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महिला संवाद कार्यक्रम में उभरी स्थानीय उद्योगों और सरकारी योजनाओं से जुड़ी महिलाओं की आकांक्षाएँ।

राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।

किशनगंज जिले में आयोजित महिला संवाद कार्यक्रम में महिलाओं की स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार, उद्योग और सरकारी योजनाओं से जुड़ी अपेक्षाएँ मुखर होकर सामने आईं। कार्यक्रम में भाग ले रही महिलाओं ने लघु व कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने की पुरज़ोर मांग की और बताया कि इससे न केवल महिलाओं को आर्थिक आत्मनिर्भरता मिलेगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोज़गार के अवसर भी विकसित होंगे।

स्थानीय बेकरी उद्योग को लेकर उम्मीदें
पोठिया प्रखंड की कुसियारी पंचायत से आईं निखत नाज़ ने किशनगंज में बेकरी उद्योग को बढ़ावा देने की ज़रूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जिले में बेकरी उत्पादों की मांग है और इसे संगठित रूप देने पर न केवल किशनगंज, बल्कि आसपास के जिलों और सीमावर्ती राज्यों में भी विपणन की संभावनाएं हैं। उन्होंने जिला प्रशासन से इस दिशा में ठोस प्रयास करने की अपेक्षा जताई।

खाद्य प्रसंस्करण और जूट उद्योग की भी मांग
कार्यक्रम में भाग लेने वाली महिलाओं ने मक्का और अनानास जैसे स्थानीय कृषि उत्पादों से जुड़े खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने की भी मांग रखी। साथ ही जूट उद्योग को लेकर भी महिलाओं ने संभावनाएँ जताते हुए सरकार से इस दिशा में पहल करने की अपील की।

महिला संवाद: एक सशक्त पहल
महिला संवाद कार्यक्रम को महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक व्यापक और प्रभावशाली पहल बताया जा रहा है। इसका उद्देश्य राज्य की महिलाओं को विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी देना और उनकी आकांक्षाओं, समस्याओं और सुझावों को सीधे शासन के संबंधित विभागों तक पहुँचाना है।

कार्यक्रम के दौरान जागरूकता वाहन में लगी एलईडी स्क्रीन पर वीडियो फिल्में, सूचना सामग्री, और लीफलेट्स के माध्यम से महिलाओं को विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी गई। इसके साथ ही महिलाएँ मंच पर बेझिझक अपनी बातें रखती दिखीं, जिससे उनकी सहभागिता और आत्मविश्वास दोनों स्पष्ट रूप से झलक रहे थे।

नीति-निर्माण में भागीदारी
महिलाओं द्वारा दिए गए सुझाव और समस्याएँ आगामी नीति-निर्माण में आधार बन सकते हैं। स्थानीय स्तर पर उनकी भागीदारी को मजबूत करने के लिए यह कार्यक्रम संवाद, समाधान और सशक्तिकरण की त्रिस्तरीय भूमिका निभा रहा है।

जमीनी समस्याएँ भी आईं सामने
महिला संवाद कार्यक्रम में ग्रामीण क्षेत्रों की मूलभूत समस्याओं जैसे— जन वितरण प्रणाली में राशन की मात्रा वृद्धि, वृद्धावस्था पेंशन, आवास, शौचालय निर्माण, छात्रवृत्ति, पोशाक, और साइकिल योजना की राशि में वृद्धि, सड़क व नाली निर्माण की माँगें भी प्रमुखता से उठाई गईं।

महिलाओं की सक्रिय और प्रखर भागीदारी ने इस संवाद को न केवल जीवंत बना दिया, बल्कि यह भी साबित किया कि यदि मंच दिया जाए, तो महिलाएँ समाज के हर मुद्दे पर अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज करा सकती हैं।


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