दी थकान होती है, सांस लेने में कठिनाई होती है या बार-बार बुखार आता है, तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जांच करवाएं। यह योजना गरीब परिवारों के बच्चों को निःशुल्क हृदय उपचार उपलब्ध कराने के लिए है, इसलिए इसका लाभ अवश्य लें।”

सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर भरोसा करें – जिला पदाधिकारी

इस अवसर पर जिला पदाधिकारी विशाल राज ने कहा कि सरकार की यह अनूठी योजना जरूरतमंद बच्चों के लिए वरदान है। उन्होंने कहा, “समाज के हर व्यक्ति को इस योजना के बारे में जागरूक होना चाहिए ताकि अधिक से अधिक बच्चों को इसका लाभ मिल सके। सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ उठाकर हम अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं। अभिभावकों को घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य केंद्र जाकर पूरी जानकारी लेनी चाहिए और सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाना चाहिए।”

शिविरों के माध्यम से हो रही पहचान और जागरूकता

डीपीएम स्वास्थ्य डॉ. मुनाजिम ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक नियमित स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। इन शिविरों में जन्मजात बीमारियों, हृदय रोग, कटे होंठ, एनीमिया, आंखों और कानों की बीमारियों समेत 38 प्रकार की बीमारियों की पहचान की जाती है। उन्होंने बताया कि 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों की जांच आंगनबाड़ी केंद्रों में और 6 से 18 वर्ष तक के बच्चों की जांच विद्यालय स्तर पर की जाती है।

योजना का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे

सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत हजारों बच्चों को नया जीवन मिल रहा है। उन्होंने कहा, “यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि इस योजना की जानकारी जरूरतमंद परिवारों तक पहुंचाएं, ताकि कोई भी बच्चा सिर्फ आर्थिक तंगी के कारण इलाज से वंचित न रहे।”

उन्होंने लोगों से अपील की कि “अगर आपके आसपास कोई बच्चा हृदय रोग से पीड़ित है, तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या आरबीएसके टीम से संपर्क करें।” जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग का प्रयास है कि अधिक से अधिक बच्चों को इस योजना का लाभ मिले और वे स्वस्थ जीवन जी सकें।

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