भारत-नेपाल सीमा हमेशा काला कारोबार करने तथा तस्करों के लिए एक वरदान साबित रहा है। खुली सीमा का फायदा उठाकर तस्कर आसानी से माल पार कर लेते हैं। जबकि बार्डर पर केंद्र व राज्य सरकार के सजग प्रहरी पूरी तरह से मुस्तैद है और यहां इनकी बगैर इजाजत के परिंदा भी पर नही मार सकता है। इसके बावजूद सीमा पर सक्रिय कुख्यात तस्कर इन दिनो कपड़ा सहित अन्य सामानो की तस्करी को अंजाम दे रहे है। जबकि सीमा पर अवैध गतिविधियों व तस्करी को रोकने के लिए सरकार द्वारा एसएसबी की तैनाती की गई है। साथ ही लोगों में सुरक्षा की भावना बढ़ाने में मदद मिले। बावजूद सीमावर्ती क्षेत्रों में मादक पदार्थों के जाल में युवा वर्ग फंसते जा रहे हैं। वहीं पशु तस्करी के अलावे विभिन्न वस्तुओं की तस्करी चरम पर है। सूत्र बताते हैं कि अंधेरा होते ही तस्करी का नंगा नाच इस सीमावर्ती क्षेत्रों में शुरू हो जाता है। तस्करी की इन नंगा नाचों को अंकुश लगाने के उद्देश्य यदि कोई संवाददाता द्वारा अखबारों के माध्यम से वरीय पदाधिकारियों को सूचित करने का प्रयास करता है तो दूसरे दिन से इसका दंश आम जनता को भुगतना पड़ता है।
भारत का नेपाल के साथ रोटी-बेटी का संबंध होने के कारण प्रतिदिन आवागमन करने वाले लोग यदि रोजमर्रा की राशन, सब्जी आदि ले जाते हैं तो उनपर अंकुश लगा कर सारा क्रोध निकाला जाता है, लेकिन कुछ सुरक्षा कर्मियों के मिली भगत से तस्करी करने वालों पर अंकुश न लगना जेहन में कई सवालों को पैदा करता है। इतना ही नहीं सेवा, सुरक्षा एवं बंधुत्व के मोटो पर चलने वाली एसएसबी के एक सुरक्षा कर्मी चंद्रशेखर दुबे नामक ने गांव के लोगों को असंवैधानिक तरीके से भड़का कर संवाददाता को मारने पीटने के लिए उत्तेजित करने का काम किया। कुछ दिन पूर्व इनके ही द्वारा नेपाल के एक युवक को नेपाली सीमा में जाकर पीटने का भी मामला नेपाल के अखबारों में सुर्खियों में थी। ऐसे में इन एक आध सुरक्षा कर्मियों के कारण एसएसबी के मोटो सेवा, सुरक्षा एवं बंधुत्व पर ग्रहण लगता दिख रहा है। समय रहते यदि इन एक आध सुरक्षा कर्मियों के क्रियाकलाप पर अंकुश नहीं लगाया गया तो भारत-नेपाल के बीच जो बेटी-रोटी का संबंध पर दरार पड़ने की संभावना नजर आती है। वहीं दूसरी ओर अवैध गतिविधियों व तस्करी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से अब भारत-नेपाल नाका पर सुरक्षा कर्मियों के अलावे तीसरी आंख की मदद ली जा रही है। जी हां इन अवैध गतिविधियों व तस्करी पर लगाम लगाने के लिए सीसीटीवी कैमरा तीसरी आंख के रूप में लगायी गयी है, लेकिन तस्करी पर लगाम न लग सकी। गत शनिवार को एसएसबी भातगांव बीओपी द्वारा तस्करी के तीन पोका कपड़ा जब्त कर कस्टम के हवाले किया गया, लेकिन तस्कर की गिरफ्तारी नहीं होना भी प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है। साथ ही तस्करी की इन अवैध कपडों की जब्त की जानकारी मीडिया से दूर रखना समझ के परे हैं। वहीं इन मामलों को जब नेपाल के एक रिपोर्टर ने उजागर किया तो मामला प्रकाश में आया और इसका सारा दोष भारतीय क्षेत्र के रिपोर्टरों पर लगा दिया जाना आपत्तिजनक है। जबकि इस संबंध में एसएसबी जवानों द्वारा कोई डिटेल उपलब्ध नहीं करवाई गई थी। इस संबंध में एसएसबी 41 वीं वाहिनी के एक अधिकारी ने बताया कि खुली सीमा होने के कारण लोग इधर-उधर से निकल जाते हैं। हमारे पास एसएसबी की उतनी अधिक फ़ोर्स नहीं है। उन्होंने कहा जबतक हमलोगों को सीमावर्ती क्षेत्रों के ग्रामीण एसएसबी की सहयोग नहीं करेंगे तो एसएसबी क्या करेगी। इसलिए तस्करी व अन्य गतिविधियों पर पर रोक लगाने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों के ग्रामीणों की सहयोग करने की आवश्यकता है।
चंदन मंडल, सारस न्यूज़, खोरीबाड़ी ।
