विजय गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया।
किशनगंज जिले के गलगलिया से सटे पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के भद्रपुर, चंद्रगढ़ी, बिर्तामोड़ सहित पूरे देश में बुधवार को भाई टीका का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया गया। यह पर्व नेपाल में सबसे पड़े पर्वो में भैयादूज की तरह भाई टीका है। इस पर्व को बहुत धूमधाम से मनाने की परंपरा है। इस दिन बहने अपने भाइयों के दीर्घायु होने की कामना करती हैं और भाइयों से आदरपूर्वक उपहार लेती हैं। भाई टीका पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाला हिन्दू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। भाई टीका में हर बहन रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीष देती हैं। भाई अपनी बहन को कुछ उपहार या दक्षिणा देता है। भाई टीका दिवाली के दो दिन बाद आने वाला ऐसा पर्व है, जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली के लिए कामना करती हैं। यह त्यौहार बहनों और भाइयों के बीच प्रेम का प्रतीक है, और दोनों के बीच देखभाल और स्नेह के बंधन को मजबूत करने के लिए मनाया जाता है। इस त्यौहार पर, बहने अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं। बदले में, भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं। यह त्यौहार भी रक्षाबंधन की तरह ही भाई बहन के रिश्ते को और भी अटूट बनाता है।
बहनो को खेत व मकान तक देने का रिवाज है:
नेपाल में इस पर्व के मनाए जाने के पीछे एक धारणा यह भी है कि इसी बहाने भाई अपने विवाहित बहनों के घर की माली हालत का भी जायजा लेते हैं और उसी अनुसार बहन को उपहार देते हैं। नेपाल में इस पर्व पर बहनो को खेत और मकान तक देने का रिवाज है। इसीलिए परंपरागत रूप से, सभी भाई इस दिन अपनी विवाहित बहनों के घर जाते हैं। बहनें भी अपने भाई के लंबे जीवन और अच्छे स्वास्थ्य लिए प्रार्थना करती हैं। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि भारत में इस पर्व को लेकर जितना उत्साह रहा। उतना ही उत्साह भाईदूज पर नेपाल में भी देखा गया।
क्या है मान्यता:
नेपाल में इस त्योहार के पीछे एक मान्यता यह है कि यम देवता ने अपनी बहन यमी (यमुना) को इसी दिन दर्शन दिए थे, जो बहुत समय से उससे मिलने के लिए व्याकुल थी। अपने घर में भाई यम के आगमन पर यमुना ने प्रफुल्लित मन से उसकी आवभगत की। यम ने प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि इस दिन यदि भाई-बहन दोनों एक साथ यमुना नदी में स्नान करेंगे तो उनकी मुक्ति हो जाएगी। इसी कारण इस दिन यमुना नदी में भाई-बहन के एक साथ स्नान करने का बड़ा महत्व है। इसके अलावा यमी ने अपने भाई से यह भी वचन लिया कि जिस प्रकार आज के दिन उसका भाई यम उसके घर आया है, हर भाई अपनी बहन के घर जाए। तभी से भैयादूज, भाई टीका पर्व मनाने की प्रथा चली आ रही है।