सारस न्यूज, वेब डेस्क।
20 अगस्त 1972 – शीतयुद्ध के तनावपूर्ण दौर में आज तत्कालीन सोवियत संघ ने एक और बड़ा कदम उठाते हुए भूमिगत परमाणु परीक्षण किया। यह परीक्षण सोवियत संघ के परमाणु कार्यक्रम के तहत किया गया, जिससे वैश्विक स्तर पर एक बार फिर चिंता की लहर दौड़ गई है।
हालांकि परीक्षण स्थल की सटीक जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है, अंतरराष्ट्रीय रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि यह परीक्षण साइबेरिया या कज़ाखस्तान के किसी दूरस्थ क्षेत्र में किया गया होगा, जहाँ पूर्व में भी सोवियत संघ परमाणु परीक्षण करता रहा है।
यह भूमिगत परीक्षण इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह अमेरिका और सोवियत संघ के बीच जारी परमाणु होड़ का हिस्सा है। 1963 में हुए आंशिक परीक्षण प्रतिबंध संधि (Partial Test Ban Treaty) के बाद से अधिकांश परमाणु परीक्षण भूमिगत ही किए जा रहे हैं, ताकि वातावरण को प्रदूषण से बचाया जा सके।
वैश्विक प्रतिक्रियाएँ
अंतरराष्ट्रीय समुदाय विशेषकर पश्चिमी देशों ने इस परीक्षण पर चिंता व्यक्त की है। अमेरिका ने इस पर तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि इस प्रकार के परीक्षण विश्व शांति और स्थायित्व के लिए खतरा हैं। वहीं संयुक्त राष्ट्र संघ में भी इस मुद्दे को लेकर चर्चा होने की संभावना है।