भारत-नेपाल सीमा हमेशा काला कारोबार करने तथा तस्करों के लिए एक वरदान साबित रहा है। खुली सीमा का फायदा उठाकर तस्कर आसानी से माल पार कर लेते हैं। जबकि बार्डर पर केंद्र व राज्य सरकार के सजग प्रहरी पूरी तरह से मुस्तैद है और यहां इनकी बगैर इजाजत के परिंदा भी पर नही मार सकता है। इसके बावजूद सीमा पर सक्रिय कुख्यात तस्कर इन दिनो कपड़ा सहित अन्य सामानो की तस्करी को अंजाम दे रहे है। जबकि सीमा पर अवैध गतिविधियों व तस्करी को रोकने के लिए सरकार द्वारा एसएसबी की तैनाती की गई है। साथ ही लोगों में सुरक्षा की भावना बढ़ाने में मदद मिले। बावजूद सीमावर्ती क्षेत्रों में मादक पदार्थों के जाल में युवा वर्ग फंसते जा रहे हैं। वहीं पशु तस्करी के अलावे विभिन्न वस्तुओं की तस्करी चरम पर है। सूत्र बताते हैं कि अंधेरा होते ही तस्करी का नंगा नाच इस सीमावर्ती क्षेत्रों में शुरू हो जाता है। तस्करी की इन नंगा नाचों को अंकुश लगाने के उद्देश्य यदि कोई संवाददाता द्वारा अखबारों के माध्यम से वरीय पदाधिकारियों को सूचित करने का प्रयास करता है तो दूसरे दिन से इसका दंश आम जनता को भुगतना पड़ता है।
भारत का नेपाल के साथ रोटी-बेटी का संबंध होने के कारण प्रतिदिन आवागमन करने वाले लोग यदि रोजमर्रा की राशन, सब्जी आदि ले जाते हैं तो उनपर अंकुश लगा कर सारा क्रोध निकाला जाता है, लेकिन कुछ सुरक्षा कर्मियों के मिली भगत से तस्करी करने वालों पर अंकुश न लगना जेहन में कई सवालों को पैदा करता है। इतना ही नहीं सेवा, सुरक्षा एवं बंधुत्व के मोटो पर चलने वाली एसएसबी के एक सुरक्षा कर्मी चंद्रशेखर दुबे नामक ने गांव के लोगों को असंवैधानिक तरीके से भड़का कर संवाददाता को मारने पीटने के लिए उत्तेजित करने का काम किया। कुछ दिन पूर्व इनके ही द्वारा नेपाल के एक युवक को नेपाली सीमा में जाकर पीटने का भी मामला नेपाल के अखबारों में सुर्खियों में थी। ऐसे में इन एक आध सुरक्षा कर्मियों के कारण एसएसबी के मोटो सेवा, सुरक्षा एवं बंधुत्व पर ग्रहण लगता दिख रहा है। समय रहते यदि इन एक आध सुरक्षा कर्मियों के क्रियाकलाप पर अंकुश नहीं लगाया गया तो भारत-नेपाल के बीच जो बेटी-रोटी का संबंध पर दरार पड़ने की संभावना नजर आती है। वहीं दूसरी ओर अवैध गतिविधियों व तस्करी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से अब भारत-नेपाल नाका पर सुरक्षा कर्मियों के अलावे तीसरी आंख की मदद ली जा रही है। जी हां इन अवैध गतिविधियों व तस्करी पर लगाम लगाने के लिए सीसीटीवी कैमरा तीसरी आंख के रूप में लगायी गयी है, लेकिन तस्करी पर लगाम न लग सकी। गत शनिवार को एसएसबी भातगांव बीओपी द्वारा तस्करी के तीन पोका कपड़ा जब्त कर कस्टम के हवाले किया गया, लेकिन तस्कर की गिरफ्तारी नहीं होना भी प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है। साथ ही तस्करी की इन अवैध कपडों की जब्त की जानकारी मीडिया से दूर रखना समझ के परे हैं। वहीं इन मामलों को जब नेपाल के एक रिपोर्टर ने उजागर किया तो मामला प्रकाश में आया और इसका सारा दोष भारतीय क्षेत्र के रिपोर्टरों पर लगा दिया जाना आपत्तिजनक है। जबकि इस संबंध में एसएसबी जवानों द्वारा कोई डिटेल उपलब्ध नहीं करवाई गई थी। इस संबंध में एसएसबी 41 वीं वाहिनी के एक अधिकारी ने बताया कि खुली सीमा होने के कारण लोग इधर-उधर से निकल जाते हैं। हमारे पास एसएसबी की उतनी अधिक फ़ोर्स नहीं है। उन्होंने कहा जबतक हमलोगों को सीमावर्ती क्षेत्रों के ग्रामीण एसएसबी की सहयोग नहीं करेंगे तो एसएसबी क्या करेगी। इसलिए तस्करी व अन्य गतिविधियों पर पर रोक लगाने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों के ग्रामीणों की सहयोग करने की आवश्यकता है।
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