राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
महिला संवाद कार्यक्रम में महिलाएं अपने गांव को आदर्श ग्राम बनाने की शपथ ले रही हैं। वे बाल विवाह की रोकथाम, दहेज-मुक्त विवाह को बढ़ावा देने तथा बच्चों की शिक्षा और उनके सर्वांगीण विकास हेतु संकल्प ले रही हैं। यह कार्यक्रम महिलाओं को प्रेरित करने का एक सशक्त माध्यम बनता जा रहा है। इसमें महिलाएं स्वरोजगार के साधन विकसित कर अपने परिवार की आय बढ़ाने की दिशा में भी प्रतिबद्धता जता रही हैं। साथ ही, सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाकर आत्मनिर्भर बनने की शपथ भी ली जा रही है।
‘आधी आबादी’ की यह प्रेरणादायी पहल, प्रगतिशील परिवार और सशक्त समाज की मजबूत नींव रख रही है। महिला संवाद कार्यक्रम, महिलाओं की बुलंद आवाज़, प्रेरणादायी जीवन अनुभव और उनकी आकांक्षाओं को व्यक्त करने का एक सशक्त मंच बन चुका है।
कार्यक्रम में खतीजा खातुन ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि वे विकलांग हैं और अकेले जीवन यापन करती हैं। उनके पास कोई देखभाल करने वाला नहीं है। इस विषम परिस्थिति में सतत् जीविकोपार्जन योजना उनके जीवन में सहारा बनकर आई। दिघलबैंक प्रखंड के सतकौआ पंचायत की निवासी खतीजा खातुन ने इस योजना के अंतर्गत मनिहारी सामान की दुकान शुरू की है, जिससे उन्हें स्थायी आमदनी हो रही है और वे आत्मनिर्भर बनी हैं। उनकी संघर्षपूर्ण यात्रा और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन रही है।
इसी प्रकार, ठाकुरगंज प्रखंड के छेतल पंचायत की नाहिदा खातुन ने भी महिला संवाद कार्यक्रम में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। वे और उनके पति मजदूरी कर जैसे-तैसे गुजर-बसर करते थे। बच्चों को शिक्षा देना मुश्किल हो रहा था, लेकिन सरकारी विद्यालयों में पोशाक, छात्रवृत्ति, मध्याह्न भोजन और साइकिल जैसी योजनाओं का लाभ मिलने से बच्चों की पढ़ाई आसान हो गई। यह सब मजदूरी की आमदनी से संभव नहीं था।
ग्राम संगठनों द्वारा आयोजित महिला संवाद कार्यक्रमों में स्थानीय टोलों और गांवों की महिलाओं की समस्याएं और आकांक्षाएं भी सामने आ रही हैं। महिलाएं राशन की मात्रा में वृद्धि, पेंशन, आवास, शौचालय निर्माण, छात्रवृत्ति, पोशाक और साइकिल योजना की राशि में बढ़ोतरी जैसी मांगों को मुखरता से रख रही हैं। साथ ही, सड़कों, गलियों और नालियों की बदहाल स्थिति की ओर भी ध्यान आकर्षित कर रही हैं।