राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
जिले के पोठिया प्रखंड स्थित छोटा सोहागी गांव में 27 अगस्त को एक गर्भवती महिला की मृत्यु एक्लैंप्सिया (गर्भावस्था के दौरान होने वाली गंभीर स्थिति) के कारण हो गई थी। इस दुखद घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा मातृ मृत्यु की वर्बल ऑटोप्सी (मौखिक शव परीक्षण) के तहत जांच की गई। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) पोठिया की मेडिकल टीम, जिसमें प्रमुख चिकित्सा अधिकारी (एमओ) डॉ. रवि रंजन, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) पत्रम यादव और राकेश मोर्या, बीएचएम सुनील कुमार, एएनएम मीरा देवी, और आशा कार्यकर्ता नीलम जहां शामिल थे, ने गांव का दौरा कर यह जांच की।
वर्बल ऑटोप्सी का उद्देश्य
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि मातृ मृत्यु की जांच के तहत महिला की मौत के कारणों को जानने के लिए उसके परिवार, ग्रामीणों और स्वास्थ्य कर्मियों से जानकारी एकत्र की गई। यह प्रक्रिया उन मामलों में की जाती है, जहां मौत के समय कोई विस्तृत मेडिकल रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होता। जांच का उद्देश्य यह जानना था कि क्या गर्भवती महिला को एक्लैंप्सिया के दौरान सही समय पर चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई गई थी या नहीं।
प्रमुख जांच बिंदु:
- एक्लैंप्सिया का प्रबंधन: महिला की एक्लैंप्सिया की स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया गया कि क्या इसे समय पर पहचाना गया और उचित चिकित्सा सहायता प्रदान की गई।
- प्रसव पूर्व देखभाल: गर्भावस्था के दौरान महिला को मिलने वाली चिकित्सा सुविधाओं और देखभाल का भी विश्लेषण किया गया।
- आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं: यह देखा गया कि क्या आपात स्थिति में एम्बुलेंस, दवाइयों और चिकित्सा उपकरणों की उपलब्धता सही समय पर थी।
जांच के दौरान मृतका के परिवार और स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि महिला की हालत प्रसव के दौरान अचानक बिगड़ी, और एक्लैंप्सिया के कारण उसकी मृत्यु हो गई। मेडिकल टीम ने इस पर गहन विचार करते हुए अपनी रिपोर्ट तैयार की, जिसमें इस मामले के प्रमुख कारणों का विवरण शामिल होगा।
आगे की कार्रवाई:
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि मेडिकल टीम की रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसे स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों को सौंपा जाएगा। रिपोर्ट के आधार पर ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं की देखभाल और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। इससे भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी। वहीं, स्थानीय ग्रामीणों ने इस जांच का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि इससे स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा, जिससे गर्भवती महिलाओं को भविष्य में बेहतर चिकित्सा सहायता मिल सकेगी।