बारिश की रिमझिम और ठंडी फिज़ाओं के बीच किशनगंज जिले में ‘महिला संवाद’ कार्यक्रम ने एक नई जागरूकता की लहर पैदा कर दी है। ग्रामीण महिलाएं अब अपने घर और रोज़गार की ज़िम्मेदारियों को पूरा कर, पूरे उत्साह से इस संवाद में भाग ले रही हैं। वे खुलकर अपनी बात कह रही हैं — अपने सपनों, समस्याओं और उम्मीदों को सबके सामने रख रही हैं।
पर्यावरण से लेकर सुरक्षा तक — हर मुद्दे पर खुली बात
पोठिया प्रखंड की छत्तरगाछ पंचायत से जुड़ी एकता ग्राम संगठन की असमा बेगम ने पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया। उन्होंने सड़कों के किनारे पौधारोपण का सुझाव देते हुए कहा, “इससे न सिर्फ पर्यावरण सुधरेगा, बल्कि बारिश और भूजल स्तर पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा। यात्रियों को भी गर्मी में राहत मिलेगी।” उन्होंने सरकार और आम लोगों दोनों से इसमें सहयोग की अपील की।
वहीं, जहाँगीरपुर पंचायत की मोहसिन बेगम (माला ग्राम संगठन) ने महिलाओं की सुरक्षा पर बात करते हुए थानों में विशेष महिला हेल्पडेस्क बनाने की मांग की। उन्होंने पुलिस भर्ती में महिलाओं को दिए जा रहे आरक्षण की सराहना की और बताया कि इससे महिलाएं अब राज्य की सुरक्षा में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
स्थानीय समस्याओं पर भी सामने आ रही हैं आवाज़ें
टेढ़ागाछ प्रखंड की चेलहनिया पंचायत की आरती देवी ने रतुवा नदी के कटाव और पुल की आवश्यकता को लेकर चिंता जताई। उन्होंने इस दिशा में स्थायी समाधान की मांग की ताकि गांववाले सुरक्षित जीवन जी सकें।
कोचाधामन प्रखंड की पुरनदाहा पंचायत से जुड़ी रोज़ी बेगम (मौसमी ग्राम संगठन) ने मुख्यमंत्री बालिका इंटरमीडिएट और स्नातक प्रोत्साहन योजनाओं की सराहना की। उन्होंने बताया कि इन योजनाओं से अब ग्रामीण बालिकाएं भी उच्च शिक्षा के सपने साकार कर पा रही हैं।
सरकारी योजनाओं की पहुँच अब गांव की चौपाल तक
महिला संवाद कार्यक्रम न सिर्फ महिलाओं को अपनी बात कहने का मंच दे रहा है, बल्कि उन्हें सरकारी योजनाओं की पूरी जानकारी भी मिल रही है। इस कार्यक्रम के तहत योजनाओं से संबंधित लीफलेट बांटे जा रहे हैं और वीडियो फिल्मों के माध्यम से उन्हें विस्तार से समझाया जा रहा है — ताकि हर महिला जागरूक होकर इन योजनाओं का लाभ उठा सके।
निष्कर्ष:
‘महिला संवाद’ सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि ग्रामीण महिलाओं के आत्मबल और विकास की एक सशक्त पहल बन चुका है। अब महिलाएं अपने गांव, समाज और राज्य की प्रगति में भागीदारी निभाने के लिए तैयार हैं — आत्मविश्वास और उम्मीदों के साथ।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
बारिश की रिमझिम और ठंडी फिज़ाओं के बीच किशनगंज जिले में ‘महिला संवाद’ कार्यक्रम ने एक नई जागरूकता की लहर पैदा कर दी है। ग्रामीण महिलाएं अब अपने घर और रोज़गार की ज़िम्मेदारियों को पूरा कर, पूरे उत्साह से इस संवाद में भाग ले रही हैं। वे खुलकर अपनी बात कह रही हैं — अपने सपनों, समस्याओं और उम्मीदों को सबके सामने रख रही हैं।
पर्यावरण से लेकर सुरक्षा तक — हर मुद्दे पर खुली बात
पोठिया प्रखंड की छत्तरगाछ पंचायत से जुड़ी एकता ग्राम संगठन की असमा बेगम ने पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया। उन्होंने सड़कों के किनारे पौधारोपण का सुझाव देते हुए कहा, “इससे न सिर्फ पर्यावरण सुधरेगा, बल्कि बारिश और भूजल स्तर पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा। यात्रियों को भी गर्मी में राहत मिलेगी।” उन्होंने सरकार और आम लोगों दोनों से इसमें सहयोग की अपील की।
वहीं, जहाँगीरपुर पंचायत की मोहसिन बेगम (माला ग्राम संगठन) ने महिलाओं की सुरक्षा पर बात करते हुए थानों में विशेष महिला हेल्पडेस्क बनाने की मांग की। उन्होंने पुलिस भर्ती में महिलाओं को दिए जा रहे आरक्षण की सराहना की और बताया कि इससे महिलाएं अब राज्य की सुरक्षा में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
स्थानीय समस्याओं पर भी सामने आ रही हैं आवाज़ें
टेढ़ागाछ प्रखंड की चेलहनिया पंचायत की आरती देवी ने रतुवा नदी के कटाव और पुल की आवश्यकता को लेकर चिंता जताई। उन्होंने इस दिशा में स्थायी समाधान की मांग की ताकि गांववाले सुरक्षित जीवन जी सकें।
कोचाधामन प्रखंड की पुरनदाहा पंचायत से जुड़ी रोज़ी बेगम (मौसमी ग्राम संगठन) ने मुख्यमंत्री बालिका इंटरमीडिएट और स्नातक प्रोत्साहन योजनाओं की सराहना की। उन्होंने बताया कि इन योजनाओं से अब ग्रामीण बालिकाएं भी उच्च शिक्षा के सपने साकार कर पा रही हैं।
सरकारी योजनाओं की पहुँच अब गांव की चौपाल तक
महिला संवाद कार्यक्रम न सिर्फ महिलाओं को अपनी बात कहने का मंच दे रहा है, बल्कि उन्हें सरकारी योजनाओं की पूरी जानकारी भी मिल रही है। इस कार्यक्रम के तहत योजनाओं से संबंधित लीफलेट बांटे जा रहे हैं और वीडियो फिल्मों के माध्यम से उन्हें विस्तार से समझाया जा रहा है — ताकि हर महिला जागरूक होकर इन योजनाओं का लाभ उठा सके।
निष्कर्ष:
‘महिला संवाद’ सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि ग्रामीण महिलाओं के आत्मबल और विकास की एक सशक्त पहल बन चुका है। अब महिलाएं अपने गांव, समाज और राज्य की प्रगति में भागीदारी निभाने के लिए तैयार हैं — आत्मविश्वास और उम्मीदों के साथ।
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