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शायरी के सुरों में ढला एक नाम: शकील बदायूंनी।

सारस न्यूज, वेब डेस्क।


आज ही के दिन, 3 अगस्त 1916 को उत्तर प्रदेश के बदायूं शहर में जन्मे थे हिंदी सिनेमा के मशहूर गीतकार शकील बदायूंनी। अपनी बेमिसाल लेखनी और जज़्बातों से भरे नग़मों के ज़रिए उन्होंने न सिर्फ फिल्मी दुनिया को संवारा, बल्कि भारतीय शायरी को भी एक नई ऊँचाई पर पहुँचाया।

शकील बदायूंनी ने भारतीय सिनेमा को ‘चौदहवीं का चाँद हो’, ‘छोड़ बाबुल का घर’, ‘मन तड़पत हरि दर्शन को आज’ जैसे कालजयी गीत दिए, जिन्हें आज भी सुनकर दिल भर आता है। उन्होंने नौशाद जैसे महान संगीतकार के साथ मिलकर कई यादगार फिल्में दीं, जिनमें मुग़ल-ए-आज़म, बैजू बावरा, औरMother India जैसी क्लासिक फिल्में शामिल हैं।

उनकी शायरी में सूफियाना रंग, ग़ज़ल की रवानी और ज़िंदगी के जज्बातों की खूबसूरत बुनावट मिलती है। शकील बदायूंनी को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए तीन बार लगातार फिल्मफेयर अवार्ड से नवाज़ा गया — 1961, 1962 और 1963 में।

आज उनकी 109वीं जयंती पर उन्हें याद करते हुए देशभर में संगीतप्रेमी और साहित्य प्रेमी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी उनके गीतों की पंक्तियाँ साझा की जा रही हैं और पुराने गीतों के वीडियो फिर से वायरल हो रहे हैं।


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