बिंदु अग्रवाल की कविता # 48 (शीर्षक:- हाँ मैं मजदूर हूँ)।
Post Views: 444 सारस न्यूज, वेब डेस्क। हाँ.. मैं मजदूर हूँआधार स्तम्भ हूं देश का,अर्थव्यवस्था की नींव हूंहाँ मैं मजदूर हूं। जेठ की चिलचिलाती धूप हो,या हो सावन की बौछार।पत्थरों…
बिंदु अग्रवाल की कविता # 47 (शीर्षक:- अधूरे ख्वाब सी जिंदगी)।
Post Views: 386 सारस न्यूज, गलगलिया। अधूरे ख्वाब सी जिंदगी कभी उगते सूरज सा एहसासकभी ढलती शाम सी है जिंदगी । कभी भटकती राहेंकभी एक मुकाम सी है जिंदगी। कभी…
बिंदु अग्रवाल की कविता # 46 (शीर्षक:- सुनो पथिक)।
Post Views: 321 विजय कुमार गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया। सुनो पथिक हो पंथ पथरीला,सुनो पथिक!तुम रुक ना जाना राहों में…।मंजिल मिलती है सदा ही,मुश्किलों की बाहों में।। मेहनत से डर…
बिंदु अग्रवाल की कविता # 45 (शीर्षक:- अंतरमन के भाव)।
Post Views: 369 विजय कुमार गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया। अंतरमन के भाव कभी धूप लिखी,कभी छांव लिखाकभी अंतरमन का भाव लिखा।कभी हँसी, ठिठोली, गीत लिखेकभी बीते समय का घाव लिखा।।…
बिंदु अग्रवाल की कविता # 44 (शीर्षक:- पुकारा ना गया)
Post Views: 270 विजय कुमार गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया। पुकारा ना गया मेरा निश्छल प्रेम तुमसे संभाला ना गयातुम्हें दिल में बसा कर मुझसे निकाला ना गया।तुम ओझल होते रहे…
बिंदु अग्रवाल की कविता # 43 (शीर्षक:- सिर्फ तुम्हें ही चाहेंगे)।
Post Views: 316 विजय कुमार गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया। सिर्फ तुम्हें ही चाहेंगे आवाज ना देना कभी हमें,हम लौट के ना आएंगे।पर यकीन है हमें, जहाँ भी रहें,हम सिर्फ तुम्हें…
बिंदु अग्रवाल की कविता # 42 (शीर्षक:- वो बातें अलग थी)
Post Views: 321 विजय कुमार गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया। वो बातें अलग थी मुस्कराते हुए लम्हों किबातें अलग थी,तुझसे वो मेरी पहलीमुलाकातें अलग थी। वक़्त भी गुजर रहा हैशाम भी…
बिंदु अग्रवाल की कविता # 41 (शीर्षक:- तेरी गलियों से)
Post Views: 293 विजय कुमार गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया। तेरी गलियों से तेरी गलियों से जबसे गुजरने लगे हैं हम,तबसे कुछ इस कदर निखरने लगे हैं हम। ना जाने क्यों…
बिंदु अग्रवाल की कविता # 40 (शीर्षक:- धीरे-धीरे भूलना हमें)
Post Views: 214 विजय कुमार गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया। धीरे-धीरे भूलना हमें भूल जाओ तुम हमेंयह तुम्हारे दिल की बात है,पर हाँ! धीरे-धीरे भूलना हमेंजैसे धीरे धीरे घर बनाए होमेरे…
बिंदु अग्रवाल की कविता # 39 (शीर्षक:- मां…)
Post Views: 364 विजय कुमार गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया। मां मैंने उसे कभी चैन से सोते नहीं देखा।मजबूरी का रोना कभी रोते नहीं देखा।।हर वक्त थामे रहती थी वह पतवार…
बिंदु अग्रवाल की कविता # 38 (शीर्षक:- कविता बन जाती है…)
Post Views: 421 विजय कुमार गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया। कविता बन जाती है… मैं नही लिखती..लिखाई मुझे कबरास आती है…?जब भी उमड़ता हैकोई भाव मेरे अंदरमेरी भावनाएं कविताबन जाती है………
बिंदु अग्रवाल की कविता # 37 (शीर्षक:- बदलना जरूरी है)।
Post Views: 360 विजय कुमार गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया। बदलना जरूरी है वक्त के साथ बदलना जरूरी हैपर बदल कर संभलना जरूरी है । ब्याधियां लग जाती है अक्सर शरीर…