राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
विश्व एड्स दिवस समाज को याद दिलाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है कि एचआइवी/एड्स केवल स्वास्थ्य का मुद्दा नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी, जागरूकता और संवेदनशीलता से जुड़ा एक व्यापक विषय है। इस वर्ष की थीम “वैश्विक एकजुटता, साझा जिम्मेदारी” ठीक इसी संदेश को सामने लाती है—कि एड्स को रोकने में सरकार, स्वास्थ्यकर्मी, समाज और हर नागरिक की समान भूमिका है। किशनगंज जिले की स्थिति भी यह स्पष्ट करती है कि संक्रमण का खतरा कम जरूर हुआ है, लेकिन पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ। टेस्टिंग बढ़ी है, जागरूकता बढ़ी है, पर संक्रमण के बचे हुए जोखिम हमें सतर्क रहने की जरूरत बताते हैं। सिविल सर्जन डॉ राज कुमार चौधरी ने कहा कि जिले के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2022–23 में 67 हजार 709 लोगों की जांच की गई, जिनमें 265 लोग एचआइवी पॉजिटिव पाए गए थे। इसके बाद वर्ष 2023–24 में टेस्टिंग बढ़कर 75 हजार 761 हो गई और पॉजिटिव मामले घटकर 201 रह गए। वर्ष 2024–25 में 82 हजार 934 लोगों की जांच में 145 लोग संक्रमित मिले। वहीं वर्तमान वर्ष 2025–26 में जनवरी से नवंबर तक 83 हजार 983 लोगों की जांच की जा चुकी है, जिनमें 161 लोग पॉजिटिव पाए गए हैं। यह स्थिति बताती है कि जिले में टेस्टिंग बेहतर हुई है, लेकिन संक्रमण का प्रसार अभी भी चिंता का विषय है। विश्व एड्स दिवस इसी चेतावनी और जागरूकता को व्यापक बनाने का अवसर देता है।एचआइवी कैसे फैलता है—और क्यों जरूरी है सतर्कतासिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने कहा कि असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित सुई या सिरिंज का उपयोग, असुरक्षित रक्त चढ़ाना और संक्रमित मां से बच्चे में संक्रमण फैलता है।उन्होंने कहा कि हमेशा सुरक्षित यौन संबंध बनाएं, कंडोम का प्रयोग करें, किसी की सिरिंज या ब्लेड साझा न करें। गर्भवती महिलाएं एचआइवी जांच अवश्य कराएं—यही संक्रमण रोकथाम की सबसे प्रभावी रणनीति है।एचआइवी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है, जिससे टीबी, कैंसर, दोहराए जाने वाले संक्रमण और गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।लक्षणों की अनदेखी न करें—जांच ही पहला कदम हैडॉ. चौधरी ने बताया कि लगातार बुखार, वजन में कमी, रात में पसीना आना, त्वचा पर चकत्ते, खांसी का लंबे समय तक रहना या बगल-गले में सूजन—ये सभी संकेत एचआइवी संक्रमण की ओर इशारा कर सकते हैं।उन्होंने कहा कि लक्षण दिखने पर घबराएं नहीं, बल्कि तुरंत जांच कराएं। समय पर पता चल जाने से इलाज शुरू किया जा सकता है और व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है।”भ्रम और भेदभाव—एड्स नियंत्रण की सबसे बड़ी बाधासदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. अनवर हुसैन ने कहा कि हाथ मिलाने, साथ बैठने, भोजन करने, खांसने-छींकने या मच्छर के काटने से एचआइवी नहीं फैलता।उन्होंने कहा कि एड्स के खिलाफ लड़ाई में सबसे बड़ा अवरोध है—भेदभाव। संक्रमित व्यक्ति समाज का हिस्सा हैं, उन्हें अलग नजर से देखने की जरूरत नहीं।उन्होंने बताया कि जागरूकता फैलाना और गलत धारणाओं को खत्म करना ही एड्स रोकथाम की सबसे मजबूत रणनीति है।क्यों जरूरी है ‘साझा जिम्मेदारी’गैर संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ उर्मिला कुमारी ने बताया कि इस वर्ष की थीम “वैश्विक एकजुटता, साझा जिम्मेदारी” हमें यह समझाती है कि एचआइवी/एड्स से लड़ाई केवल स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी नहीं है।इसका अर्थ है कि हर व्यक्ति अपने व्यवहार में सावधानी अपनाए।समाज भेदभाव खत्म करे।युवा यौन शिक्षा को एक सामान्य ज्ञान की तरह स्वीकार करें।परिवार और समुदाय खुले में इस विषय पर चर्चा करें।सरकारें और स्वास्थ्य संस्थान बेहतर सेवाएं उपलब्ध कराएं।इसी सामूहिक प्रयास से 2030 तक एड्स मुक्त समाज के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।रैली और कार्यशाला—जागरूकता का संदेश शहर तक पहुंचाविश्व एड्स दिवस पर आज सिविल सर्जन कार्यालय प्रांगण से जागरूकता रैली को सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। रैली में एएनएम स्कूल की छात्राओं, स्वास्थ्यकर्मियों और आईसीटीसी टीम ने शहर के विभिन्न क्षेत्रों में लोगों को एड्स से बचाव के उपाय बताए।इसके साथ ही सिविल सर्जन की अध्यक्षता में जागरूकता सह कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें स्वास्थ्यकर्मियों को एचआइवी रोकथाम, ART सेवाओं, संक्रमण नियंत्रण और समुदाय स्तर पर संवाद बढ़ाने की तकनीकों पर प्रशिक्षण दिया गया।जिम्मेदारी हमारी, सुरक्षा हम सभी कीडॉ. चौधरी ने कहा कि एड्स के खिलाफ लड़ाई में सही जानकारी, सावधानी और सामाजिक संवेदनशीलता ही असली ताकत है। जागरूक होकर हम एक सुरक्षित और भेदभाव-मुक्त समाज बना सकते हैं।विश्व एड्स दिवस का यह संदेश हर नागरिक तक पहुंचे—यही इस अभियान का लक्ष्य है।
