राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
बिहार सरकार के ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 18 अप्रैल से शुरू किए गए महिला संवाद कार्यक्रम ने किशनगंज जिले में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मजबूत और उम्मीदों से भरी शुरुआत की है। इस कार्यक्रम के तहत गाँव की महिलाएं न केवल सरकारी योजनाओं की जानकारी पा रही हैं, बल्कि अपनी नीतिगत आकांक्षाओं को भी खुलकर साझा कर रही हैं।
बहादुरगंज प्रखंड की प्रेरणादायी पहल
अलीशा ग्राम संगठन की सदस्य फातिमा बेगम ने ‘महिला बैंक’ शुरू करने की महत्वाकांक्षा जताई। उनका मानना है कि इससे महिलाओं को बैंकिंग सुविधाओं तक आसान पहुंच मिलेगी और आर्थिक निर्णयों में स्वतंत्रता भी बढ़ेगी। उन्होंने महिलाओं के लिए ऋण की ब्याज दर कम करने और महिला उद्यमियों को सरल ऋण सुविधा देने की भी मांग उठाई।
जहाँगीरपुर पंचायत की आवाज़ – बागवानी को मिले बढ़ावा
पोठिया प्रखंड के सहारा ग्राम संगठन से जुड़ी सावेरा खातुन ने सरकार से बागवानी को बढ़ावा देने की अपील की। उन्होंने कहा कि फल, फूल और सब्जी उत्पादन जैसे क्षेत्र किसानों के लिए अत्यधिक लाभकारी हो सकते हैं। इसके लिए उन्होंने वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित प्रशिक्षण, उन्नत बीज, और सिंचाई साधनों की उपलब्धता जैसी सहायता की अपेक्षा व्यक्त की।
सरकारी योजनाओं से मिली नई उड़ान – कनकपुर पंचायत की सफलता कथा
कनकपुर पंचायत के उजाला ग्राम संगठन की सोनी कुमारी ने मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना का अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि मैट्रिक के बाद उन्हें ₹10,000 और इंटरमीडिएट के बाद ₹25,000 की प्रोत्साहन राशि प्राप्त हुई। वह फिलहाल स्नातक की पढ़ाई कर रही हैं और कहती हैं कि “सरकारी योजनाओं से लड़कियों को उच्च शिक्षा तक पहुँच मिल रही है।” स्कूल में पढ़ाई के दौरान साइकिल, पोशाक, छात्रवृत्ति और मध्याह्न भोजन जैसी योजनाओं ने उन्हें पढ़ाई जारी रखने में मदद की।
कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताएं
महिला संवाद कार्यक्रम के अंतर्गत जागरूकता रथ के माध्यम से सरकारी योजनाओं से जुड़ी वीडियो फिल्मों का प्रदर्शन किया जा रहा है। साथ ही, योजना आधारित पर्चे (लीफलेट) भी महिलाओं को बांटे जा रहे हैं ताकि उन्हें योजनाओं की पूरी जानकारी मिल सके।
गुरुवार को जिले के सभी सात प्रखंडों के कुल 20 ग्राम संगठनों में यह कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें महिलाओं ने बड़े उत्साह और सक्रियता से भाग लिया। उनकी बातें अब एक मोबाइल ऐप के माध्यम से रिकॉर्ड की जा रही हैं ताकि उन्हें संबंधित विभागों तक पहुंचाकर वास्तविक कार्रवाई हो सके।
यह कार्यक्रम साबित कर रहा है कि जब महिलाएं नीति-निर्माण प्रक्रिया में भाग लेती हैं, तो विकास की दिशा और रफ्तार दोनों ही बेहतर हो जाती हैं।