विजय गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया।
किशनगंज जिले के गलगलिया से सटे नेपाल के झापा जिला में डेंगू महामारी का रूप लेता जा रहा है। झापा जिला में डेंगू संक्रमण के बढ़ने एवं मौत को लेकर भारतीय सीमावासी सहमे हुए हैं। गलगलिया से महज 02 किलोमीटर की दूरी में भद्रपुर एवं 20 किलोमीटर दूरी स्थित बीरतामोड़ शहर में डेंगू खतरनाक रूप से फैल रहा है। खासतौर पर जून के बाद से बिरतामोड़ में डेंगू तेजी से फैल रहा है। सूत्रों की मानें तो 15 जुलाई से 30 जुलाई तक बिरतामोड के विभिन्न अस्पतालों में 82 लोगों को डेंगू होने की पुष्टि हुई है। बिरता मोड़ के सिटी हॉस्पिटल में एक ही दिन रविवार को डेंगू के 07 मरीजों को भर्ती कराया गया है। इसी तरह बीएंडसी अस्पताल के आईसीयू वेंटिलेटर में एक डेंगू मरीज का इलाज चल रहा है। डेंगू से संक्रमित बिरतामोड़ वार्ड नं-05 के 44 वर्षीय विचेंद्र लावटी की हालत गंभीर होने पर उन्हें आईसीयू वेंटिलेटर में भर्ती कराया गया था। इससे पहले पिछले गुरुवार को बिरतामोड़ के इसी वार्ड से एक महिला की डेंगू संक्रमण से मौत हो गयी थी। वहीं बिरता मोड़ कनकई अस्पताल में भी जुलाई माह में 38 लोगों को डेंगू होने की पुष्टि हुई है। अस्पताल के अध्यक्ष युवराज दांगी ने बताया कि जुलाई में 119 लोगों का रक्त परीक्षणों में 22 पुरुषों और 16 महिलाओं को डेंगू होने की पुष्टि हुई है। उन्होंने बताया कि पिछले तीन-चार दिनों से 4-5 की दर से डेंगू के मरीज आ रहे हैं। इसी तरह, मनमोहन अस्पताल में भी 13 लोगों को डेंगू होने की पुष्टि हुई है। मनमोहन अस्पताल के प्रबंध निदेशक रोमानी भट्टाराई ने कहा कि 13 में से 10 लोग बिरतामोड के हैं। उन्होंने बताया कि उनके अस्पताल में डेंगू के कुछ मरीजों का इलाज अभी चल रहा है।
बीरता मोड़ एवं धरान जहां डेंगू का केंद्र बनता जा रहा है, वहीं भद्रपुर व गलगलिया सीमावासियों को चिंता है कि कहीं ऐसी महामारी यहाँ भी न फैल जाए। वहीं झापा जिला के विभिन्न डेंगू संक्रमित स्थानों में डेंगू को खत्म करने के लिए अभियान चलाकर ड़ेंगू का लार्वा को खत्म किया जा रहा है।
झापा में डेंगू के जोखिम बढ़ने की आशंका:
डेंगू संक्रमित मच्छर से फैलता है, जिसे एडीज एजिप्टी मादा मच्छर कहते हैं। यह मच्छर दिन में और कभी-कभी रात में काटता है। डेंगू का वायरस आरएनए फ्लैविवीरिद परिवार से है। वैज्ञानिक वर्गीकरण के अनुसार इन लोगों में चार प्रकार के डेंगू संक्रमण डेन वन, डेन टू, डेन थ्री और डेन फोर मिली है जो इम्युनोलॉजी के लिहाज से आपस में संबंधित हैं। कहा कि डेंगू के संक्रमण से शरीर के संवेदनशील अंगों से रक्त श्राव होकर मृत्यु हो जाती है। झापा में सभी प्रकार के डेंगू के जोखिम बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। और इसे नियंत्रण नही किया गया तो भारी क्षति हो सकती है। और इसका असर भारतीय सीमा क्षेत्र में भी होगी।
डेंगू एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता:
डॉक्टर के अनुसार डेंगू का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। बल्कि डेंगू वायरस का प्रसार एक चक्र के अंतर्गत होता है। जब मादा मच्छर द्वारा संक्रमित व्यक्ति को काटा जाता है। इसके बाद जब यही मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तब यह वायरस व्यक्ति में चला जाता है। और इस तरह यह चक्र लगातार चलता रहता है। जुलाई से लेकर सितंबर माह तक यह रोग दिखाई देती है। डेंगू से बचने के लिए अभी तक कोई वैक्सीन बाज़ार में उपलब्ध नहीं है। इसकी रोकथाम का सबसे सरल उपाय यह है कि मच्छरों के काटने से बचा जाएं।
डेंगू के लक्षण:
मच्छर की ही देन डेंगू है इससे प्रभावित रोगी को अचानक तीव्र ज़्वर, सिरदर्द (सामान्यतः आंखों में दर्द होता है) मांसपेशियों और जोड़ों में भयानक दर्द, चकत्ते निकलना, ठंड लगना (कांपना), त्वचा पर लाल चकत्ते बनना, मुँह पर निस्तब्धता आना, भूख न लगना, गले में खराश आदि।
मच्छर प्रसार को रोकने में करें मदद:
स्थिर पानी के संचय को रोकें सप्ताह में एक बार फूलों में पानी बदलें फूल के बर्तन के नीचे प्लेटों का उपयोग करने से बचें। पानी के कंटेनरों को कसकर कवर करें। सुनिश्चित करें कि एयर कंडीशनर ड्रिप ट्रे स्थिर पानी से मुक्त हैं।सभी प्रयुक्त डिब्बे और बोतलों को ढंके हुए धूल में डाल दें। बीमारियों के वैक्टर और जलाशय को नियंत्रित करें।भोजन स्टोर करें और कचरे का निपटान ठीक से करें।
