• Fri. Sep 12th, 2025

Saaras News - सारस न्यूज़ - चुन - चुन के हर खबर, ताकि आप न रहें बेखबर

खेती में महिला किसान भी नहीं हैं पीछे। केले की खेती में नुकसान होने पर पूर्णिया के किसानों ने अपनाया यह रास्ता।

सारस न्यूज टीम, पूर्णिया।

बिहार के पूर्णिया में किसान एक बार फिर पुराने खेती की तरफ अपना रुख करने लगे हैं। भवानीपुर अनुमंडल क्षेत्र के किसानों के जिन खेतों में पूर्व में केला की फसल लहलहाती थी उन खेतों में इस समय पटुआ यानी पटसन के फसल लगे हुए हैं। बताना मुनासिब होगा कभी में पटुआ की खेती धमदाहा अनुमंडल की पहचान रही थी। इस समय एकबार फिर धमदाहा क्षेत्र के चारों प्रखंडो में किसानों के द्वारा पटुआ की प्रचुर मात्रा में खेती की गई है। किसानों की मानें तो बीते वर्ष पटुआ के अनुकूल मौसम रहने की वजह से भी इस वर्ष भी किसानों ने बड़े पैमाने पर इसकी बुआई की है।

बीते कुछ सालों से इस इलाके में केला की खेती बड़े पैमाने पर होती थी। केला उपजाने में जहां काफी लागत आती थी वहीं मेहनत भा काफी करना पड़ता है। ऐसे में अच्छा बाजार नहीं मिलने पर किसानों को नुकसान होता था। लेकिन पटुआ की खेती में काफी कम लागत आती है और मेहनत भी कम करनी पड़ती है। फसल बुआई के बाद पटुआ की खेती में ना तो पटवन का झंझट रहता है और ना ही ज्यादा मजदूरों की जरूरत होती है। अन्य फसलों की अपेक्षा किसानों को काफी कम लागत में अच्छी आमदनी मिल जाती है। जिस वजह से किसानों के द्वारा इस वर्ष इस खेती की ओर झुकाव हुआ है।

अनुमंडल क्षेत्र के सभी चारों प्रखंडों में केला की खेती प्रचुर मात्रा में की जाती थी। इसकी वजह से अनुमंडल क्षेत्र की पहचान केलांचल के रूप में हो गयी थी। परन्तु बीते वर्षों में केला की फसल में पनामा बिल्ट नामक महामारी ने अनुमंडल क्षेत्र के केला किसानों की कमर तोड़ दी। केला की फसल में पनामा बिल्ट महामारी से बर्बादी के बाद किसान इस खेती से अपना मुंह मोड़ लिया और पुराने खेती की तरफ रुख कर लिया है।

खेती में महिला किसान भी नहीं हैं पीछे

अनुमंडल क्षेत्र में पटुआ की खेती करने में पुरुषों के साथ-साथ महिला किसान भी बराबरी की हिस्सेदारी निभा रही हैं। कल तक घरों की दहलीज में कैद रहने वाली महिलाएं इस समय पुरुषों के साथ कांधे से कंधा मिलाकर खेती करने में लगी हुई है। अनुमंडल क्षेत्र के धमदाहा प्रखंड के कसमरा गांव की बिभा कुमारी, निक्की कुमारी, भवानीपुर के बजरास्थान की नीतू देवी, चंचल कुमारी आदि ने बताया की पटुआ की खेती करने में बुआई के बाद सिर्फ कटाई के समय लागत लगानी पड़ती है। इस वजह से पटुआ की खेती महिलाओं के लिए बहुत अच्छी खेती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *