14 अगस्त 1914_ आज ही के दिन ब्रिटिश सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए औपचारिक रूप से ऑस्ट्रिया-हंगरी के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी है। यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब यूरोप पहले ही गहरे युद्ध के साये में डूब चुका है, और बड़ी शक्तियों के बीच टकराव तेजी से बढ़ता जा रहा है।
ब्रिटेन द्वारा यह निर्णय जर्मनी और ऑस्ट्रिया-हंगरी की आक्रामक नीतियों के जवाब में लिया गया है, विशेषकर सर्बिया पर हुए हमले के बाद। इससे पहले ब्रिटेन ने 4 अगस्त को जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा की थी, जब जर्मन सेनाओं ने बेल्जियम की तटस्थता का उल्लंघन करते हुए उस पर आक्रमण कर दिया था। अब ऑस्ट्रिया-हंगरी को भी ब्रिटेन ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि साम्राज्यवादी विस्तार की नीति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री हर्बर्ट एस्क्विथ ने संसद में घोषणा करते हुए कहा, “ब्रिटेन, न्याय, स्वतंत्रता और मित्र राष्ट्रों की रक्षा के लिए यह कदम उठा रहा है। यह केवल एक देश का युद्ध नहीं, बल्कि पूरे मानवता की सुरक्षा का प्रश्न है।”
ब्रिटिश सेना को पहले ही यूरोप भेजा जा चुका है और अब ऑस्ट्रिया-हंगरी के मोर्चे पर भी तैनाती की तैयारी शुरू हो चुकी है। इस निर्णय के बाद युद्ध की आग और भी फैलने की आशंका है, और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में यह संघर्ष और अधिक व्यापक हो सकता है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह युद्ध अब केवल क्षेत्रीय विवाद नहीं रह गया है, बल्कि यह एक वैश्विक संघर्ष का रूप ले चुका है, जिसमें दुनिया की लगभग सभी बड़ी शक्तियाँ शामिल होती जा रही हैं।
सारस न्यूज, वेब डेस्क।
14 अगस्त 1914_ आज ही के दिन ब्रिटिश सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए औपचारिक रूप से ऑस्ट्रिया-हंगरी के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी है। यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब यूरोप पहले ही गहरे युद्ध के साये में डूब चुका है, और बड़ी शक्तियों के बीच टकराव तेजी से बढ़ता जा रहा है।
ब्रिटेन द्वारा यह निर्णय जर्मनी और ऑस्ट्रिया-हंगरी की आक्रामक नीतियों के जवाब में लिया गया है, विशेषकर सर्बिया पर हुए हमले के बाद। इससे पहले ब्रिटेन ने 4 अगस्त को जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा की थी, जब जर्मन सेनाओं ने बेल्जियम की तटस्थता का उल्लंघन करते हुए उस पर आक्रमण कर दिया था। अब ऑस्ट्रिया-हंगरी को भी ब्रिटेन ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि साम्राज्यवादी विस्तार की नीति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री हर्बर्ट एस्क्विथ ने संसद में घोषणा करते हुए कहा, “ब्रिटेन, न्याय, स्वतंत्रता और मित्र राष्ट्रों की रक्षा के लिए यह कदम उठा रहा है। यह केवल एक देश का युद्ध नहीं, बल्कि पूरे मानवता की सुरक्षा का प्रश्न है।”
ब्रिटिश सेना को पहले ही यूरोप भेजा जा चुका है और अब ऑस्ट्रिया-हंगरी के मोर्चे पर भी तैनाती की तैयारी शुरू हो चुकी है। इस निर्णय के बाद युद्ध की आग और भी फैलने की आशंका है, और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में यह संघर्ष और अधिक व्यापक हो सकता है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह युद्ध अब केवल क्षेत्रीय विवाद नहीं रह गया है, बल्कि यह एक वैश्विक संघर्ष का रूप ले चुका है, जिसमें दुनिया की लगभग सभी बड़ी शक्तियाँ शामिल होती जा रही हैं।
Leave a Reply