निमोनिया, फेफड़ों में होने वाला एक गंभीर संक्रमण है जो कई जटिल स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। यह पाँच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत का एक प्रमुख कारण है, इसलिए इसके प्रति सतर्कता और जागरूकता बहुत आवश्यक है। इसी उद्देश्य से हर वर्ष 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष का आयोजन “हर सांस महत्वपूर्ण है, इस कारण निमोनिया को रोकने का प्रयास जरूरी है” की थीम पर आधारित है। निमोनिया से बचाव, उपचार सेवाओं की उपलब्धता, और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की क्षमता को बढ़ाने के लिए 12 नवंबर से 28 फरवरी तक जिले में ‘सांस अभियान’ संचालित किया जाएगा।
कम उम्र के बच्चों को निमोनिया का अधिक खतरा
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि निमोनिया का कारण बैक्टीरिया, वायरस, और फंगस हो सकते हैं, और इसके लक्षण इन्हीं पर निर्भर करते हैं। यह फेफड़ों में सूजन का कारण बनता है, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है। विशेष रूप से कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों, जैसे कि छोटे बच्चों और नवजातों को इसका खतरा अधिक होता है। समय पर रोग की पहचान और उपचार आवश्यक होता है, अन्यथा स्थिति गंभीर हो सकती है।
लक्षण दिखने पर तत्काल जांच और उपचार जरूरी
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार ने बताया कि निमोनिया के लक्षण दिखने पर बिना देर किए जांच और उपचार करवाना चाहिए, क्योंकि किसी भी तरह की देरी जानलेवा साबित हो सकती है। बच्चों में सर्दी-जुकाम के लक्षण जल्द ठीक न हों तो वह निमोनिया का रूप ले सकता है, जिससे खांसी, सांस लेने में कठिनाई, और घरघराहट जैसे लक्षण उभर सकते हैं।
निमोनिया से बचाव के प्रति जनजागरूकता आवश्यक
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि निमोनिया और इससे बचाव के उपायों के प्रति जनजागरूकता फैलाना विश्व निमोनिया दिवस का प्रमुख उद्देश्य है। बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और वे वातावरणीय कारणों जैसे मौसम, धूल और गंदगी के प्रति संवेदनशील होते हैं। उन्होंने कहा कि यदि बच्चे को बार-बार सर्दी-खांसी होती है और ठीक होने में समय लग रहा है, तो तत्काल निकटतम अस्पताल में जांच और समुचित उपचार कराना चाहिए।
आज हुआ विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम
विश्व निमोनिया दिवस के उपलक्ष्य में आज सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार के मार्गदर्शन में एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिसमें निमोनिया के प्रति जागरूकता और इसके प्रभावी उपचार के उपायों पर विस्तार से चर्चा की गई।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
निमोनिया, फेफड़ों में होने वाला एक गंभीर संक्रमण है जो कई जटिल स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। यह पाँच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत का एक प्रमुख कारण है, इसलिए इसके प्रति सतर्कता और जागरूकता बहुत आवश्यक है। इसी उद्देश्य से हर वर्ष 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष का आयोजन “हर सांस महत्वपूर्ण है, इस कारण निमोनिया को रोकने का प्रयास जरूरी है” की थीम पर आधारित है। निमोनिया से बचाव, उपचार सेवाओं की उपलब्धता, और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की क्षमता को बढ़ाने के लिए 12 नवंबर से 28 फरवरी तक जिले में ‘सांस अभियान’ संचालित किया जाएगा।
कम उम्र के बच्चों को निमोनिया का अधिक खतरा
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि निमोनिया का कारण बैक्टीरिया, वायरस, और फंगस हो सकते हैं, और इसके लक्षण इन्हीं पर निर्भर करते हैं। यह फेफड़ों में सूजन का कारण बनता है, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है। विशेष रूप से कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों, जैसे कि छोटे बच्चों और नवजातों को इसका खतरा अधिक होता है। समय पर रोग की पहचान और उपचार आवश्यक होता है, अन्यथा स्थिति गंभीर हो सकती है।
लक्षण दिखने पर तत्काल जांच और उपचार जरूरी
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार ने बताया कि निमोनिया के लक्षण दिखने पर बिना देर किए जांच और उपचार करवाना चाहिए, क्योंकि किसी भी तरह की देरी जानलेवा साबित हो सकती है। बच्चों में सर्दी-जुकाम के लक्षण जल्द ठीक न हों तो वह निमोनिया का रूप ले सकता है, जिससे खांसी, सांस लेने में कठिनाई, और घरघराहट जैसे लक्षण उभर सकते हैं।
निमोनिया से बचाव के प्रति जनजागरूकता आवश्यक
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि निमोनिया और इससे बचाव के उपायों के प्रति जनजागरूकता फैलाना विश्व निमोनिया दिवस का प्रमुख उद्देश्य है। बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और वे वातावरणीय कारणों जैसे मौसम, धूल और गंदगी के प्रति संवेदनशील होते हैं। उन्होंने कहा कि यदि बच्चे को बार-बार सर्दी-खांसी होती है और ठीक होने में समय लग रहा है, तो तत्काल निकटतम अस्पताल में जांच और समुचित उपचार कराना चाहिए।
आज हुआ विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम
विश्व निमोनिया दिवस के उपलक्ष्य में आज सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार के मार्गदर्शन में एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिसमें निमोनिया के प्रति जागरूकता और इसके प्रभावी उपचार के उपायों पर विस्तार से चर्चा की गई।